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ग्रीष्म ऋतु के समाप्त होते ही वर्षा ऋतु का प्रारम्भ हो जाता है यह ऋतु अत्यन्त ही सुहावनी लगती है हमारा मनमयूर वर्षाऋतु का आनंद उठाने के लिए नाच उठता है यह ऋतु हमें तभी सुहानी लग सकती है जब हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो। आईये ! हमारा शरीर स्वस्थ रहे, इसके लिये हमें निम्न सावधानियाँ रखना चाहिए—
१. इन दिनों हमें पानी उबाल करके ठण्डा करके पीना चाहिए। इसमें पीलिया, अतिसार जैसे रोगों से बचा जा सकता है।
२. ऐसा आहार नहीं लेना चाहिए, जो देरी से पचता हो, ऐसे आहर से गैस—ट्रबल, पेट—फूलना, जोडो में दर्द, श्वास लेने में परेशानी, गठिया आदि रोग होने का अंदेशा रहता है।
३. बासी, रूखे और उष्ण प्रकृति के पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे — पूडी, समोसे, कचोरी आदि।
४. हरी पत्तेदार शाग—सब्जी का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर होता है।
५. वर्षा के मौसम की विशेष चीज मक्का के भुट्टे नरम व दूधियाँ दाने वाले ताजे उस पर नमक व नींबू लगा कर खाये। इससे स्वादिष्ट एवं जल्दी हजम हो जाता है।
६. इन दिनों मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए, ताकि मलेरिया आदि रोगों से सुरक्षा हो सके।
७. शरीर की साफ— सफाई का पूरा ध्यान रखें और प्रतिदिन धुले हुए कपड़े पहनना चाहिए। कन्धों के बीच, बगल आदि को सुखा रखना चाहिए ताकि दाद, खुजली जैसे चर्म रोगों से बचा जा सके।
८. दिन में सोना, वर्षा में देर तक भीगना, नदी में स्नान करना, गीले वस्त्रों को जल्दी से न बदलना, शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
९. वर्षाकाल में किसी अज्ञात स्थान पर, अंधेरे में जाना ठीक नहीं है क्योंकि इन दिनों जहरीले कीड़े, सांप, बिच्छू आदि निकला करते हैं, अत: इनसे सावधान रहना चाहिए, साथ में टार्च, लॉलटेन लेकर जाना उचित रहता है।