हमारे शरीर को निरोगी बनाये रखने में औषधीय पौंधों का अत्यधिक महत्व होता है यही वजह है कि भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं। इससे प्राप्त होने वाली जड़ी बूटियों के माध्यम से न केवल हनुमान ने भगवान् लक्ष्मण की जान बचायी बल्कि आज की तारीख में भी चिकित्सकों द्वारा मानव रोगोपचार हेतु अमल में लाया जाता है। यही नहीं, जंगलों में खुद—ब—खुद उगने वाले अद्भुत गुणों के कारण लोगों द्वारा इसकी पूजा—अर्चना तक की जाने लगी है जैसे तुलसी, पीपल, आक, बरगद तथा नीम इत्यादि। प्रसिद्ध विद्वान चरक ने तो हरेक प्रकार के औषधीय पौधों का विश्लेषण करके बिमारियों में उपचार हेतु कई अनमोल किताबों की रचना तक कर डाली है जिसका प्रयोग आजकल मानव का कल्याण करने के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद के अनुसार, औषधीय पौधों के संपर्क में आने मात्र से ही व्यक्ति के अनेक प्रकार के कीटाणुओं का स्वत: नाश हो जाता है जबकि इससे निकलने वाली वायु से शरीर को काफी लाभ पहुंचता है और संपूर्ण वातावरण प्रदूषण रहित हो जाता है। कुल मिलाकर हम यहां कह सकते हैं कि यह समूचा पौधा ही हमारे उत्तम स्वास्थ्य हेतु अति आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसकी पत्तियां, तना, फूल और जड़ सभी तरह से मानव रूपी जीवन में रोगों से निजात पाने के लिए बहुत जरूरी है। परिणामस्वरूप, व्यक्ति औषधीय पौधों का इस्तेमाल करते हुए विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार करके स्वस्थ हो जाता है परंतु, यहां ध्यान देने योग्य बात यही है कि इन सभी बहुमूल्य औषधीय पौधों से रोगों की चिकित्सा करना मुश्किल नहीं है अपितु उसकी पहचान करते हुए उपयोग की विधि को भली—भांति जानना अति अनिवार्य है। अधिकांश पाठकगण बहुत—से औषधीय पौधों के विषय में जानते हैं लेकिन उसके अद्भुत गुणों की सटीक जानकारी नहीं होने के कारणवश कीमती से कीमती पौधा भी उसे तुच्छ मालूम दिखलाई पड़ता है। इसीलिए हम यहां बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ औषधीय पौधों के गुणों के बारे में जिसका इस्तेमाल करते हुए आप शरीर में मौजूद अधिकांश बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।
तुलसी — संसार के विभिन्न औषधीय पौधों में तुलसी नामक पौधे में रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की विशिष्ट शक्ति पायी जाती है क्योंकि तुलसी के पत्तों में पीलापन लिए हुए हरे रंग का तेल विद्यमान होता है, जो उड़नशील होता है। यह तेल पत्तियों से निकलकर धीरे—धीरे हवा में फैलने लगता है। फलस्वरूप, तुलसी के निकट आने वाली वायु जहां भी जाती है उसके संपर्क में आने वाले समस्त लोगों के स्वास्थ्य के लिये सर्वोत्तम कही जाती है। और तो और, तुलसी की पत्ती, तना और बीज व्यक्ति के गठिया, वीर्य वृद्धि, लकवा तथा वात दर्द में भी फायदेमंद होते हैं और मन की शांति का अहसास दिलाते हैं।
शंखपुष्पी — अक्सर पढ़ाई में कमजोर रहने वाले बच्चों के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तना बुद्धिवर्धक माने जाते हैं। सो, परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों को सदैव शंखपुष्पी को प्रयोग में लेते हुए अपनी बुद्धि का अधिकाधिक विकास करना चाहिए जो हरेक लिहाज से उनके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
अजवायन— मसाले के रूप में मौजूद अजवायन रूपी अनमोल औषधीय पौधा शरीर में उत्पन्न होने वाले कब्ज , कफ, पेट दर्द, वायुगोला, सुखी खांसी, हैजा, अस्थमा तथा पथरी आदि अधिकांश रोगोपचार में अपनी अहम भूमिका निभाता है। इन सभी रोगों से छुटकारा पाने हेतु आप अजवायन के पौधे की विस्तृत जानकारी एकत्रित करते हुए इसकी पत्ती, तना एवं फूल को उपयोग में ला सकते हैं।
काली एवं सफेद मूसली — अपने शरीर को स्वस्थ व बलिष्ठ बनाये रखने हेतु मूसली अति आवश्यक समझी जाती है । चिकित्सकों की राय में, मूसली की जड़ यौनवर्धक, वीर्यवर्धक तथा शक्तिवर्धक होती है जिससे व्यक्ति का शारीरिक कष्ट भी छूमंतर हो जाता है। इसलिए इस अनोखे पौधे के गुणों —अवगुणों की सटीक जानकारी रखनी चाहिए, तभी आप स्वयं को स्वस्थ रख पायेंगे, वरना कतई नहीं।
मुलहठी — हर्बल पौधों में मुलहठी की जड़ को सर्दी , खांसी, जुकाम, अल्सर जैसे रोगों के शमन हेतु अक्सर उपयोग में लाया जाता है जिससे इस समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी आराम मिलता है। यदि आप भी उपरोक्त रोगों से चिंतित हैं तो समाधान के लिए इसकी जानकारी लेकर बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं। निस्संदेह, यह आपको चिंता से मुक्त कर देगी। चमेली — यूं तो फूलों की रानी कहलाने वाली चमेली की पत्ती एवं फूलों से सभी वाकिफ हैं किंतु मुंह के छाले की रूकावट को दूर करने में यह बहुत ही सक्षम है। इसके लिए भी जन सामान्य में पहचान एवं उपयोग संबंधी जानकारी अति आवश्यक है।