तर्ज-आए हो मेरी……………… center”200px]] हम सबकी प्रेरिका हैं, ये चन्दनामती माँ। हम इनकी छत्रछाया……….. हम इनकी छत्रछाया, में ही तो चाहें आना।।टेक.।। परिवार मोह त्यागा, वैराग्य मन में जागा। माँ ज्ञानमति को पाकर, अज्ञान मन का भागा।। जीवन में शान्ति चाहो…….. जीवन में शांति चाहो, तो गुरु की शरण आना। हम सबकी प्रेरिका हैं, ये चन्दनामती माँ।।१।। वाणी प्रभू ऋषभ की, जन-जन को है बताई। महावीर देशना से, नई चेतना है आई।। निज ज्ञान गुण के द्वारा………. निज ज्ञान गुण के द्वारा, लिखा ग्रंथों का खजाना। हम सबकी प्रेरिका हैं, ये चन्दनामती माँ।।२।। गणिनी श्री ज्ञानमति की, शिष्या हैं चन्दनामति। महका रही हैं उनकी, बगिया ये चन्दनामति।। इतिहास इनका ‘‘त्रिशला’’……… इतिहास इनका ‘‘त्रिशला’’ दोहराएगा जमाना। हम सबकी प्रेरिका हैं, ये चन्दनामती माँ।।३।।