पानी ९६.६० प्रतिशत – कार्बोहाइड्रेट ०.५० प्रतिशत – खनिज लवण ०.४० प्रतिशत – कैल्शियम ०.०१ प्रतिशत – प्रोटीन ०.५० प्रतिशत – फास्फोरस ०.०१ प्रतिशत – खनिज पदार्थ ०.४० प्रतिशत – ईथर विचूर्ण ०.१० प्रतिशत उपर्युक्त रासायनिक तत्वों के अलावा पपीते में टारटारिक, साइट्रिक एसिड तथा अन्य लवण भी पाये जाते हैं। इसमें विटामिन ए व सी भी होता है। ‘
पेपन नामक औषधि तत्व — पेपन नामक तत्व पपीते में ही पाया जाता है । यह बड़ा कीमती तत्व हैं। इससे शरीर पुष्ट होता है । पपेन कच्चे पपीते का दूध होता है । इसमें प्रोटीन को पचाने की शक्ति होती हैं।
पपीते के आयुर्वेदीय गुण —कच्चा पपीता एक मल रोधक तथा कफ, और वात को कुपित करने वाला होता है । किंतु पका फल खाने में मीठा, रुचिकर और पित्तनाशक भारी तथा सुस्वादिष्ट होता हैं। प्रकृतिक रूप से पके पपीते को खाने से पेट का दर्द, पेट के कीड़े भोजन के प्रति अरुचि, उदर शूल, आँतों में मल जमना, अजीर्ण (कब्ज) आदि रोग दूर हो जाते है। पपीते के १०० ग्राम गूदे में १४ क्लोरज होती है । पपीते में आँतों में जमें मल को खरोंचकर बाहर निकालने की शक्ति होती है। पपीता आँखों की रोशनी को बढ़ाता है। जिन लोगों को रतौंधी की बीमारी हो उन्हें पपीता जरूर सेवन करना चाहिए। पपीता पाचन शक्ति मजबूत कर भूख बढ़ाता है। पपीता विषनाशक है — पपीते में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की शक्ति हैं। पपीता मूत्र संबंधी विकारों को निकालकर गुर्दें की सफाई करता है। इसके खाने से गुर्दें में विषैले तत्व इकट्ठे ही नहीं हो पाते हैं।