कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रखने वाला कोई भी उपाय दिल के मरीजों को जीवन दान देता है । यही काम करती है तुलसी जो हिंदू परिवारों में अत्यंत पूजनीय पौधा है । यदि तुलसी के साथ ग्रीन टी हो तो क्या कहने। शोध तथा अनुभव दोनों बताते हैं कि तुलसी और ग्रीन चाय का नियमित सेवन व्यक्ति के कोलेस्ट्रॉल को आदर्श स्थिति में रखता है। शोधकर्ता कहते हैं कि ऐसा उपयोग करके कोरोनरी हृदय रोगों से बचा जा सकता है। पीजीआई चंडीगढ़ में आए शोध परिणाम इस प्रकार थे एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन विभाग में लंबे अध्ययन के बाद परिणाम आया है कि तुलसी और ग्रीन चाय कई ऐसी जीनों पर प्रभाव डालते हैं जो कोलेस्ट्रॉल मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करते हैं। एडिशनल प्रो. डा. डी. कौल के अनुसार शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा के नियंत्रित करने में इन जीनों की विशेष भूमिका रहती है उनका कहना है कि अगर ये जीन अनियंत्रित रहें तो कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ सकती है। प्रो. कौल का कहना है कि मानव के कई जीन ऐसे होते हैं जिनमें थोड़ी भी गडबड़ी हो तो कोलेस्ट्रॉल मेटाबोल्जिम गड़बडा सकता है। हार्ट डिजीज विशेषज्ञ भी तुलसी और ग्रीन टी को हार्ट डिजीज रोगियों के लिए काफी बेहतर मानते हैं, किंतु ये तभी फायदा देते हैं यदि इनका सेवन नियमित किया जाए। रोग के आरंभ में इनका उपयोग अधिक लाभ देता है। स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी यह फायदेमंद है। प्रो. अनिल ग्रोवर, जो पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग में कार्यरत हैं, का कहना है कि निश्चित रूप से तुलसी और ग्रीन चाय हार्ट डिजीज को नियंत्रित करते हैं। डा. कौल का कहना है कि इन दोनों का सेवन बीमारी के काफी मात्रा बढ़ जाने के बाद फायदा नहीं कर सकता।