शीत ऋतु में अहितकर आहार के सन्दर्भ में निम्नलिखत सुझावों पर ध्यान दें :-
१. शीत ऋतु में नठराग्नि बढ़ी होती है, अत: इसके लिए समुचित आहार की आवश्यकतास होती है। उपवास करने से अग्नि दोषों को और बाद में धातुओं को पचाने लगती है। अत: उपवास से बचें या फिर उपवास करना ही पड़े, तो एक समय भोजन व एक समय फलाहार लेकर करें। कई दिन तक लगातार उपवास न करें।
२. कटु, अम्ल व तीक्ष्ण (तीखा) आहार न लें।
३. ठंडा पानी न पीएं।
४. आइसक्रीम, कुल्फी, शीतल पेय आदि न लें।
५. चाय-कॉफी व अन्य व्यसनों से दूर रहें।
६. बासी व फ्रिज में रखे पदार्थ न खाएं।
७. जौ, मटर, बाजरा (बिना घी के), चना न खाएं।
८. यदि पाचन शक्ति मंद हो, तो भारी खाना खाने से बचें अथवा सुबह में लड्डू आदि खाएं, जो जब तक खुलकर भूख न लगे खाना न खाएं। लड्डू खाकर गरम दूध या गरम पानी पिएं, ठंडा पानी न पिएं। यदि भारी खाना खाने से अजीर्ण जैसा हो जाए, तो बार-बार आधा कप गरम पानी पिएं, ठंडा बिलकुल न पिएं।