मध्यलोक के मध्य में त्रसनाड़ी में ही असंख्यातों द्वीप-समुद्र हैं, ये एक दूसरे को वेष्टित किये हुये हैं। इनमें सर्वप्रथम द्वीप का नाम जंबूद्वीप है। यह थाली के समान आकार वाला है और एक लाख योजन विस्तृत है। इसमें बीचों-बीच में सुमेरु पर्वत है। यह एक लाख योजन ऊँचा है, इसी की ऊँचाई के बराबर मध्यलोक की ऊँचाई है। आगे ऊर्ध्वलोक-स्वर्गलोक प्रारंभ हो गया है।मध्यलोक में हिमवान आदि छह पर्वत हैं। ये ‘मणिविचित्रपार्श्वा-उपरिमूले च तुल्यविस्तारा:’ सूत्र के अनुसार ऊपर में मूल में एक समान विस्तार वाले हैं। घटते-बढ़ते जैसे नहीं है।