आज कल हृदय रोग की पीड़ा एक आम बीमारी है और हृदय गति के रूकने से मृत्यु एक आम बात हो गई है। भारी संख्या में हृदय रोग के पीड़ितों व मृत्यु को प्राप्त होने के बावजूद आम आदमी को इस रोग की गंभीरता के बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है। भोजन के रहन सहन के स्तर के संबंध में भी अनेक भ्रांतियां व्याप्त हैं। उचित हो कि प्रारंभ से ही हृदय रोग के प्रति उचित सावधानी बरतें और हर समय यह प्रयास करें कि यह प्राण घातक रोग आपके निकट न आ सके। यदि आपकी छाती में दर्द की शिकायत हो या पूर्व में हृदय रोग का आघात हो चुका है तो आप इन बातों की और गंभीरता से ध्यान दें।
भोजन
हृदय रोग का प्रमुख कारण आवश्यकता से अधिक चर्बीयुक्त भोजन करना है। आम स्वस्थ आदमी को एक दिन में अपनी कुशलता एवं शक्ति बनाए रखने के लिए २००० कैलोरी की जरूरत होती है। जब भोजन, चाय, चीनी व मदिरापान की अधिकता हो जाती है। तो जरूरी कैलोरी के बाद की अतिरिक्त कैलोरी चर्बी या मोटापे के रूप में आपके शरीर पर जमती जाती है और हृदय पर उसका दबाव बढ़ता है।
हृदय का मुख्य व मूलभूत कार्य शरीर की शिराओं व धमनियों में वह रहे रक्त को खींच कर उसे पुन: शुद्ध कर धमनी व शिराओं द्वारा वापस मांसपेशियों में भोजन होता है। प्राकृतिक रूप से हृदय में आवश्यकतानुसार रक्तसींचन व शोधन शक्ति है और संतुलित शरीर को हृदय अपनी क्षमता से कुशलतापूर्वक रक्तपूर्ति का कार्य करता है। अतिरिक्त चर्बी जीवित मांसपेशियों आप लाइव टिशूज में जमा होती है और इसके फलस्वरूप अधिक रक्त की मांग की पूर्ति हृदय को करनी पड़ती है, अत: जब हृदय अपनी क्षमता से अधिक और अतिरिक्त कार्य करता है तो उस पर लगातार बढ़ते दबाव का प्रभाव होता है। फलस्वरूप अपनी शक्ति क्षीण हो जाने के कारण समय से पहले ही काम करना बंद कर देता है और हृदय गति रूक जाने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। अत: हृदय पर अधिक या अतिरिक्त बोझ डालने से बचिए। अतिरिक्त बोझ आपकी अकाल मृत्यु को निकट ला सकता है।
क्या नहीं खायें
जीवन डोर लंबी बनाये रखने के लिए वसायुक्त भोजन जैसे घी, मलाई, मक्खन, पेस्ट्री आइस्क्रीम, तले भोजन , समोसा,पराठे आदि त्याग दें।
क्या खाना उचित और लाभदायक
सादा, ताजा और वसा रहित भोजन उचित है। सूखी रोटी (चपातियां) सादा चावल व ब्रेड खाना अच्छा है, साथ ही हरी सब्जियां, मटर, फलियां, खीरा, आदि खूब खायें। मक्खन विहीन छाछ पियें। भोजन पकाने में घी का उपयोग नहीं करके, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अलसी आदि के द्वारा तैयार तेल का उपयोग उचित है।
निषेध
तंबाकू का सेवन धूम्रपान अथवा मदिरापान को एकदम त्याग देना चाहिए। यदि शराब की लत लग गई हो और उसे त्याग नहीं सकते तो मात्रा कम से कम कर दें। उत्तेजना अथवा रक्तचाप बढ़ाने वाला कोई भी पदार्थ नहीं लें।
संयत—जीवन यापन
हृदय रोग से बचाव के लिए जीवन के प्रति दार्शनिक रूख अपनायें और उत्तेजक भाषण और वाद विवाद से सदैव बचने का प्रयास करें। संकट की स्थिति में भी धैर्य और शांत बने रहना ही उचित है। अधिक तनावपूर्ण स्थिति में तनाव कम करने वाली दवाई ली जा सकती है। हृदय—रोगी के लिए अच्छी नींद उत्तम टानिक का काम कारती है अत: शांति से सात या आठ घंटे कर नींद सेहत के लिए सदैव गुणकारी है। हृदय रोग जटिल अवश्य है, परंतु उस पर आप अपने संयम तथा सादा और शांतिपूर्ण जीवनयापन से विजय प्राप्त कर सकते हैं। हृदय रोगी को जब भी सीने में दर्द हो और वह रूके नहीं तो यथाशीघ्र डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।