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हे ज्ञानमूर्ति, मां ज्ञानमती, तव ज्ञान किरण यदि पा जाऊं!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
हे ज्ञानमूर्ति माँ ज्ञानमती
तर्ज—हे वीर……
हे ज्ञानमूर्ति, मां ज्ञानमती, तव ज्ञान किरण यदि पा जाऊं।
अज्ञान अंधेरा दूर भगा, निज ज्ञानज्योति को प्रगटाऊँ।।टेक.।।
उपकार करूँ सारे जग का, यह भाव हृदय में आता है।
दु:खियों को देख हृदय रोता, मन करुणा से भर जाता है।।
दो शक्ति मुझे मैं सब जग का, दु:ख दूर स्वयं ही कर पाऊँ।।
अज्ञान अंधेरा दूर भगा, निज ज्ञानज्योति को प्रगटाऊँ।।१।।
भारत इक था गुलजार चमन, हिंसा ने उसको नष्ट किया।
सच्चाई के इस उपवन को, स्वार्थी तत्वो ने भ्रष्ट किया।।
ऐसी शक्ती मैं प्रगट करूँ, जो विश्वशांति को ला पाऊँ।
अज्ञान अंधेरा दूर भगा, निज ज्ञानज्योति को प्रगटाऊँ।।२।।
भगवान न यदि बन सकूँ तो मैं, इंसान की श्रेणी पा जाऊँ।
यदि साधु नहीं बन सकूँ तो मैं, सज्जन की श्रेणी पा जाऊँ।
निज पर को भी ‘‘चंदनामती’’, मैं सज्जनता सिखला पाऊँ।
अज्ञान अंधेरा दूर भगा, निज ज्ञानज्योति को प्रगटाऊँ।।३।।
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