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हे प्रभु! मैं अपने आतम, में ऐसा रम जाऊँ!
June 13, 2020
भजन
jambudweep
हे प्रभु! मैं अपने आतम
तर्ज—मैं चंदन बनकर………………………………………..
हे प्रभु! मैं अपने आतम, में ऐसा रम जाऊँ।
संसार के बन्धन से, मैं मुक्त हो जाऊँ।। हे प्रभु……।। टेक.।।
संकल्प विकल्पों का यह,सागर संसार है
सागर की तरंगों से अब, मैं ऊपर उठ जाऊँ।। हे प्रभु……।।१।।
दु:खों की पर्वतमाला, कब टूट पड़ेगी मुझ पर।
उस पर्वत पर हे भगवन!, मैं वैसे चढ पाऊँ ।। हे प्रभु……।।२।।
आतम सुख के अमृत में, मैं डूब गया अब स्वामी।
उसका आस्वादन लेकर, ‘चंदनामती’ सुख पाऊँ।। हे प्रभु……।।३।।
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