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हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन!
June 18, 2020
भजन
jambudweep
हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन
तर्ज—वह शक्ति……
हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन।
हे धर्म अहिंसा के नेता, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन।।टेक.।।
उपकार करूँ सारे जग का, यह भाव हृदय में आता है।
दु:खियों को देख हृदय रोता, मन करुणा से भर जाता है।।
दो शक्ति मुझे मैं सब जग का, दुख दूर कर सकूँ कभी स्वयं।
हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन।।१।।
भारत इक था गुलजार चमन, हिंसा ने उसको नष्ट किया।
सच्चाई के इस उपवन को, स्वार्थी तत्वों ने भ्रष्ट किया।।
ऐसी शक्ती हो प्रगट सभी में, विश्वशांति से करूँ चमन।
हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन।।२।।
भगवान न यदि बन सकूँ तो मैं, इंसान की श्रेणी पा जाऊँ।
यदि साधु नहीं बन सकूँ तो मैं, सज्जन की श्रेणी पा जाऊँ।।
है भाव यही ‘चंदनामती’, खिल जावे भारत का उपवन।
हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री शांतिनाथ प्रभु तुम्हें नमन।।३।।
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