मणुवत्तणसुहमतुलं देवकयं सेविऊण वासाइं।
अट्ठावीसं सत्त या मासे दिवसे य वारसयं।।२५।।
अट्ठाईस वर्ष, सात माह ओैर बारह दिन तक देवों के द्वारा किए गए मनुष्य सम्बन्धी अनुपम सुख का सेवन किया। (जयधवला पु॰ १,पृ॰७८)