ततस्तमृषभं नाम्ना प्रधान पुरुषं सुराः।
युगाद्यमभिधायेत्थं शक्राद्याः स्तोतुमुद्यताः ।।१९६।।
तदनन्तर युग के आदि में हुए उन प्रधान पुरुष का ऋषभदेव नाम रखकर इन्द्र आदि देव उनकी इस प्रकार स्तुति करने के लिए तत्पर हुए ।।१९६।। ( हरिवंशपुराण,सर्ग-८,पृ॰ १६१)