स श्रेयान् ब्रह्मदत्तश्च सुरेन्द्र इव संपदा। राजा सुरेन्द्रदत्तोऽन्य इन्द्रदत्तश्च पद्मकः।।२४५।।
सोमदत्तो महादत्तःसोमदेवस्य पुष्पकः। पुनर्वसुःसुनन्दश्च जयश्चापि विशाखकः।।२४६।।
धर्मसिंहः सुमित्रश्च धर्ममित्रोऽपराजितः। नन्दिषेणश्च वृषभदत्तो दत्तश्च सन्नयः।।२४७।।
वरदत्तश्च नृपतिर्धन्यश्च वकुलस्तथा। पारणासु जिनेन्द्रेभ्यो दायकाश्च त्वमी स्मृताः।।२४८।।’
१. राजा श्रेयांस, २. ब्रह्मदत्त, ३. सम्पत्ति के द्वारा सुरेन्द्र की समानता करने वाला राजा सुरेन्द्रदत्त, ४. इन्द्रदत्त, ५.पद्मक, ६. सोमदत्त, ७. महादत्त, ८. सोमदेव, ९.पुष्पक, १०. पुनर्वसु, ११. सुनन्द, १२. जय, १३.विशाख, १४. धर्मसिंह, १५.सुमित्र, १६.धर्ममित्र,१७.अपराजित, १८. नन्दिषेण, १९. वृषभदत्त, २०.उत्तमनीति का धारक दत्त, २१ वरदत्त, २२. नृपति, २३.धन्य और २४ बकुल ये वृषभादि तीर्थंकरों को प्रथम पारणाओं के समय दान देने वाले स्मरण किये गये हैं ।।२४५-२४८
( हरिवंशपुराण,सर्ग-६०,पृ॰ २४४)