ज्ञानाप्तिःपूर्वतालेन्त्या वृषस्य सकटामुखे। ऊर्जयन्ते गिरौ नेमेः पार्श्र्वस्याप्याश्रमान्तिके।।२५४।।
वीरस्य केवलोत्पाद ऋजुकुलासरित्तटे। अन्येषां तु जिनेन्द्राणां स्वोद्यानेषु यथायथम्।।२५५।।
वृषभनाथ भगवान् को पूर्वताल नगर के शकटामुख वन में, नेमिनाथ को गिरिनार पर्वत पर, पार्श्र्वनाथ भगवान को आश्रम के समीप,महावीर भगवान को ऋजुकूला नदी के तट पर और शेष तीर्थंकरों को अपने-अपने नगर के उद्यान में ही केवलज्ञान उत्पन्न हुआ था। (हरिवंशपुराण, सर्ग—६०, पृ. ७२४, ४२५)