इज्यां वार्तां च दिंत्त च स्वाध्यायं संयमं तपः।
श्रुतोपासकसूत्रत्त्वात स तेभ्यः समुपादिशत्।।२४।।
भरत ने उन्हें उपासकाध्ययनांग से इज्या, वार्ता,दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप का उपदेश दिया। (आदिपुराण भाग—२ पृ. २४१)