पूज्या ज्ञानमती माताजी द्वारा कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन को जम्बूद्वीप धर्मपीठ का नूतन पीठाधीश बनाकर उन्हें स्वस्तिश्री कर्मयोगी पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी के नाम से अलंकृत किया गया है, यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई। पूज्य रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी के पदारोहण के उपलक्ष्य में ‘‘सम्यग्ज्ञान मासिक पत्रिका’’ का जनवरी २०१२ का अंक विशेषांक रूप में भी प्रकाशित किया गया है।
पूज्य रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी का मेरा प्रथम परिचय अमेरिका में नव शताब्दी २०वीं-२१वीं के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले विश्वधर्म सम्मेलन के अवसर पर आया। जैन समाज की ओर से विश्व पटल पर उनका ही प्रबोधन हुआ। उन्हें पूजनीया ज्ञानमती माताजी का शुभाशीर्वाद प्राप्त था। उसके पश्चात् मेरे ध्यान में आया कि माताजी के अत्यन्त कठिन प्रकल्पों का भार भी उन्होंने उठाया है, अयोध्या जो पाँच तीर्थंकरों की जन्मभूमि रही है, वहाँ मुझे यह अनुभव हुआ।
प्रयाग में आदि तीर्थंकर ऋषभदेव जी महाराज की तपस्थली तथा महावीर स्वामी जी की कुण्डलपुर में जन्मस्थली के निर्माण के समय उनकी अहम भूमिका रही है। हस्तिनापुर का महान तीर्थ उनका सेवा क्षेत्र रहने वाला है। मेरा पूज्य माताजी की कृपा से उनसे अत्यन्त घनिष्ट संबंध रहा है और आज में अत्यन्त आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ। पूज्य रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी पूज्या माताजी द्वारा किए गए कार्यों को और आगे बढ़ाएंगे, यह आशा करता हूँ।
परमात्मा उनको शक्ति प्रदान करे, यह प्रार्थना है। परमपिता परमात्मा के श्रीचरणों में प्रार्थना है कि पूज्या माता ज्ञानमती जी को स्वस्थ रखते हुए दीर्घायु प्रदान करें। साष्टांग प्रणाम सहित,