
पूज्य माताजी, पूज्य रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी, सेठी जी, उपस्थित महानुभाव! स्वामी जी का पद आज जिन्हें प्रदान किया गया है, ऐसे भाई जी से एक निवेदन करना है। जैसे सेठी जी ने कहा कि स्वामी सबका होता या एक का होता है। आप सबके स्वामी बनें बुन्देलखंड के तथा सारे देश के तीर्थ आपके हैं और आप स्वामी बने हैं सबके।
एक बार माताजी से विनम्र प्रार्थना करना है और आपसे, पूज्य क्षुल्लक गणेश प्रसाद जी वर्णी मुनि हो गये किन्तु आज उनको सब वर्णी जी के नाम से ही जानते हैं। इसलिए आप स्वामी भले ही हो गये हैं लेकिन हम लोगों का यह अधिकार सुरक्षित है, भाई जी में भी हमारी भावना स्वामी जी की है। निवेदन करना है कि ‘परवाह नहीं, दुनिया खिलाफ हो, रास्ता वही चलना, जो सच्चा और साफ हो।’
अभी माताजी शांतिसागर की जय बोल रही थी उसी परंपरा के आप सब लोग हैं मैंने निवेदन किया था कि शांतिसागर जी की उपसर्ग स्थली द्रोणगिरी है इस उपसर्ग स्थली का आपको विकास करना है और उसके लिये आपसे प्रार्थना करता हूं एक बार पधारें और शांतिसागर जी परम्परा को आगे बढ़ाने में सहयोग प्रदान करें।
आपको भाई जी पुकारते हैं जैसे वर्णी को वर्णीजी पुकारते हैं भले ही वे मुनि हो गये थे। आपके चरणों में सविनय वंदना करते हुए मैं द्रोणगिरि सिद्धक्षेत्र के दर्शन हेतु आपको सादर आमंत्रित करता हूँ।
