१. भगवान ऋषभदेव का समवसरण १२ योजन (९६ मील)
२. भगवान अजितनाथ का समवसरण योजन (९२ मील)
३. भगवान संभवनाथ का समवसरण ११ योजन (८८ मील)
४. भगवान अभिनंदननाथ का समवसरण योजन (८४ मील)
५. भगवान सुमतिनाथ का समवसरण १० योजन (८० मील)
६. भगवान पद्मप्रभ का समवसरण योजन (७६ मील)
७. भगवान सुपार्श्वनाथ का समवसरण ९ योजन (७२ मील)
८. भगवान चंद्रप्रभ का समवसरण योजन (६८ मील)
९. भगवान पुष्पदंतनाथ का समवसरण ८ योजन (६४ मील)
१०. भगवान शीतलनाथ का समवसरण योजन (६० मील)
११. भगवान श्रेयांसनाथ का समवसरण ७ योजन (५६ मील)
१२. भगवान वासुपूज्यनाथ का समवसरण योजन (५२ मील)
१३. भगवान विमलनाथ का समवसरण ६ योजन (४८ मील)
१४. भगवान अनंतनाथ का समवसरण योजन (४४ मील)
१५. भगवान धर्मनाथ का समवसरण ५ योजन (४० मील)
१६. भगवान शांतिनाथ का समवसरण योजन (३६ मील)
१७. भगवान कुंथुनाथ का समवसरण ४ योजन (३२ मील)
१८. भगवान अरनाथ का समवसरण योजन (२८ मील)
१९. भगवान मल्लिनाथ का समवसरण ३ योजन (२४ मील)
२०. भगवान मुनिसुव्रतनाथ का समवसरण योजन (२० मील)
२१. भगवान नमिनाथ का समवसरण २ योजन (१६ मील)
२२. भगवान नेमिनाथ का समवसरण योजन (१२ मील)
२३. भगवान पार्श्वनाथ का समवसरण योजन (१० मील)
२४. भगवान महावीर स्वामी का समवसरण १ योजन (८ मील)
समवसरण में प्रवेश करते ही चारों गली में दिव्य रत्नमय मानस्तंभ हैं जो कि भगवान से बारहगुने ऊँचे हैं। जैसे कि-भगवान शांतिनाथ के शरीर की ऊँचाई १६० हाथ है अत: ये बारहगुणे अर्थात् १६०²१२·१९२० हाथ ऊँचे हैं। बीस योजन तक प्रकाश फ़ैलाते हैं। इनके दर्शन से मानी का मान गलित हो जाता है और वह भव्यात्मा सम्यग्दृष्टि बनकर अनंत संसार को सीमित कर लेता है।
केवली भगवान के प्रभाव से चारों तरफ चार सौ कोस तक सुभिक्षता, हिंसा और उपसर्गादि का अभाव, सभी जन्मजात शत्रु-सिंह, हिरण आदि का आपस में मैत्री भाव, छहों ऋतुओं के फल-फूलों का एक साथ आ जाना आदि अतिशय हो जाते हैं।
भगवान के श्रीविहार में आकाश में अधर, उनके चरण के नीचे देवगण स्वर्णमय सुगंधित दिव्य कमलों को रचते जाते हैं और अिंहसा धर्म के दिग्विजय को सूचित करता हुआ ‘धर्मचक्र’ भगवान के आगे-आगे चलता है एवं सरस्वती-लक्ष्मी देवी आजू-बाजू में चलती हैं। आकाशगामी ऋद्धिधारी साथ में चलते हैं, असंख्य देव-देवियाँ, इन्द्रादिगण पीछे-पीछे चलते हैं एवं साधारण मुनि, आर्यिकाएं, मनुष्य, पशु आदि नीचे-नीचे चलते हैं। जहाँ भगवान रुक जाते हैं वहाँ पुन: कुबेर समवसरण की रचना कर देता है।