आवश्यक पठितव्य-
मुनियों के तेरह प्रकार के चारित्र प्रसिद्ध हैं। पाँच महाव्रत, पाँच समिति और तीन गुप्ति। पाँच महाव्रत के अनंतर रात्रिभोजन त्यागरूप में छठा अणुव्रत भी माना है। मूलाचार में एवं श्री गौतमस्वामी के मुखकमल से निर्गत मुनि, आर्यिकाओं के दैवसिक–रात्रिक एवं पाक्षिक प्रतिक्रमण में इस छठे अणुव्रत का बहुत बार उल्लेख आता है। टीकाकारों ने स्पष्ट किया है कि महाव्रत पाँच ही होते हैं। चूंकि साधु दिन में एक बार ही भोजन करते हैं अत: यह रात्रिभोजन त्याग छठा अणुव्रत ही है, महाव्रत नहीं है।इ्ना चारित्रशुद्धिव्रत के मंत्रों में इन तेरह विध चारित्र के भेदों में मन, वचन, काय को कृत, कारित, अनुमोदना से गुणित करने पर नव भेद हो जाते हैं अत: हरिवंशपुराण ग्रंथ के आधार से ये मंत्र १२३४ हो जाते हैं।
अन्यत्र छपी पुस्तकों में मंत्रों में समिति और गुप्ति के मंत्रों में भी महाव्रत लगाया है सो अनुचित है चूंकि ‘सर्वदोष प्रायश्चित्त विधि’ मंत्र ३३ हैं उनमें भी समिति और गुप्ति में महाव्रत शब्द का प्रयोग नहीं है। (आगे देखें)
इस १२३४ व्रत को करने की परंपरा उपवास या अल्पाहार आदि से मुनियों में आर्यिकाओं में तो है ही, श्रावक–श्राविकाओं में भी प्रचलित हैै।
इसी प्रकार से जो ब्रह्मचर्य व्रत के १८० मंत्र हैं उनमें पुरुषवर्ग के लिए करने योग्य मंत्र हैं। यथा–
ॐ ह्रीं मनसाकृत नरस्त्रीस्पर्शनेन्द्रिय विषयाब्रह्मविरति महाव्रत-प्रोषधोद्योतनाय नम:। महिलाओं के प्रश्न आते हैं कि आप हमें ब्रह्मचर्यव्रत देते समय पुरुष के साथ संपर्क त्याग का नियम देते हैं न कि महिलाओं के संपर्क त्याग का, अत: ब्रह्मचर्यव्रत की भावना या शुद्धि हेतु ये मंत्र वैâसे जपना? आदि।
मैंने इन १८० मंत्रों में से ‘स्त्रीवाचक` शब्द निकाल कर जपने को लिखा है। अत: ये १८० मंत्र पुन: जोड़े हैं सभी आचार्य, मुनि और आर्यिकाएं इस विषय पर ध्यान दें और स्वयं आगे छपाने में स्त्रियों के लिए ऐसे मंत्र अवश्य जोड़ें तथा समिति और गुप्ति के मंत्रों से मैंने ‘महाव्रत` शब्द निकाल दिया है, ‘सर्वदोषप्रायश्चित्तविधि` मंत्रों के आधार से एवं महाव्रत पांच ही हैं, इस कथन के अनुसार ही संशोधन किया है।
इसी प्रकार सत्यमहाव्रत के मंत्रोें में भी हरिवंशपुराण के आधार से श्लोक में नाम अलग हैं और आगे मंत्रों में कुछ अंतर है वह भी विचारणीय था अत: सुधारा है।
यथा–‘भीर्ष्या–स्वपक्ष–पैशून्य–क्रोध–लोभात्मशंसनै:। द्वासप्ततिर्नवघ्नैस्ते परनिन्दान्वितैरिति।।१०१।।’
(विधि–चारित्रशुद्धि पृ. ३)
असत्य भाषण ८ प्रकार से होता है, जैसे–भी–भय, ईर्ष्या, स्वपक्ष–समर्थन, चुगुलखोरी, क्रोध, लोभ, आत्मप्रशंसा और पर की निन्दा।
मंत्र इस प्रकार हैं–‘‘ॐ ह्रीं मनसा कृताभिख्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।’’
यहां ‘अभिख्यासत्य’ का अर्थ मेरी समझ में नहीं आया है। मैंने मंत्र दिया है–
‘‘ॐ ह्रीं मनसा कृतभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।’’
आगे ‘ईर्ष्या’ का मंत्र इसमें नहीं है उस जगह पर परपक्ष– असत्य है तथा परनिंदा असत्य की जगह ‘पराप्रशंसनासत्य’ है। अत: ये मंत्र भी मैंने संशोधित किये हैं। यथा–
अन्यत्र से छपी हुई ‘चारित्रशुद्धिव्रत` पुस्तक में छपे मंत्र–
ॐ ह्रीं मनसा कृताभिख्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसाकृत स्वपक्षासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसाकृत परपक्षासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसाकृत पैशुन्यासत्यसत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसाकृत क्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसाकृत लोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसा कृतात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ॐ ह्रीं मनसाकृत पराप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
मैंने जो मंत्र संशोधित किए हैं–उनमें एक–एक नमूने यहाँ दिये हैं।
१. ॐ ह्रीं मनसा कृतभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
२. ॐ ह्रीं मनसा कृतेर्ष्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
३. ॐ ह्रीं मनसा कृतस्वपक्षपुष्टि–असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधो-द्योतनाय नम:।
४. ॐ ह्रीं मनसा कृतपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
५. ॐ ह्रीं मनसा कृतक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
६. ॐ ह्रीं मनसा कृतलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
७. ॐ ह्रीं मनसा कृतात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
८. ॐ ह्रीं मनसा कृतपरनिन्दासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नम:।
ऐसे ही अन्यत्र से छपी पुस्तक में अचौर्यव्रत में ‘उपधि अदत्तविरति’ छूटा है अत: ‘पानादत्तग्रहणविरति’ के स्थान पर ‘उपधिअदत्तविरति’ मंत्र दिया है।
इसी प्रकार एषणासमिति में ४६ दोषों में ‘व्यपनिक’ और ‘चित्रयोग’ दोष आये हैं। उनके स्थान पर मूलाचार के अनुसार ‘वनीपक’ और ‘चूर्णदोष’ के मंत्र दिये हैं तथा ‘सर्वदोष प्रायश्चित्त विधि’ के ३३ मंत्रों में महाव्रत के बाद पाँच समितियों को पुन: तीनगुप्तियों को लिया है। इसी क्रम से मैंने इन मंत्रों को रखा है अत: इस संशोधित ग्रंथ के अनुसार ही १२३४ व्रत करने वाले सभी साधुवर्ग–मुनिगण–आर्यिकागण और श्रावक–श्राविकागण जाप्य करें, ऐसी मेरी प्रेरणा है। जो रत्नत्रय में अनुरागी मुमुक्षुवर्ग सम्यग्दर्शन, ज्ञान सहित इन तेरह प्रकार के चारित्र का व्रत करेंगे वे निश्चित ही अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने में सफल होंगे। यह व्रत सभी के स्वात्मसिद्धि में निमित्त बनें, यही मेरी मंगल कामना है।
हरिवंशपुराण के आधार से-
अनुष्टुप्- चतुर्दशस्वहिंसार्थं जीवस्थानेषु भाविता:। त्रियोगनवकोटिघ्ना, ते षड्विंशं शतं स्फुटम्।।१००।।
भीर्ष्यास्वपक्षपैशुन्यक्रोधलोभात्मशंसनै:। द्वासप्ततिर्नवघ्नैस्ते परनिन्दान्वितैरिति।।१०१।।
ग्रामारण्यखलैकान्तैरन्यत्रोपध्यभुक्तवैâ:। सपुष्टग्रहणै: प्राग्वद्द्वासप्ततिरमी मता:।।१०२।।
नृदेवाचित्ततिर्यक्स्त्रीरूपै: पञ्चेन्द्रियाहतै:। नवघ्नै: ब्रह्मचर्यै: स्यु:, शतं तेऽशीतिमिश्रितम्।।१०३।।
उपजाति:- चतुष्कषाया नव नोकषाया, मिथ्यात्वमेते द्विचतु:पदे च।
क्षेत्रं च धान्यं च हि कुप्यभाण्डे, धनं च यानं शयनासनं च।।१०४।।
अन्तर्बहिर्भेदपरिग्रहास्ते, रन्धैश्चतुर्विंशतिराहतास्तु।
ते द्वे शते षोडशसंयुते स्युर्महाव्रते स्यादुपवासभेदा:।।१०५।।
अनुष्टुप्- षष्ठे दशोपवासा: स्युरनिच्छा नव कोटिभि:। प्रत्येकं नव विज्ञेया, त्रिगुप्तिसमितित्रिके।।१०६।।
आर्या- भावोपमाव्यवहारप्रतीत्यसंभावनासुभाषायाम्। जनपदसंवृतिनामस्थापनारूपा दश नवघ्ना:।।१०७।।
अनुष्टुप्- षट्चत्वारिंशद्दोषानेषणासमितौ मतान् । नवघ्नान् विघ्नितुं कार्यास्तावन्त उपवासका:।।१०८।।
त्रयोदशविधस्यैव चारित्रस्य विशुद्धये। विधौ चारित्रशुद्धौ स्युरुपवासा: प्रकीर्तिता:।।१०९।।
पाँच महाव्रत, तीन गुप्ति, पाँच समिति के भेद से चारित्र के तेरह भेद हैं। चारित्रशुद्धि विधि में इन सबकी शुद्धि के लिए पृथक्-पृथक् उपवास करने की प्रेरणा दी गई है। प्रथम ही अहिंसा महाव्रत है सो १. बादर एकेन्द्रियपर्याप्तक २. बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तक ३. सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक ४. सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तक ५. द्वीन्द्रिय पर्याप्तक ६. द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक ७. त्रीन्द्रिय पर्याप्तक ८. त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक ९. चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक १०. चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक ११. असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक १२. असंज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक १३. संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक और १४. संज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक। इन चौदह प्रकार के जीवस्थानों की हिंसा का त्याग मन-वचन-काययोग तथा कृत-कारित- अनुमोदना (३²३·९) इन नौ कोटियों से करना चाहिए। इस अभिप्राय को लेकर प्रथम अहिंसा व्रत के एक सौ छब्बीस उपवास होते हैं और एक-एक उपवास के बाद एक-एक पारणा होने से एक सौ छब्बीस ही पारणाएँ होती हैं।।१००।।
दूसरा सत्य महाव्रत है सो १. भय २. ईर्ष्या ३. स्वपक्ष पुष्टि ४. पैशुन्य ५. क्रोध ६. लोभ ७. आत्मप्रशंसा और ८. परनिन्दा। इन आठ निमित्तों से बोले जाने वाले असत्य का पूर्वोक्त नौ कोटियों से त्याग करना चाहिए। इस अभिप्राय को लेकर द्वितीय सत्य महाव्रत के बहत्तर उपवास होते हैं तथा उपवास के बाद एक-एक पारणा होने से बहत्तर ही पारणाएँ होती हैं।।१०१।।
तीसरा अचौर्य महाव्रत है सो १. ग्राम २. अरण्य ३. खलिहान ४. एकान्त ५. अन्यत्र ६. उपधि ७. अभुक्तक और ८. सपुष्टग्रहण। इन आठ भेदों से होने वाली चोरी का पूर्वोक्त नौ कोटियों से त्याग करना चाहिए। इस अभिप्राय को लेकर तृतीय अचौर्य महाव्रत में बहत्तर उपवास होते हैं तथा प्रत्येक उपवास की एक-एक पारणा होने से बहत्तर ही पारणाएँ होती हैं।।१०२।।
चौथा ब्रह्मचर्य महाव्रत है सो मनुष्य, देव, अचित्त और तिर्यंच इन चार प्रकार की स्त्रियों का प्रथम ही स्पर्शनादि पाँच इन्द्रियों और तदनन्तर पूर्वोक्त नौ कोटियों से त्याग करना चाहिए। इस अभिप्राय को लेकर ५²४·२०²९·१८० एक सौ अस्सी उपवास होते हैं और इतनी ही पारणाएँ होती हैं।।१०३।।
पाँचवाँ परिग्रह त्याग महाव्रत है। सो चार कषाय, नौ नोकषाय और एक मिथ्यात्व इन चौदह प्रकार के अन्तरंग और दोपाये, (दासी-दास आदि) चौपाये, (हाथी-घोड़ा आदि) खेत, अनाज, वस्त्र, बर्तन, सुवर्णादि धन, यान (सवारी), शयन और आसन-इन दस प्रकार के बाह्य, दोनों मिलाकर चौबीस प्रकार के परिग्रह का नौ कोटियों से त्याग करना चाहिए। इस अभिप्राय को लेकर परिग्रहत्याग महाव्रत में दो सौ सोलह उपवास होते हैं और इतनी ही पारणाएँ होती हैं।।१०४-१०५।।
छठा रात्रिभोजन त्याग अणुव्रत यद्यपि तेरह प्रकार के चारित्रों में परिगणित नहीं है तथापि गृहस्थ के संबंध से मुनियों पर भी असर आ सकता है अर्थात् गृहस्थ द्वारा रात्रि में बनायी हुई वस्तु को मुनि जानबूझकर ग्रहण करे तो उन्हें रात्रिभोजन का दोष लग सकता है। इस प्रकार के रात्रिभोजन का नौ कोटियों से त्याग करना चाहिए तथा अनिच्छा-दूसरे की जबर्दस्ती से भी रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए। इस भावना को लेकर रात्रिभोजन त्याग व्रत में दश उपवास होते हैं और दश ही पारणाएँ होती हैं। मनोगुप्ति, वचनगुप्ति और कायगुप्ति इन तीन गुप्तियों तथा ईर्या, आदान-निक्षेपण और प्रतिष्ठापन समिति इन तीन समितियों में प्रत्येक के नौ कोटियों की अपेक्षा नौ-नौ उपवास होते हैं अर्थात् तीन गुप्तियों के सत्ताईस उपवास और सत्ताईस पारणाएँ हैं तथा उपरिकथित तीन समितियों के भी सत्ताईस उपवास और सत्ताईस पारणाएँ जाननी चाहिए।।१०६।।
भाषा समिति में १. भाव सत्य २. उपमा सत्य ३. व्यवहार सत्य ४. प्रतीत सत्य ५. सम्भावना सत्य ६. जनपद सत्य ७. संवृत्ति सत्य ८. नाम सत्य ९. स्थापना सत्य और १०. रूप सत्य इन दश प्रकार के सत्य वचनों का नौ कोटियों से पालन करना पड़ता है। इस अभिप्राय को लेकर भाषा समिति में नब्बे उपवास होते हैं तथा इतनी ही पारणाएँ होती हैं।।१०७।।
और एषणा समिित में नौ कोटियों से लगने वाले छियालिस दोषों को नष्ट करने के लिए चार सौ चौदह उपवास होते हैं तथा उतनी ही पारणाएँ होती हैं।।१०८।।
इस प्रकार तेरह प्रकार के चारित्र को शुद्ध रखने के लिए चारित्रशुद्धि व्रत में सब मिलाकर एक हजार दो सौ चौंतीस उपवास कहे हैं तथा इतनी ही पारणाएँ कही गई हैं। इस व्रत में छह वर्ष दश माह आठ दिन लगते हैं।।१०९।।
इस प्रकार १२३४ उपवास व इतने ही पारणे होते हैं।
विधि-प्रथम उपवास प्रथम पारणा, द्वितीय उपवास द्वितीय पारणा, तीसरा उपवास तीसरा पारणा, इस प्रकार आगे-आगे करते रहने से यह व्रत ६ वर्ष १० महीने और ८ दिन में पूर्ण होता है और महीने में १० उपवास करने पर १० वर्ष साढ़े तीन मास में पूर्ण होते हैं।कदाचित् ऐसी शक्ति न हो तो बीच-बीच में भी उपवास किये जा सकते हैं और २५-३० वर्ष में समाप्त किये जा सकते हैं पर उपवासों की संख्या कुल १२३४ होनी चाहिए।जो महानुभाव इस व्रत को निरतिचार पालन करते हैं उनके १३ प्रकार का निर्मल चारित्र पलता है। इस व्रत का विधान हरिवंशपुराण के ३४वें सर्ग से लिया गया है।
कथा-मगध देश में राजगृही नगर का स्वामी राजा श्रेणिक न्यायपूर्वक राज्य शासन करता था। उसकी परम सुन्दरी और जिनधर्मपरायण श्रीमती चेलना पट्टरानी थी, सो जब विपुलाचल पर महावीर भगवान का समवसरण आया, तब राजा प्रजा सहित वंदना को गया और वंदना-स्तुति करके मनुष्यों की सभा में बैठकर धर्मोपदेश सुनने लगा।पश्चात् राजा ने पूछा-हे प्रभु! षोडशकारण व्रत से तो तीर्थंकर पद मिलता ही है, परन्तु क्या अन्य प्रकार से भी मिल सकता है, सो कृपाकर कहिए। तब गौतम स्वामी ने कहा-राजन् सुनो! जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के आर्यखण्ड में अवन्ती देश है, वहाँ उज्जयिनी नगरी है, जहाँ हेमवर्र्मा राजा अपनी शिवसुन्दरी रानी सहित राज्य करता था।
एक दिन राजा वनक्रीड़ा करने को वन में गया था और वहाँ चारण मुनिराज को देखकर नमस्कार किया तथा मन में समताभाव धरकर विनय सहित पूछने लगा-भगवन्! कृपा करके बताइये कि मैं किस प्रकार तीर्थंकर पद प्राप्त करके मोक्ष प्राप्त करूँ? तब श्री गुरु ने कहा-राजन्! तुम बारह सौ चौंतीस व्रत करो। यह व्रत भादों सुदी १ से प्रारंभ होता है इसमें १२३४ उपवास करना चाहिए। एक महीने में १० उपवास करने पर यह व्रत दश वर्ष और साढ़े तीन माह में पूरा होता है। व्रत के दिन आरंभ परिग्रह का त्याग कर भक्ति और पूजन में निमग्न रहे और ‘ॐ ह्रीं असिआउसा चारित्रशुद्धिव्रतेभ्यो नम:’ इस मंत्र का १०८ बार जाप करें। जब व्रत पूरा हो जावे, तब उद्यापन करें।झारी, थाली, कलश आदि उपकरण चैत्यालय में भेंट करें, चौंसठ ग्रंथ बांटे, चार प्रकार का दान करे तथा १२३४ लाडू श्रावकों के घर बांटे, पाठशालादि स्थापन करे इत्यादि और यदि उद्यापन की शक्ति न होवे तो दूना व्रत करें।इस प्रकार राजा ने व्रत की विधि सुनकर उसे यथाविधि पालन किया व उद्यापन भी किया।
अन्त में समाधिमरण करके अच्युत स्वर्ग में देव हुआ। वहाँ से चयकर वह विदेह क्षेत्र के विजयापुरी में धनंजय राजा के चन्द्रभानु नाम का तीर्थंकर पदधारी पुत्र हुआ। उसके गर्भादिक पाँच कल्याणक हुए।इस प्रकार राजा हेमवर्मा स्वर्ग के सुख भोगकर तीर्थंकर पद प्राप्त करके इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष गया। इसलिए हे श्रेणिक! तीर्थंकर पद प्राप्त करने के लिए यह व्रत भी एक साधन है।
यह सुनकर राजा श्रेणिक ने भी श्रद्धासहित इस व्रत को धारण किया और षोडशकारण भावनाएँ भी भायीं सो तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। अब आगामी चौबीसी में वे प्रथम तीर्थंकर होकर मोक्ष जावेंगे। इस प्रकार और भी जो भव्य जीव इस व्रत का पालन करेंगे, वे भी उत्तमोत्तम सुखों को पाकर मोक्षपद प्राप्त करेंगे।
अहिंसा महाव्रत के 126 मंत्रा
1. ¬ ०ीं मनसा कृतबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
2. ¬ ०ीं मनसा कारितबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
3. ¬ ०ीं मनसानुमोदितबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
4. ¬ ०ीं वचसा कृतबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
5. ¬ ०ीं वचसा कारितबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
6. ¬ ०ीं वचसानुमोदितबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
7. ¬ ०ीं वपुषा कृतबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
8. ¬ ०ीं वपुषा कारितबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
9. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितबादरपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य प्रथमः प्रकारः 1
10. ¬ ०ीं मनसा कृतबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
11. ¬ ०ीं मनसा कारितबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
12. ¬ ०ीं मनसानुमोदितबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
13. ¬ ०ीं वचसा कृतबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
14. ¬ ०ीं वचसा कारितबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
15. ¬ ०ीं वचसानुमोदितबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
16. ¬ ०ीं वपुषा कृतबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
17. ¬ ०ीं वपुषा कारितबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
18. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितबादरापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य द्वितीय प्रकारः 2
19. ¬ ०ीं मनसा कृतसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
20. ¬ ०ीं मनसा कारितसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
21. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
22. ¬ ०ीं वचसा कृतसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
23. ¬ ०ीं वचसा कारितसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
24. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
25. ¬ ०ीं वपुषा कृतसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
26. ¬ ०ीं वपुषा कारितसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
27. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसूक्ष्मपर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य तृतीयः प्रकारः 3
28. ¬ ०ीं मनसा कृतसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
29. ¬ ०ीं मनसा कारितसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
30. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
31. ¬ ०ीं वचसा कृतसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
32. ¬ ०ीं वचसा कारितसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
33. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
34. ¬ ०ीं वपुषा कृतसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
35. ¬ ०ीं वपुषा कारितसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
36. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसूक्ष्मापर्याप्तैकेन्द्रियहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य चतुर्थः प्रकारः 4
37. ¬ ०ीं मनसा कृतद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
38. ¬ ०ीं मनसा कारितद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
39. ¬ ०ीं मनसानुमोदितद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
40. ¬ ०ीं वचसा कृतद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
41. ¬ ०ीं वचसा कारितद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
42. ¬ ०ीं वचसानुमोदितद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
43. ¬ ०ीं वपुषा कृतद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
44. ¬ ०ीं वपुषा कारितद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
45. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितद्वीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य पंचमः प्रकारः 5
46. ¬ ०ीं मनसा कृतद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
47. ¬ ०ीं मनसा कारितद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
48. ¬ ०ीं मनसानुमोदितद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
49. ¬ ०ीं वचसा कृतद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
50. ¬ ०ीं वचसा कारितद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
51. ¬ ०ीं वचसानुमोदितद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
52. ¬ ०ीं वपुषा कृतद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
53. ¬ ०ीं वपुषा कारितद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
54. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितद्वीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य षष्ठः प्रकारः 6
55. ¬ ०ीं मनसा कृतत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
56. ¬ ०ीं मनसा कारितत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
57. ¬ ०ीं मनसानुमोदितत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
58. ¬ ०ीं वचसा कृतत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
59. ¬ ०ीं वचसा कारितत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
60. ¬ ०ीं वचसानुमोदितत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
61. ¬ ०ीं वपुषा कृतत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
62. ¬ ०ीं वपुषा कारितत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
63.¬ ०ीं वपुषानुमोदितत्राीन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य सप्तमः प्रकारः 7
64. ¬ ०ीं मनसा कृतत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
65. ¬ ०ीं मनसा कारितत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
66. ¬ ०ीं मनसानुमोदितत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
67. ¬ ०ीं वचसा कृतत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
68. ¬ ०ीं वचसा कारितत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
69. ¬ ०ीं वचसानुमोदितत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
70. ¬ ०ीं वपुषा कृतत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
71. ¬ ०ीं वपुषा कारितत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
72. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितत्राीन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्याष्टमः प्रकारः 8
73. ¬ ०ीं मनसा कृतचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
74. ¬ ०ीं मनसा कारितचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
75. ¬ ०ीं मनसानुमोदितचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
76. ¬ ०ीं वचसा कृतचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
77. ¬ ०ीं वचसा कारितचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
78. ¬ ०ीं वचसानुमोदितचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
79. ¬ ०ीं वपुषा कृतचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
80. ¬ ०ीं वपुषा कारितचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
81. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितचतुरिन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य नवमः प्रकारः 9
82. ¬ ०ीं मनसा कृतचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
83. ¬ ०ीं मनसा कारितचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
84. ¬ ०ीं मनसानुमोदितचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
85. ¬ ०ीं वचसा कृतचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
86. ¬ ०ीं वचसा कारितचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
87. ¬ ०ीं वचसानुमोदितचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
88. ¬ ०ीं वपुषा कृतचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
89. ¬ ०ीं वपुषा कारितचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
90. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितचतुरिन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य दशमः प्रकारः 10
91. ¬ ०ीं मनसा कृतासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
92. ¬ ०ीं मनसा कारितासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
93. ¬ ०ीं मनसानुमोदितासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
94. ¬ ०ीं वचसा कृतासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
95. ¬ ०ीं वचसा कारितासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
96. ¬ ०ीं वचसानुमोदितासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
97. ¬ ०ीं वपुषा कृतासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
98. ¬ ०ीं वपुषा कारितासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
99. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितासंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य एकादशः प्रकारः 11
100. ¬ ०ीं मनसा कृतासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
101. ¬ ०ीं मनसा कारितासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
102. ¬ ०ीं मनसानुमोदितासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
103. ¬ ०ीं वचसा कृतासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
104. ¬ ०ीं वचसा कारितासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
105. ¬ ०ीं वचसानुमोदितासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
106. ¬ ०ीं वपुषा कृतासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
107. ¬ ०ीं वपुषा कारितासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
108. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितासंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य द्वादशः प्रकारः 12
109. ¬ ०ीं मनसा कृतसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
110. ¬ ०ीं मनसा कारितसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
111. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
112. ¬ ०ीं वचसा कृतसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
113. ¬ ०ीं वचसा कारितसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
114. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
115. ¬ ०ीं वपुषा कृतसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
116. ¬ ०ीं वपुषा कारितसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
117. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसंज्ञिपंचेन्द्रियपर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य त्रायोदशः प्रकारः 13
118. ¬ ०ीं मनसा कृतसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
119. ¬ ०ीं मनसा कारितसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
120. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
121. ¬ ०ीं वचसा कृतसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
122. ¬ ०ीं वचसा कारितसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
123. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
124. ¬ ०ीं वपुषा कृतसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
125. ¬ ०ीं वपुषा कारितसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
126. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसंज्ञिपंचेन्द्रियापर्याप्तहिंसाविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अहिंसामहाव्रतस्य चतुर्दशः प्रकारः 14
सत्य महाव्रत के 72 मंत्रा
127. ¬ ०ीं मनसा कृतभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
128. ¬ ०ीं मनसा कारितभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
129. ¬ ०ीं मनसानुमोदितभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
130. ¬ ०ीं वचसा कृतभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
131. ¬ ०ीं वचसा कारितभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
132. ¬ ०ीं वचसानुमोदितभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
133. ¬ ०ीं वपुषा कृतभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
134. ¬ ०ीं वपुषा कारितभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
135. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितभयनिमित्तासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य प्रथमः प्रकारः 15
136. ¬ ०ीं मनसा कृतईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।1।।
137. ¬ ०ीं मनसा कारितईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।2।।
138. ¬ ०ीं मनसानुमोदितईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।3।।
139. ¬ ०ीं वचसा कृतईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।4।।
140. ¬ ०ीं वचसा कारितईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।5।।
141. ¬ ०ीं वचसानुमोदितईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।6।।
142. ¬ ०ीं वपुषा कृतईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।7।।
143. ¬ ०ीं वपुषा कारितईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।8।।
144. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितईष्र्यानिमित्तासत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य द्वितीयः प्रकारः 16
145. ¬ ०ीं मनसा कृतस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।1।।
146. ¬ ०ीं मनसा कारितस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।2।।
147. ¬ ०ीं मनसानुमोदितस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।3।।
148. ¬ ०ीं वचसा कृतस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।4।।
149. ¬ ०ीं वचसा कारितस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।5।।
150. ¬ ०ीं वचसानुमोदितस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।6।।
151. ¬ ०ीं वपुषा कृतस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।7।।
152. ¬ ०ीं वपुषा कारितस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।8।।
153. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितस्वपक्षपुष्टि-असत्यविरतिमहाव्रताय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य तृतीयः प्रकारः 17
154. ¬ ०ीं मनसा कृतपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
155. ¬ ०ीं मनसा कारितपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
156. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
157. ¬ ०ीं वचसा कृतपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
158. ¬ ०ीं वचसा कारितपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
159. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
160. ¬ ०ीं वपुषा कृतपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
161. ¬ ०ीं वपुषा कारितपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
162. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपैशुन्यासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य चतुर्थः प्रकारः 18
163. ¬ ०ीं मनसा कृतक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
164. ¬ ०ीं मनसा कारितक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
165. ¬ ०ीं मनसानुमोदितक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
166. ¬ ०ीं वचसा कृतक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
167. ¬ ०ीं वचसा कारितक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
168. ¬ ०ीं वचसानुमोदितक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
169. ¬ ०ीं वपुषा कृतक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
170. ¬ ०ीं वपुषा कारितक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
171. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितक्रोधासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य पंचमः प्रकारः 19
172. ¬ ०ीं मनसा कृतलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
173. ¬ ०ीं मनसा कारितलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
174. ¬ ०ीं मनसानुमोदितलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
175. ¬ ०ीं वचसा कृतलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
176. ¬ ०ीं वचसा कारितलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
177. ¬ ०ीं वचसानुमोदितलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
178. ¬ ०ीं वपुषा कृतलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
179. ¬ ०ीं वपुषा कारितलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
180. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितलोभासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य षष्ठः प्रकारः 20
181. ¬ ०ीं मनसा कृतात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
182. ¬ ०ीं मनसा कारितात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
183. ¬ ०ीं मनसानुमोदितात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
184. ¬ ०ीं वचसा कृतात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
185. ¬ ०ीं वचसा कारितात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
186. ¬ ०ीं वचसानुमोदितात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
187. ¬ ०ीं वपुषा कृतात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
188. ¬ ०ीं वपुषा कारितात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
189. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितात्मप्रशंसासत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्य सप्तमः प्रकारः 21
190. ¬ ०ीं मनसा कृतपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
191. ¬ ०ीं मनसा कारितपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
192. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
193. ¬ ०ीं वचसा कृतपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
194. ¬ ०ीं वचसा कारितपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
195. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
196. ¬ ०ीं वपुषा कृतपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
197. ¬ ०ीं वपुषा कारितपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
198. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपरनिन्दा-असत्यविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति सत्यमहाव्रतस्याष्टमः प्रकारः 22
अचैर्य महाव्रत के 72 मंत्रा
199. ¬ ०ीं मनसा कृतग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
200. ¬ ०ीं मनसा कारितग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
201. ¬ ०ीं मनसानुमोदितग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
202. ¬ ०ीं वचसा कृतग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
203. ¬ ०ीं वचसा कारितग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
204. ¬ ०ीं वचसानुमोदितग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
205. ¬ ०ीं वपुषा कृतग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
206. ¬ ०ीं वपुषा कारितग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
207. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितग्रामादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य प्रथमः प्रकारः 23
208. ¬ ०ीं मनसा कृतारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
209. ¬ ०ीं मनसा कारितारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
210. ¬ ०ीं मनसानुमोदितारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
211. ¬ ०ीं वचसा कृतारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
212. ¬ ०ीं वचसा कारितारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
213. ¬ ०ीं वचसानुमोदितारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
214. ¬ ०ीं वपुषा कृतारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
215. ¬ ०ीं वपुषा कारितारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
216. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितारण्यादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य द्वितीयः प्रकारः 24
217. ¬ ०ीं मनसा कृतखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
218. ¬ ०ीं मनसा कारितखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
219. ¬ ०ीं मनसानुमोदितखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
220. ¬ ०ीं वचसा कृतखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
221. ¬ ०ीं वचसा कारितखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
222. ¬ ०ीं वचसानुमोदितखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
223. ¬ ०ीं वपुषा कृतखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
224. ¬ ०ीं वपुषा कारितखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
225. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितखलादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य तृतीयः प्रकारः 25
226. ¬ ०ीं मनसा कृतैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
227. ¬ ०ीं मनसा कारितैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
228. ¬ ०ीं मनसानुमोदितैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
229. ¬ ०ीं वचसा कृतैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
230. ¬ ०ीं वचसा कारितैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
231. ¬ ०ीं वचसानुमोदितैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
232. ¬ ०ीं वपुषा कृतैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
233. ¬ ०ीं वपुषा कारितैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
234. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितैकांतादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य चतुर्थः प्रकारः 26
235. ¬ ०ीं मनसा कृतान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
236. ¬ ०ीं मनसा कारितान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
237. ¬ ०ीं मनसानुमोदितान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
238. ¬ ०ीं वचसा कृतान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
239. ¬ ०ीं वचसा कारितान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
240. ¬ ०ीं वचसानुमोदितान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
241. ¬ ०ीं वपुषा कृतान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
242. ¬ ०ीं वपुषा कारितान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
243. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितान्यत्रादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य पंचमः प्रकारः 27
244. ¬ ०ीं मनसा कृतउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
245. ¬ ०ीं मनसा कारितउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
246. ¬ ०ीं मनसानुमोदितउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
247. ¬ ०ीं वचसा कृतउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
248. ¬ ०ीं वचसा कारितउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
249. ¬ ०ीं वचसानुमोदितउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
250. ¬ ०ीं वपुषा कृतउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
251. ¬ ०ीं वपुषा कारितउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
252. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितउपधि-अदत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य षष्ठः प्रकारः 28
253. ¬ ०ीं मनसा कृताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
254. ¬ ०ीं मनसा कारिताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
255. ¬ ०ीं मनसानुमोदिताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
256. ¬ ०ीं वचसा कृताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
257. ¬ ०ीं वचसा कारिताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
258. ¬ ०ीं वचसानुमोदिताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
259. ¬ ०ीं वपुषा कृताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
260. ¬ ०ीं वपुषा कारिताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
261. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिताऽहारादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्य सप्तमः प्रकारः 29
262. ¬ ०ीं मनसा कृतापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
263. ¬ ०ीं मनसा कारितापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
264. ¬ ०ीं मनसानुमोदितापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
265. ¬ ०ीं वचसा कृतापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
266. ¬ ०ीं वचसा कारितापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
267. ¬ ०ीं वचसानुमोदितापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
268. ¬ ०ीं वपुषा कृतापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
269. ¬ ०ीं वपुषा कारितापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
270. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितापृच्छादत्तग्रहणविरतिमहाव्रत- प्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अचैर्यमहाव्रतस्याष्टमः प्रकारः 30
ब्रह्नचर्य महाव्रत के 180 मंत्रा
(यहाँ से (पृ. 62 से पृ. 67 तक) 180 मंत्रों को मुनि, श्रावक आदि पुरुषवर्ग जपें)
271. ¬ ०ीं मनसा कृतनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
272. ¬ ०ीं मनसा कारितनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
273. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
274. ¬ ०ीं वचसा कृतनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
275. ¬ ०ीं वचसा कारितनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
276. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
277. ¬ ०ीं वपुषा कृतनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
278. ¬ ०ीं वपुषा कारितनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
279. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनारीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य प्रथमः प्रकारः 31
केवल पुरुषवर्ग जपें-
280. ¬ ०ीं मनसा कृतनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
281. ¬ ०ीं मनसा कारितनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
282. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
283. ¬ ०ीं वचसा कृतनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
284. ¬ ०ीं वचसा कारितनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
285. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
286. ¬ ०ीं वपुषा कृतनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
287. ¬ ०ीं वपुषा कारितनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
288. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनारीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य द्वितीयः प्रकारः 32
केवल पुरुषवर्ग जपें-
289. ¬ ०ीं मनसा कृतनारीघ्राणेद्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
290. ¬ ०ीं मनसा कारितनारीघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
291. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनारीघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
292. ¬ ०ीं वचसा कृतनारीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
293. ¬ ०ीं वचसा कारितनारीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
294. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनारीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
295. ¬ ०ीं वपुषा कृतनारीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
296. ¬ ०ीं वपुषा कारितनारीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
297. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनारीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य तृतीयः प्रकारः 33
केवल पुरुषवर्ग जपें-
298. ¬ ०ीं मनसा कृतनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
299. ¬ ०ीं मनसा कारितनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
300. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
301. ¬ ०ीं वचसा कृतनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
302. ¬ ०ीं वचसा कारितनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
303. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
304. ¬ ०ीं वपुषा कृतनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
305. ¬ ०ीं वपुषा कारितनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
306. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनारीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य चतुर्थः प्रकारः 34
केवल पुरुषवर्ग जपें–
307. ¬ ०ीं मनसा कृतनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
308. ¬ ०ीं मनसा कारितनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
309. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
310. ¬ ०ीं वचसा कृतनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
311. ¬ ०ीं वचसा कारितनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
312. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
313. ¬ ०ीं वपुषा कृतनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
314. ¬ ०ीं वपुषा कारितनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
315. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनारीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य पंचमः प्रकारः 35
केवल पुरुषवर्ग जपें–
316. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
317. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
318. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
319. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
320. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
321. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
322. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
323. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
324. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवांगनास्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य षष्ठः प्रकारः 36
केवल पुरुषवर्ग जपें-
325. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
326. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
327. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
328. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
329. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
330. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
331. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
332. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
333. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवांगनारसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य सप्तमः प्रकारः 37
केवल पुरुषवर्ग जपें-
334. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
335. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवांगनाघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
336. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवांगनाघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
337. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
338. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
339. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
340. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
341. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
342. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवांगनाघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्याष्टमः प्रकारः 38
केवल पुरुषवर्ग जपें-
343. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
344. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
345. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
346. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
347. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
348. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
349. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
350. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
351. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवांगनाचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य नवमः प्रकारः 39
केवल पुरुषवर्ग जपें-
352. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
353. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
354. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
355. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
356. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
357. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
358. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
359. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
360. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवांगनाकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य दशमः प्रकारः 40
केवल पुरुषवर्ग जपें-
361. ¬ ०ीं मनसा कृततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
362. ¬ ०ीं मनसा कारिततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
363. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
364. ¬ ०ीं वचसा कृततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
365. ¬ ०ीं वचसा कारिततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
366. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
367. ¬ ०ीं वपुषा कृततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
368. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
369. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिरश्चीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्यैकादशः प्रकारः 41
केवल पुरुषवर्ग जपें-
370. ¬ ०ीं मनसा कृततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
371. ¬ ०ीं मनसा कारिततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
372. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
373. ¬ ०ीं वचसा कृततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
374. ¬ ०ीं वचसा कारिततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
375. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
376. ¬ ०ीं वपुषा कृततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
377. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
378. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिरश्चीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य द्वादशः प्रकारः 42
केवल पुरुषवर्ग जपें-
379. ¬ ०ीं मनसा कृततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
380. ¬ ०ीं मनसा कारिततिरश्चीघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
381. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिरश्चीघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
382. ¬ ०ीं वचसा कृततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
383. ¬ ०ीं वचसा कारिततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
384. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
385. ¬ ०ीं वपुषा कृततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
386. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
387. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिरश्चीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य त्रायोदशः प्रकारः 43
केवल पुरुषवर्ग जपें-
388. ¬ ०ीं मनसा कृततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
389. ¬ ०ीं मनसा कारिततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
390. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
391. ¬ ०ीं वचसा कृततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
392. ¬ ०ीं वचसा कारिततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
393. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
394. ¬ ०ीं वपुषा कृततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
395. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
396. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिरश्चीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य चतुर्दशः प्रकारः 44
केवल पुरुषवर्ग जपें-
397. ¬ ०ीं मनसा कृततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
398. ¬ ०ीं मनसा कारिततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
399. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
400. ¬ ०ीं वचसा कृततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
401. ¬ ०ीं वचसा कारिततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
402. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
403. ¬ ०ीं वपुषा कृततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
404. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
405. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिरश्चीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य पंचदशः प्रकारः 45
केवल पुरुषवर्ग जपें-
406. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
407. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
408.¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
409. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
410. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
411. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
412. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
413. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
414. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तस्त्राीस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य षोडशः प्रकारः 46
केवल पुरुषवर्ग जपें–
415. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
416. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
417. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
418. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
419. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
420. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
421. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
422. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
423. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तस्त्राीरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य सप्तदशः प्रकारः 47
केवल पुरुषवर्ग जपें-
424. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
425. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तस्त्राीघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
426. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तस्त्राीघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
427. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
428. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
429. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
430. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
431. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
432. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तस्त्राीघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्याष्टादशः प्रकारः 48
केवल पुरुषवर्ग जपें-
433. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
434. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
435. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
436. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
437. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
438. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
439. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
440. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
441. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तस्त्राीचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्यैकोनविंशः प्रकारः 49
केवल पुरुषवर्ग जपें-
442. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
443. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
444. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
445. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
446. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
447. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
448. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
449. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
450. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तस्त्राीकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य विंशतितमः प्रकारः 50
(आर्यिकाएं, श्राविकाएं आदि महिलाएँ पृ. 67 से पृ. 73 तक इन 180 मंत्रों को जपें)
271. ¬ ०ीं मनसा कृतपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
272. ¬ ०ीं मनसा कारितपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
273. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
274. ¬ ०ीं वचसा कृतपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
275. ¬ ०ीं वचसा कारितपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
276. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
277. ¬ ०ीं वपुषा कृतपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
278. ¬ ०ीं वपुषा कारितपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
279. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य प्रथमः प्रकारः 1
केवल महिलाएँ जपें-
280. ¬ ०ीं मनसा कृतपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
281. ¬ ०ीं मनसा कारितपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
282. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
283. ¬ ०ीं वचसा कृतपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
284. ¬ ०ीं वचसा कारितपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
285. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
286. ¬ ०ीं वपुषा कृतपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
287. ¬ ०ीं वपुषा कारितपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
288. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य द्वितीयः प्रकारः 2
केवल महिलाएँ जपें-
289. ¬ ०ीं मनसा कृतपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
290. ¬ ०ीं मनसा कारितपुरुषघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
291. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपुरुषघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
292. ¬ ०ीं वचसा कृतपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
293. ¬ ०ीं वचसा कारितपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
294. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
295. ¬ ०ीं वपुषा कृतपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
296. ¬ ०ीं वपुषा कारितपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
297. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य तृतीयः प्रकारः 3
केवल महिलाएँ जपें-
298. ¬ ०ीं मनसा कृतपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
299. ¬ ०ीं मनसा कारितपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
300. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
301. ¬ ०ीं वचसा कृतपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
302. ¬ ०ीं वचसा कारितपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
303. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
304. ¬ ०ीं वपुषा कृतपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
305. ¬ ०ीं वपुषा कारितपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
306. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य चतुर्थः प्रकारः 4
केवल महिलाएँ जपें-
307. ¬ ०ीं मनसा कृतपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
308. ¬ ०ीं मनसा कारितपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
309. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
310. ¬ ०ीं वचसा कृतपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
311. ¬ ०ीं वचसा कारितपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
312. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
313. ¬ ०ीं वपुषा कृतपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
314. ¬ ०ीं वपुषा कारितपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
315. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य पंचमः प्रकारः 5
केवल महिलाएँ जपें-
316. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
317. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
318. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
319. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
320. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
321. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
322. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
323. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
324. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य षष्ठः प्रकारः 6
केवल महिलाएँ जपें-
325. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
326. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
327. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
328. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
329. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
330. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
331. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
332. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
333. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य सप्तमः प्रकारः 7
केवल महिलाएँ जपें-
334. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
335. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
336. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
337. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
338. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
339. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
340. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
341. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
342. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्याष्टमः प्रकारः 8
केवल महिलाएँ जपें-
343. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
344. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
345. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
346. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
347. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
348. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
349. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
350. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
351. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य नवमः प्रकारः 9
केवल महिलाएँ जपें-
352. ¬ ०ीं मनसा कृतदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
353. ¬ ०ीं मनसा कारितदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
354. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
355. ¬ ०ीं वचसा कृतदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
356. ¬ ०ीं वचसा कारितदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
357. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
358. ¬ ०ीं वपुषा कृतदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
359. ¬ ०ीं वपुषा कारितदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
360. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदेवकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य दशमः प्रकारः 10
केवल महिलाएँ जपें-
361. ¬ ०ीं मनसा कृततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
362. ¬ ०ीं मनसा कारिततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
363. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
364. ¬ ०ीं वचसा कृततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
365. ¬ ०ीं वचसा कारिततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
366. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
367. ¬ ०ीं वपुषा कृततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
368. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
369. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिर्यक्स्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्यैकादशः प्रकारः 11
केवल महिलाएँ जपें-
370.¬ ०ीं मनसा कृततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
374. ¬ ०ीं मनसा कारिततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
372. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
373. ¬ ०ीं वचसा कृततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
374. ¬ ०ीं वचसा कारिततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
375. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
376. ¬ ०ीं वपुषा कृततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
377. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
378. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिर्यग्रसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य द्वादशः प्रकारः 12
केवल महिलाएँ जपें-
379. ¬ ०ीं मनसा कृततिर्यग्घ्राणेद्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
380. ¬ ०ीं मनसा कारिततिर्यग्घ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
381. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिर्यग्घ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
382. ¬ ०ीं वचसा कृततिर्यग्घ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
383. ¬ ०ीं वचसा कारिततिर्यग्घ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
384. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिर्यग्घ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
385. ¬ ०ीं वपुषा कृततिर्यग्घ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
386. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिर्यग्घ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
387. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिर्यग्घ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य त्रायोदशः प्रकारः 13
केवल महिलाएँ जपें-
388. ¬ ०ीं मनसा कृततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
389. ¬ ०ीं मनसा कारिततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
390. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
391. ¬ ०ीं वचसा कृततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
392. ¬ ०ीं वचसा कारिततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
393. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
394. ¬ ०ीं वपुषा कृततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
395. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
396. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिर्यक्चक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य चतुर्दशः प्रकारः 14
केवल महिलाएँ जपें-
397. ¬ ०ीं मनसा कृततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
398. ¬ ०ीं मनसा कारिततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
399. ¬ ०ीं मनसानुमोदिततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
400. ¬ ०ीं वचसा कृततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
401. ¬ ०ीं वचसा कारिततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
402. ¬ ०ीं वचसानुमोदिततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
403. ¬ ०ीं वपुषा कृततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
404. ¬ ०ीं वपुषा कारिततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
405. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिततिर्यक्कर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य पंचदशः प्रकारः 15
केवल महिलाएँ जपें-
406. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
407. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
408. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
409. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
410. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
411. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
412. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
413. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
414. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तपुरुषस्पर्शनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य षोडशः प्रकारः 16
केवल महिलाएँ जपें-
415. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
416. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
417. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
418. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
419. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
420. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
421. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
422. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
423. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तपुरुषरसनेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य सप्तदशः प्रकारः 17
केवल महिलाएँ जपें-
424. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तपुरुषघ्राणेद्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
425. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तपुरुषघ्राणेेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
426. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
427. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
428. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
429. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
430. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
431. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
432. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तपुरुषघ्राणेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्याष्टादशः प्रकारः 18
केवल महिलाएँ जपें-
433. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
434. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
435. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
436. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
437. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
438. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
439. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
440. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
441. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तपुरुषचक्षुरिन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्यैकोनविंशः प्रकारः 19
केवल महिलाएँ जपें-
442. ¬ ०ीं मनसा कृतअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
443. ¬ ०ीं मनसा कारितअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
444. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
445. ¬ ०ीं वचसा कृतअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
446. ¬ ०ीं वचसा कारितअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
447. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
448. ¬ ०ीं वपुषा कृतअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
449. ¬ ०ीं वपुषा कारितअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
450. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअचित्तपुरुषकर्णेन्द्रियविषयाब्रह्नविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ब्रह्नचर्यमहाव्रतस्य विंशतितमः प्रकारः 20
अपरिग्रह महाव्रत के 216 मंत्रा
451. ¬ ०ीं मनसा कृतमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
452. ¬ ०ीं मनसा कारितमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
453. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
454. ¬ ०ीं वचसा कृतमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
455. ¬ ०ीं वचसा कारितमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
456. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
457. ¬ ०ीं वपुषा कृतमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
458. ¬ ०ीं वपुषा कारितमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
459. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमिथ्यात्वाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य प्रथमः प्रकारः 51
460. ¬ ०ीं मनसा कृतक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
461. ¬ ०ीं मनसा कारितक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
462. ¬ ०ीं मनसानुमोदितक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
463. ¬ ०ीं वचसा कृतक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
464. ¬ ०ीं वचसा कारितक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
465. ¬ ०ीं वचसानुमोदितक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
466. ¬ ०ीं वपुषा कृतक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
467. ¬ ०ीं वपुषा कारितक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
468. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितक्रोधाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य द्वितीयः प्रकारः 52
469. ¬ ०ीं मनसा कृतमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
470. ¬ ०ीं मनसा कारितमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
471. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
472. ¬ ०ीं वचसा कृतमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
473. ¬ ०ीं वचसा कारितमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
474. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
475. ¬ ०ीं वपुषा कृतमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
476. ¬ ०ीं वपुषा कारितमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
477. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमानाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य तृतीयः प्रकारः 53
478. ¬ ०ीं मनसा कृतमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
479. ¬ ०ीं मनसा कारितमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
480. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
481. ¬ ०ीं वचसा कृतमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
482. ¬ ०ीं वचसा कारितमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
483. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
484. ¬ ०ीं वपुषा कृतमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
485. ¬ ०ीं वपुषा कारितमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
486. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमायाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य चतुर्थः प्रकारः 54
487. ¬ ०ीं मनसा कृतलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
488. ¬ ०ीं मनसा कारितलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
489. ¬ ०ीं मनसानुमोदितलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
490. ¬ ०ीं वचसा कृतलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
491. ¬ ०ीं वचसा कारितलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
492. ¬ ०ीं वचसानुमोदितलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
493. ¬ ०ीं वपुषा कृतलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
494. ¬ ०ीं वपुषा कारितलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
495. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितलोभाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य पंचमः प्रकारः 55
496. ¬ ०ीं मनसा कृतहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
497. ¬ ०ीं मनसा कारितहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
498. ¬ ०ीं मनसानुमोदितहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
499. ¬ ०ीं वचसा कृतहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
500. ¬ ०ीं वचसा कारितहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
501. ¬ ०ीं वचसानुमोदितहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
502. ¬ ०ीं वपुषा कृतहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
503. ¬ ०ीं वपुषा कारितहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
504. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितहास्याभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य षष्ठः प्रकारः 56
505. ¬ ०ीं मनसा कृतरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
506. ¬ ०ीं मनसा कारितरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
507. ¬ ०ीं मनसानुमोदितरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
508. ¬ ०ीं वचसा कृतरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
509. ¬ ०ीं वचसा कारितरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
510. ¬ ०ीं वचसानुमोदितरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
511. ¬ ०ीं वपुषा कृतरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
512. ¬ ०ीं वपुषा कारितरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
513. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य सप्तमः प्रकारः 57
514. ¬ ०ीं मनसा कृताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
515. ¬ ०ीं मनसा कारिताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
516. ¬ ०ीं मनसानुमोदिताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
517. ¬ ०ीं वचसा कृताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
518. ¬ ०ीं वचसा कारिताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
519. ¬ ०ीं वचसानुमोदिताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
520. ¬ ०ीं वपुषा कृताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
521. ¬ ०ीं वपुषा कारिताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
522. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिताऽरत्यभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्याष्टमः प्रकारः 58
523. ¬ ०ीं मनसा कृतशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
524. ¬ ०ीं मनसा कारितशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
525. ¬ ०ीं मनसानुमोदितशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
526. ¬ ०ीं वचसा कृतशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
527. ¬ ०ीं वचसा कारितशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
528. ¬ ०ीं वचसानुमोदितशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
529. ¬ ०ीं वपुषा कृतशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
530. ¬ ०ीं वपुषा कारितशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
531. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितशोकाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्यः नवमः प्रकारः 59
532. ¬ ०ीं मनसा कृतभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
533. ¬ ०ीं मनसा कारितभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
534. ¬ ०ीं मनसानुमोदितभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
535. ¬ ०ीं वचसा कृतभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
536. ¬ ०ीं वचसा कारितभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
537. ¬ ०ीं वचसानुमोदितभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
538. ¬ ०ीं वपुषा कृतभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
539. ¬ ०ीं वपुषा कारितभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
540. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितभयाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्यः दशमः प्रकारः 60
541. ¬ ०ीं मनसा कृतजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
542. ¬ ०ीं मनसा कारितजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
543. ¬ ०ीं मनसानुमोदितजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
544. ¬ ०ीं वचसा कृतजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
545. ¬ ०ीं वचसा कारितजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
546. ¬ ०ीं वचसानुमोदितजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
547. ¬ ०ीं वपुषा कृतजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
548. ¬ ०ीं वपुषा कारितजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
549. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितजुगुप्साभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्यैकादशः प्रकारः 61
550. ¬ ०ीं मनसा कृतस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
551. ¬ ०ीं मनसा कारितस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
552. ¬ ०ीं मनसानुमोदितस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
553. ¬ ०ीं वचसा कृतस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
554. ¬ ०ीं वचसा कारितस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
555. ¬ ०ीं वचसानुमोदितस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
556. ¬ ०ीं वपुषा कृतस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
557. ¬ ०ीं वपुषा कारितस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
558. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितस्त्राीवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य द्वादशः प्रकारः 62
559. ¬ ०ीं मनसा कृतपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
560. ¬ ०ीं मनसा कारितपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
561. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
562. ¬ ०ीं वचसा कृतपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
563. ¬ ०ीं वचसा कारितपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
564. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
565. ¬ ०ीं वपुषा कृतपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
566. ¬ ०ीं वपुषा कारितपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
567. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपुंवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य त्रायोदशः प्रकारः 63
568. ¬ ०ीं मनसा कृतनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
569. ¬ ०ीं मनसा कारितनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
570. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
571. ¬ ०ीं वचसा कृतनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
572. ¬ ०ीं वचसा कारितनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
573. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
574. ¬ ०ीं वपुषा कृतनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
575. ¬ ०ीं वपुषा कारितनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
576. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनपुंसकवेदाभ्यंतरपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य चतुर्दशः प्रकारः 64
577. ¬ ०ीं मनसा कृतद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
578. ¬ ०ीं मनसा कारितद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
579. ¬ ०ीं मनसानुमोदितद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
580. ¬ ०ीं वचसा कृतद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
581. ¬ ०ीं वचसा कारितद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
582. ¬ ०ीं वचसानुमोदितद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
583. ¬ ०ीं वपुषा कृतद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
584. ¬ ०ीं वपुषा कारितद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
585. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितद्विपदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य पंचदशः प्रकारः 65
586. ¬ ०ीं मनसा कृतचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
587. ¬ ०ीं मनसा कारितचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
588. ¬ ०ीं मनसानुमोदितचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
589. ¬ ०ीं वचसा कृतचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
590. ¬ ०ीं वचसा कारितचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
591. ¬ ०ीं वचसानुमोदितचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
592. ¬ ०ीं वपुषा कृतचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
593. ¬ ०ीं वपुषा कारितचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
594. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितचतुष्पदबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य षोडशः प्रकारः 66
595. ¬ ०ीं मनसा कृतक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
596. ¬ ०ीं मनसा कारितक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
597. ¬ ०ीं मनसानुमोदितक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
598. ¬ ०ीं वचसा कृतक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
599. ¬ ०ीं वचसा कारितक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
600. ¬ ०ीं वचसानुमोदितक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
601. ¬ ०ीं वपुषा कृतक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
602. ¬ ०ीं वपुषा कारितक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
603. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितक्षेत्राबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य सप्तदशः प्रकारः 67
604. ¬ ०ीं मनसा कृतधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
605. ¬ ०ीं मनसा कारितधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
606. ¬ ०ीं मनसानुमोदितधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
607. ¬ ०ीं वचसा कृतधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
608. ¬ ०ीं वचसा कारितधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
609. ¬ ०ीं वचसानुमोदितधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
610. ¬ ०ीं वपुषा कृतधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
611. ¬ ०ीं वपुषा कारितधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
612. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितधनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य अष्टादशः प्रकारः 68
613. ¬ ०ीं मनसा कृतकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
614. ¬ ०ीं मनसा कारितकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
615. ¬ ०ीं मनसानुमोदितकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
616. ¬ ०ीं वचसा कृतकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
617. ¬ ०ीं वचसा कारितकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
618. ¬ ०ीं वचसानुमोदितकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
619. ¬ ०ीं वपुषा कृतकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
620. ¬ ०ीं वपुषा कारितकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
621. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितकुप्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्यैकोनविंशः प्रकारः 69
622. ¬ ०ीं मनसा कृतभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
623. ¬ ०ीं मनसा कारितभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
624. ¬ ०ीं मनसानुमोदितभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
625. ¬ ०ीं वचसा कृतभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
626. ¬ ०ीं वचसा कारितभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
627. ¬ ०ीं वचसानुमोदितभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
628. ¬ ०ीं वपुषा कृतभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
629. ¬ ०ीं वपुषा कारितभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
630. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितभांडबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य विंशतिमः प्रकारः 70
631. ¬ ०ीं मनसा कृतधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
632. ¬ ०ीं मनसा कारितधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
633. ¬ ०ीं मनसानुमोदितधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
634. ¬ ०ीं वचसा कृतधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
635. ¬ ०ीं वचसा कारितधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
636. ¬ ०ीं वचसानुमोदितधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
637. ¬ ०ीं वपुषा कृतधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
638. ¬ ०ीं वपुषा कारितधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
639. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितधान्यबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्यैकविंशः प्रकारः 71
640. ¬ ०ीं मनसा कृतयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
641. ¬ ०ीं मनसा कारितयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
642. ¬ ०ीं मनसानुमोदितयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
643. ¬ ०ीं वचसा कृतयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
644. ¬ ०ीं वचसा कारितयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
645. ¬ ०ीं वचसानुमोदितयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
646. ¬ ०ीं वपुषा कृतयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
647. ¬ ०ीं वपुषा कारितयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
648. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितयानबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य द्वाविंशः प्रकारः 72
649. ¬ ०ीं मनसा कृतशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
650. ¬ ०ीं मनसा कारितशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
651. ¬ ०ीं मनसानुमोदितशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
652. ¬ ०ीं वचसा कृतशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
653. ¬ ०ीं वचसा कारितशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
654. ¬ ०ीं वचसानुमोदितशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
655. ¬ ०ीं वपुषा कृतशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
656. ¬ ०ीं वपुषा कारितशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
657. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितशयनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य त्रायोविंशः प्रकारः 73
658. ¬ ०ीं मनसा कृतासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
659. ¬ ०ीं मनसा कारितासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
660. ¬ ०ीं मनसानुमोदितासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
661. ¬ ०ीं वचसा कृतासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
662. ¬ ०ीं वचसा कारितासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
663. ¬ ०ीं वचसानुमोदितासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
664. ¬ ०ीं वपुषा कृतासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
665. ¬ ०ीं वपुषा कारितासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
666. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितासनबाह्यपरिग्रहविरतिमहाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिग्रहविरतिमहाव्रतस्य चतुर्विंशः प्रकारः 74
रात्रिभोजन त्याग अणुव्रत के 10 मंत्रा
667. ¬ ०ीं मनसा कृतरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
668. ¬ ०ीं मनसा कारितरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
669. ¬ ०ीं मनसानुमोदितरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
670. ¬ ०ीं वचसा कृतरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
671. ¬ ०ीं वचसा कारितरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
672. ¬ ०ीं वचसानुमोदितरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
673. ¬ ०ीं वपुषा कृतरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
674. ¬ ०ीं वपुषा कारितरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
675. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितरात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
676. ¬ ०ीं अनिच्छा-रात्रिभोजनविरत्यणुव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।।10।।
इति रात्रिभोजनविरतिअणुव्रतस्य प्रकारः 75
ईर्यासमिति के 9 मंत्रा
677. ¬ ०ीं मनसा कृतेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
678. ¬ ०ीं मनसा कारितेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
679. ¬ ०ीं मनसानुमोदितेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
680. ¬ ०ीं वचसा कृतेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
681. ¬ ०ीं वचसा कारितेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
682. ¬ ०ीं वचसानुमोदितेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
683. ¬ ०ीं वपुषा कृतेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
684. ¬ ०ीं वपुषा कारितेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
685. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितेय्र्यासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति ईर्यासमितिचारित्रास्य प्रकारः 76
भाषासमिति के 90 मंत्रा
686. ¬ ०ीं मनसा कृतभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
687. ¬ ०ीं मनसा कारितभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
688. ¬ ०ीं मनसानुमोदितभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
689. ¬ ०ीं वचसा कृतभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
690. ¬ ०ीं वचसा कारितभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
691. ¬ ०ीं वचसानुमोदितभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
692. ¬ ०ीं वपुषा कृतभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
693. ¬ ०ीं वपुषा कारितभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
694. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितभावसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य प्रथमः प्रकारः 77
695. ¬ ०ीं मनसा कृतोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
696. ¬ ०ीं मनसा कारितोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
697. ¬ ०ीं मनसानुमोदितोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
698. ¬ ०ीं वचसा कृतोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
699. ¬ ०ीं वचसा कारितोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
700. ¬ ०ीं वचसानुमोदितोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
701. ¬ ०ीं वपुषा कृतोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
702. ¬ ०ीं वपुषा कारितोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
703. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितोपमासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य द्वितीयः प्रकारः 78
704. ¬ ०ीं मनसा कृतव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
705. ¬ ०ीं मनसा कारितव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
706. ¬ ०ीं मनसानुमोदितव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
707. ¬ ०ीं वचसा कृतव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
708. ¬ ०ीं वचसा कारितव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
709. ¬ ०ीं वचसानुमोदितव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
710. ¬ ०ीं वपुषा कृतव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
711. ¬ ०ीं वपुषा कारितव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
712. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितव्यवहारसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य तृतीयः प्रकारः 79
713. ¬ ०ीं मनसा कृतप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
714. ¬ ०ीं मनसा कारितप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
715. ¬ ०ीं मनसानुमोदितप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
716. ¬ ०ीं वचसा कृतप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
717. ¬ ०ीं वचसा कारितप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
718. ¬ ०ीं वचसानुमोदितप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
719. ¬ ०ीं वपुषा कृतप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
720. ¬ ०ीं वपुषा कारितप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
721. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितप्रतीतसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य चतुर्थः प्रकारः 80
722. ¬ ०ीं मनसा कृतसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
723. ¬ ०ीं मनसा कारितसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
724. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
725. ¬ ०ीं वचसा कृतसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
726. ¬ ०ीं वचसा कारितसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
727. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
728. ¬ ०ीं वपुषा कृतसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
729. ¬ ०ीं वपुषा कारितसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
730. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसंभावनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य पंचमः प्रकारः 81
731. ¬ ०ीं मनसा कृतजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
732. ¬ ०ीं मनसा कारितजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
733. ¬ ०ीं मनसानुमोदितजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
734. ¬ ०ीं वचसा कृतजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
735. ¬ ०ीं वचसा कारितजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
736. ¬ ०ीं वचसानुमोदितजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
737. ¬ ०ीं वपुषा कृतजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
738. ¬ ०ीं वपुषा कारितजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
739. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितजनपदसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य षष्ठः प्रकारः 82
740. ¬ ०ीं मनसा कृतसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
741. ¬ ०ीं मनसा कारितसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
742. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
743. ¬ ०ीं वचसा कृतसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
744. ¬ ०ीं वचसा कारितसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
745. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
746. ¬ ०ीं वपुषा कृतसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
747. ¬ ०ीं वपुषा कारितसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
748. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसंवृतिसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य सप्तमः प्रकारः 83
749. ¬ ०ीं मनसा कृतनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
750. ¬ ०ीं मनसा कारितनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
751. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
752. ¬ ०ीं वचसा कृतनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
753. ¬ ०ीं वचसा कारितनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
754. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
755. ¬ ०ीं वपुषा कृतनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
756. ¬ ०ीं वपुषा कारितनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
757. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनामसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्याष्टमः प्रकारः 84
758. ¬ ०ीं मनसा कृतस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
759. ¬ ०ीं मनसा कारितस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
760. ¬ ०ीं मनसानुमोदितस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
761. ¬ ०ीं वचसा कृतस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
762. ¬ ०ीं वचसा कारितस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
763. ¬ ०ीं वचसानुमोदितस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
764. ¬ ०ीं वपुषा कृतस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
765. ¬ ०ीं वपुषा कारितस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
766. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितस्थापनासत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य नवमः प्रकारः 85
767. ¬ ०ीं मनसा कृतरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
768. ¬ ०ीं मनसा कारितरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
769. ¬ ०ीं मनसानुमोदितरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
770. ¬ ०ीं वचसा कृतरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
771. ¬ ०ीं वचसा कारितरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
772. ¬ ०ीं वचसानुमोदितरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
773. ¬ ०ीं वपुषा कृतरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
774. ¬ ०ीं वपुषा कारितरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
775. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितरूपसत्यभाषासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति भाषासमितिचारित्रास्य दशमः प्रकारः 86
एषणा समिति के 414 मंत्रा
776. ¬ ०ीं मनसा कृतधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
777. ¬ ०ीं मनसा कारितधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
778. ¬ ०ीं मनसानुमोदितधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
779. ¬ ०ीं वचसा कृतधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
780. ¬ ०ीं वचसा कारितधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
781. ¬ ०ीं वचसानुमोदितधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
782. ¬ ०ीं वपुषा कृतधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
783. ¬ ०ीं वपुषा कारितधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
784. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितधात्राीदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति धात्राीदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य प्रथमः प्रकारः 87
785. ¬ ०ीं मनसा कृतदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
786. ¬ ०ीं मनसा कारितदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
787. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
788. ¬ ०ीं वचसा कृतदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
789. ¬ ०ीं वचसा कारितदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
790. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
791. ¬ ०ीं वपुषा कृतदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
792. ¬ ०ीं वपुषा कारितदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
793. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदूतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति दूतदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य द्वितीयः प्रकारः 88
794. ¬ ०ीं मनसा कृतनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
795. ¬ ०ीं मनसा कारितनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
796. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
797. ¬ ०ीं वचसा कृतनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
798. ¬ ०ीं वचसा कारितनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
799. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
800. ¬ ०ीं वपुषा कृतनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
801. ¬ ०ीं वपुषा कारितनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
802. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनिमित्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति निमित्तदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य तृतीयः प्रकारः 89
803. ¬ ०ीं मनसा कृताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
804. ¬ ०ीं मनसा कारिताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
805. ¬ ०ीं मनसानुमोदिताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
806. ¬ ०ीं वचसा कृताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
807. ¬ ०ीं वचसा कारिताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
808. ¬ ०ीं वचसानुमोदिताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
809. ¬ ०ीं वपुषा कृताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
810. ¬ ०ीं वपुषा कारिताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
811. ¬ ०ीं वपुषानुमोदिताऽजीवकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति आजीवनदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य चतुर्थः प्रकारः 90
812. ¬ ०ीं मनसा कृतवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
813. ¬ ०ीं मनसा कारितवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
814. ¬ ०ीं मनसानुमोदितवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
815. ¬ ०ीं वचसा कृतवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
816. ¬ ०ीं वचसा कारितवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
817. ¬ ०ीं वचसानुमोदितवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
818. ¬ ०ीं वपुषा कृतवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
819. ¬ ०ीं वपुषा कारितवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
820. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितवनीपकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति वनीपकदोषरहितैषणासमिति चारित्रास्य पंचमः प्रकारः 91
821. ¬ ०ीं मनसा कृतचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
822. ¬ ०ीं मनसा कारितचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
823. ¬ ०ीं मनसानुमोदितचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
824. ¬ ०ीं वचसा कृतचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
825. ¬ ०ीं वचसा कारितचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
826. ¬ ०ीं वचसानुमोदितचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
827. ¬ ०ीं वपुषा कृतचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
828. ¬ ०ीं वपुषा कारितचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
829. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितचिकित्सादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति चिकित्सादोषरहितैषणासमिति चारित्रास्य षष्ठः प्रकारः 92
830. ¬ ०ीं मनसा कृतक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
831. ¬ ०ीं मनसा कारितक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
832. ¬ ०ीं मनसानुमोदितक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
833. ¬ ०ीं वचसा कृतक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
834. ¬ ०ीं वचसा कारितक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
835. ¬ ०ीं वचसानुमोदितक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
836. ¬ ०ीं वपुषा कृतक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
837. ¬ ०ीं वपुषा कारितक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
838. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितक्रोधदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति क्रोधदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य सप्तमः प्रकारः 93
839. ¬ ०ीं मनसा कृतमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
840. ¬ ०ीं मनसा कारितमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
841. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
842. ¬ ०ीं वचसा कृतमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
843. ¬ ०ीं वचसा कारितमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
844. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
845. ¬ ०ीं वपुषा कृतमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
846. ¬ ०ीं वपुषा कारितमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
847. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमानदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मानदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य अष्टमः प्रकारः 94
848. ¬ ०ीं मनसा कृतमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
849. ¬ ०ीं मनसा कारितमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
850. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
851. ¬ ०ीं वचसा कृतमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
852. ¬ ०ीं वचसा कारितमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
853. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
854.¬ ०ीं वपुषा कृतमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
855. ¬ ०ीं वपुषा कारितमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
856. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमायादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मायादोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य नवमः प्रकारः 95
857. ¬ ०ीं मनसा कृतलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
858. ¬ ०ीं मनसा कारितलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
859. ¬ ०ीं मनसानुमोदितलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
860. ¬ ०ीं वचसा कृतलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
861. ¬ ०ीं वचसा कारितलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
862. ¬ ०ीं वचसानुमोदितलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
863. ¬ ०ीं वपुषा कृतलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
864. ¬ ०ीं वपुषा कारितलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
865. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितलोभदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति लोभदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य दशमः प्रकारः 96
866. ¬ ०ीं मनसा कृतपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
867. ¬ ०ीं मनसा कारितपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
868. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
869. ¬ ०ीं वचसा कृतपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
870. ¬ ०ीं वचसा कारितपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
871. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
872. ¬ ०ीं वपुषा कृतपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
873. ¬ ०ीं वपुषा कारितपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
874. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति पूर्वस्तुतिदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य एकादशः प्रकारः 97
875. ¬ ०ीं मनसा कृतपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
876. ¬ ०ीं मनसा कारितपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
877. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
878. ¬ ०ीं वचसा कृतपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
879. ¬ ०ीं वचसा कारितपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
880. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
881. ¬ ०ीं वपुषा कृतपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
882. ¬ ०ीं वपुषा कारितपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
883. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति पश्चात्स्तुतिदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य द्वादशः प्रकारः 98
884. ¬ ०ीं मनसा कृतविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
885. ¬ ०ीं मनसा कारितविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
886. ¬ ०ीं मनसानुमोदितविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
887. ¬ ०ीं वचसा कृतविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
888. ¬ ०ीं वचसा कारितविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
889. ¬ ०ीं वचसानुमोदितविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
890. ¬ ०ीं वपुषा कृतविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
891. ¬ ०ीं वपुषा कारितविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
892. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितविद्यादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति विद्यादोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य त्रायोदशः प्रकारः 99
893. ¬ ०ीं मनसा कृतमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
894. ¬ ०ीं मनसा कारितमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
895. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
896. ¬ ०ीं वचसा कृतमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
897. ¬ ०ीं वचसा कारितमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
898. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
899. ¬ ०ीं वपुषा कृतमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
900. ¬ ०ीं वपुषा कारितमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
901. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमंत्रादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मंत्रादोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य चतुर्दशः प्रकारः 100
902. ¬ ०ीं मनसा कृतचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
903. ¬ ०ीं मनसा कारितचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
904. ¬ ०ीं मनसानुमोदितचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
905. ¬ ०ीं वचसा कृतचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
906. ¬ ०ीं वचसा कारितचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
907. ¬ ०ीं वचसानुमोदितचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
908. ¬ ०ीं वपुषा कृतचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
909. ¬ ०ीं वपुषा कारितचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
910. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितचूर्णदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति चूर्णदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य पंचदशः प्रकारः 101
911. ¬ ०ीं मनसा कृतमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
912. ¬ ०ीं मनसा कारितमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
913. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
914. ¬ ०ीं वचसा कृतमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
915. ¬ ०ीं वचसा कारितमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
916. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
917. ¬ ०ीं वपुषा कृतमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
918. ¬ ०ीं वपुषा कारितमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
919. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मूलकम्र्मदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य षोडशः प्रकारः 102
920. ¬ ०ीं मनसा कृतशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
921. ¬ ०ीं मनसा कारितशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
922. ¬ ०ीं मनसानुमोदितशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
923. ¬ ०ीं वचसा कृतशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
924. ¬ ०ीं वचसा कारितशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
925. ¬ ०ीं वचसानुमोदितशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
926. ¬ ०ीं वपुषा कृतशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
927. ¬ ०ीं वपुषा कारितशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
928. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितशंकितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति शंकितदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य सप्तदशः प्रकारः 103
929. ¬ ०ीं मनसा कृतम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
930. ¬ ०ीं मनसा कारितम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
931. ¬ ०ीं मनसानुमोदितम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
932. ¬ ०ीं वचसा कृतम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
933. ¬ ०ीं वचसा कारितम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
934. ¬ ०ीं वचसानुमोदितम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
935. ¬ ०ीं वपुषा कृतम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
936. ¬ ०ीं वपुषा कारितम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
937. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितम्रक्षितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति म्रक्षितदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य अष्टदशः प्रकारः 104
938. ¬ ०ीं मनसा कृतनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
939. ¬ ०ीं मनसा कारितनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
940. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
941. ¬ ०ीं वचसा कृतनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
942. ¬ ०ीं वचसा कारितनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
943. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
944. ¬ ०ीं वपुषा कृतनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
945. ¬ ०ीं वपुषा कारितनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
946. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनिक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति निक्षिप्तदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य एकोनविंशः प्रकारः 105
947. ¬ ०ीं मनसा कृतपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
948. ¬ ०ीं मनसा कारितपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
949. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
950. ¬ ०ीं वचसा कृतपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
951. ¬ ०ीं वचसा कारितपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
952. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
953. ¬ ०ीं वपुषा कृतपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
954. ¬ ०ीं वपुषा कारितपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
955. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपिहितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति पिहितदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य विंशतितमः प्रकारः 106
956. ¬ ०ीं मनसा कृतसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
957. ¬ ०ीं मनसा कारितसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
958. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
959. ¬ ०ीं वचसा कृतसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
960. ¬ ०ीं वचसा कारितसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
961. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
962. ¬ ०ीं वपुषा कृतसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
963. ¬ ०ीं वपुषा कारितसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
964. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसंव्यवहरणदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति व्यवहरणदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य एकविंशः प्रकारः 107
965. ¬ ०ीं मनसा कृतदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
966. ¬ ०ीं मनसा कारितदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
967. ¬ ०ीं मनसानुमोदितदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
968. ¬ ०ीं वचसा कृतदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
969. ¬ ०ीं वचसा कारितदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
970. ¬ ०ीं वचसानुमोदितदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
971. ¬ ०ीं वपुषा कृतदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
972. ¬ ०ीं वपुषा कारितदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
973. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितदायकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति दायकदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य द्वाविंशः प्रकारः 108
974. ¬ ०ीं मनसा कृतोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
975. ¬ ०ीं मनसा कारितोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
976. ¬ ०ीं मनसानुमोदितोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
977. ¬ ०ीं वचसा कृतोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
978. ¬ ०ीं वचसा कारितोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
979. ¬ ०ीं वचसानुमोदितोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
980. ¬ ०ीं वपुषा कृतोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
981. ¬ ०ीं वपुषा कारितोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
982. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितोन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति उन्मिश्रदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य त्रायोविंशतितमः प्रकारः 109
983. ¬ ०ीं मनसा कृतापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
984. ¬ ०ीं मनसा कारितापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
985. ¬ ०ीं मनसानुमोदितापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
986. ¬ ०ीं वचसा कृतापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
987. ¬ ०ीं वचसा कारितापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
988. ¬ ०ीं वचसानुमोदितापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
989. ¬ ०ीं वपुषा कृतापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
990. ¬ ०ीं वपुषा कारितापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
991. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितापरिणतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अपरिणतदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य चतुर्विंशतितमः प्रकारः 110
992. ¬ ०ीं मनसा कृतलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
993. ¬ ०ीं मनसा कारितलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
994. ¬ ०ीं मनसानुमोदितलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
995. ¬ ०ीं वचसा कृतलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
996. ¬ ०ीं वचसा कारितलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
997. ¬ ०ीं वचसानुमोदितलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
998. ¬ ०ीं वपुषा कृतलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्र्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
999. ¬ ०ीं वपुषा कारितलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1000. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितलिप्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति लिप्तदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य पंचविंशतितमः प्रकारः 111
1001. ¬ ०ीं मनसा कृतछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1002. ¬ ०ीं मनसा कारितछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1003. ¬ ०ीं मनसानुमोदितछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1004. ¬ ०ीं वचसा कृतछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1005. ¬ ०ीं वचसा कारितछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1006. ¬ ०ीं वचसानुमोदितछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1007. ¬ ०ीं वपुषा कृतछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1008. ¬ ०ीं वपुषा कारितछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1009. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितछोटितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति छोटितदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य षड्विंशतितमः प्रकारः 112
1010. ¬ ०ीं मनसा कृतौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1011. ¬ ०ीं मनसा कारितौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1012. ¬ ०ीं मनसानुमोदितौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1013. ¬ ०ीं वचसा कृतौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1014. ¬ ०ीं वचसा कारितौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1015. ¬ ०ीं वचसानुमोदितौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1016. ¬ ०ीं वपुषा कृतौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1017. ¬ ०ीं वपुषा कारितौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1018. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इत्यौद्देशिकदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य सप्तविंशतितमः प्रकारः 113
1019. ¬ ०ीं मनसा कृतअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1020. ¬ ०ीं मनसा कारितअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1021. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1022. ¬ ०ीं वचसा कृतअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1023. ¬ ०ीं वचसा कारितअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1024. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1025. ¬ ०ीं वपुषा कृतअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1026. ¬ ०ीं वपुषा कारितअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1027. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअध्यधिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अध्यधिदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य अष्टाविंशतितमः प्रकारः 114
1028. ¬ ०ीं मनसा कृतपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1029. ¬ ०ीं मनसा कारितपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1030. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1031. ¬ ०ीं वचसा कृतपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1032. ¬ ०ीं वचसा कारितपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1033. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1034. ¬ ०ीं वपुषा कृतपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1035. ¬ ०ीं वपुषा कारितपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1036. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपूतिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति पूतिदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य ऊनत्रिंशत्तमः प्रकारः 115
1037. ¬ ०ीं मनसा कृतप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1038. ¬ ०ीं मनसा कारितप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1039. ¬ ०ीं मनसानुमोदितप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1040. ¬ ०ीं वचसा कृतप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1041. ¬ ०ीं वचसा कारितप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1042. ¬ ०ीं वचसानुमोदितप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1043. ¬ ०ीं वपुषा कृतप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1044. ¬ ०ीं वपुषा कारितप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1045. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितप्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति प्राभृतिकदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य त्रिंशत्तमः प्रकारः 116
1046. ¬ ०ीं मनसा कृतमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1047. ¬ ०ीं मनसा कारितमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1048. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1049. ¬ ०ीं वचसा कृतमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1050. ¬ ०ीं वचसा कारितमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1051. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1052. ¬ ०ीं वपुषा कृतमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1053. ¬ ०ीं वपुषा कारितमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1054. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमिश्रदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मिश्रदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य एकत्रिंशत्तमः प्रकारः 117
1055. ¬ ०ीं मनसा कृतबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1056. ¬ ०ीं मनसा कारितबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1057. ¬ ०ीं मनसानुमोदितबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1058. ¬ ०ीं वचसा कृतबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1059. ¬ ०ीं वचसा कारितबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1060. ¬ ०ीं वचसानुमोदितबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1061. ¬ ०ीं वपुषा कृतबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1062. ¬ ०ीं वपुषा कारितबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1063. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितबलिदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति बलिदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य द्वात्रिंशत्तमः प्रकारः 118
1064. ¬ ०ीं मनसा कृतन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1065. ¬ ०ीं मनसा कारितन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1066. ¬ ०ीं मनसानुमोदितन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1067. ¬ ०ीं वचसा कृतन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1068. ¬ ०ीं वचसा कारितन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1069. ¬ ०ीं वचसानुमोदितन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1070. ¬ ०ीं वपुषा कृतन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1071.¬ ०ीं वपुषा कारितन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1072. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितन्यस्तदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति न्यस्तदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य त्रायस्त्रिांशत्तमः प्रकारः 119
1073. ¬ ०ीं मनसा कृतप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1074. ¬ ०ीं मनसा कारितप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1075. ¬ ०ीं मनसानुमोदितप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1076. ¬ ०ीं वचसा कृतप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1077. ¬ ०ीं वचसा कारितप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1078. ¬ ०ीं वचसानुमोदितप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1079. ¬ ०ीं वपुषा कृतप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1080. ¬ ०ीं वपुषा कारितप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1081. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितप्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति प्रादुष्कृतदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य चतुस्त्रिांशत्तमः प्रकारः 120
1082. ¬ ०ीं मनसा कृतक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1083. ¬ ०ीं मनसा कारितक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1084. ¬ ०ीं मनसानुमोदितक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1085. ¬ ०ीं वचसा कृतक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1086. ¬ ०ीं वचसा कारितक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1087. ¬ ०ीं वचसानुमोदितक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1088. ¬ ०ीं वपुषा कृतक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1089. ¬ ०ीं वपुषा कारितक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1090. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितक्रीतदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति क्रीतदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य पंचत्रिंशत्तमः प्रकारः 121
1091. ¬ ०ीं मनसा कृतप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1092. ¬ ०ीं मनसा कारितप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1093. ¬ ०ीं मनसानुमोदितप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1094. ¬ ०ीं वचसा कृतप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1095. ¬ ०ीं वचसा कारितप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1096. ¬ ०ीं वचसानुमोदितप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1097. ¬ ०ीं वपुषा कृतप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1098. ¬ ०ीं वपुषा कारितप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1099. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितप्रामित्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति प्रामित्यदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य षट्त्रिंशत्तमः प्रकारः 122
1100. ¬ ०ीं मनसा कृतपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1101. ¬ ०ीं मनसा कारितपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1102. ¬ ०ीं मनसानुमोदितपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1103. ¬ ०ीं वचसा कृतपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1104. ¬ ०ीं वचसा कारितपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1105. ¬ ०ीं वचसानुमोदितपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1106. ¬ ०ीं वपुषा कृतपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1107. ¬ ०ीं वपुषा कारितपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1108. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितपरिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति परिवत्र्तितदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य
सप्तत्रिंशत्तमः प्रकारः 123
1109. ¬ ०ीं मनसा कृतनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1110. ¬ ०ीं मनसा कारितनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1111. ¬ ०ीं मनसानुमोदितनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1112. ¬ ०ीं वचसा कृतनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1113. ¬ ०ीं वचसा कारितनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1114. ¬ ०ीं वचसानुमोदितनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1115. ¬ ०ीं वपुषा कृतनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1116. ¬ ०ीं वपुषा कारितनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1117. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितनिषिद्धदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति निषिद्धदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य अष्टत्रिंशत्तमः प्रकारः 124
1118. ¬ ०ीं मनसा कृतअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1119. ¬ ०ीं मनसा कारितअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1120. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1121. ¬ ०ीं वचसा कृतअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1122. ¬ ०ीं वचसा कारितअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1123. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1124. ¬ ०ीं वपुषा कृतअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1125. ¬ ०ीं वपुषा कारितअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1126. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअभिक्ततदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अभिक्ततदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य ऊनचत्वारिंशत्तमः प्रकारः 125
1127. ¬ ०ीं मनसा कृतउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1128. ¬ ०ीं मनसा कारितउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1129.¬ ०ीं मनसानुमोदितउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1130. ¬ ०ीं वचसा कृतउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1131. ¬ ०ीं वचसा कारितउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1132.¬ ०ीं वचसानुमोदितउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1133. ¬ ०ीं वपुषा कृतउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1134. ¬ ०ीं वपुषा कारितउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1135. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितउिन्नदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति उिन्नदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य चत्वारिंशत्तमः प्रकारः 126
1136. ¬ ०ीं मनसा कृतआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1137. ¬ ०ीं मनसा कारितआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1138. ¬ ०ीं मनसानुमोदितआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1139. ¬ ०ीं वचसा कृतआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1140. ¬ ०ीं वचसा कारितआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1141. ¬ ०ीं वचसानुमोदितआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1142. ¬ ०ीं वपुषा कृतआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1143. ¬ ०ीं वपुषा कारितआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1144. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितआच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति आच्छेद्यदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य एकचत्वारिंशत्तमः प्रकारः 127
1145. ¬ ०ीं मनसा कृतमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1146. ¬ ०ीं मनसा कारितमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1147. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1148. ¬ ०ीं वचसा कृतमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1149. ¬ ०ीं वचसा कारितमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1150. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1151. ¬ ०ीं वपुषा कृतमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1152. ¬ ०ीं वपुषा कारितमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1153. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमालादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मालादोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य द्विचत्वारिंशत्तमः प्रकारः 128
1154. ¬ ०ीं मनसा कृतसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1155. ¬ ०ीं मनसा कारितसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1156. ¬ ०ीं मनसानुमोदितसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1157. ¬ ०ीं वचसा कृतसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1158. ¬ ०ीं वचसा कारितसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1159. ¬ ०ीं वचसानुमोदितसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1160. ¬ ०ीं वपुषा कृतसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1161. ¬ ०ीं वपुषा कारितसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1162. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितसंयोजनादोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति संयोजनदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य त्रिचत्वारिंशत्तमः प्रकारः 129
1163. ¬ ०ीं मनसा कृतप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1164. ¬ ०ीं मनसा कारितप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1165. ¬ ०ीं मनसानुमोदितप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1166. ¬ ०ीं वचसा कृतप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1167. ¬ ०ीं वचसा कारितप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1168. ¬ ०ीं वचसानुमोदितप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1169. ¬ ०ीं वपुषा कृतप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1170. ¬ ०ीं वपुषा कारितप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1171. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितप्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति प्रमाणातिक्रमदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य चतुश्चत्वारिंशत्तमः प्रकारः 130
1172. ¬ ०ीं मनसा कृतअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1173. ¬ ०ीं मनसा कारितअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1174. ¬ ०ीं मनसानुमोदितअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1175. ¬ ०ीं वचसा कृतअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1176. ¬ ०ीं वचसा कारितअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1177. ¬ ०ीं वचसानुमोदितअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1178. ¬ ०ीं वपुषा कृतअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1179.¬ ०ीं वपुषा कारितअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1180. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितअंगारदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति अंगारदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य पंचचत्वारिंशत्तमः प्रकारः 131
1181. ¬ ०ीं मनसा कृतधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1182. ¬ ०ीं मनसा कारितधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1183. ¬ ०ीं मनसानुमोदितधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1184. ¬ ०ीं वचसा कृतधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1185. ¬ ०ीं वचसा कारितधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1186. ¬ ०ीं वचसानुमोदितधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1187. ¬ ०ीं वपुषा कृतधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1188. ¬ ०ीं वपुषा कारितधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1189. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितधूमदोषरहितैषणासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति धूमदोषरहितैषणासमितिचारित्रास्य षट्चत्वारिंशत्तमः प्रकारः 132
आदाननिक्षेपण समिति के 9 मंत्रा
1190. ¬ ०ीं मनसा कृतादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1191. ¬ ०ीं मनसा कारितादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1192. ¬ ०ीं मनसानुमोदितादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1193. ¬ ०ीं वचसा कृतादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1194. ¬ ०ीं वचसा कारितादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1195. ¬ ०ीं वचसानुमोदितादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1196. ¬ ०ीं वपुषा कृतादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1197. ¬ ०ीं वपुषा कारितादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1198. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितादाननिक्षेपणसमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति आदाननिक्षेपणसमितिचारित्रास्य प्रकारः 133
प्रतिष्ठापनासमिति के 9 मंत्रा
1199. ¬ ०ीं मनसा कृतप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1200. ¬ ०ीं मनसा कारितप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1201. ¬ ०ीं मनसानुमोदितप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1202. ¬ ०ीं वचसा कृतप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1203. ¬ ०ीं वचसा कारितप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1204. ¬ ०ीं वचसानुमोदितप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1205. ¬ ०ीं वपुषा कृतप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1206. ¬ ०ीं वपुषा कारितप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1207. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितप्रतिष्ठापनासमितिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति प्रतिष्ठापनासमितिचारित्रास्य प्रकारः 134
मनगुप्ति के 9 मंत्रा
1208. ¬ ०ीं मनसा कृतमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1209. ¬ ०ीं मनसा कारितमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1210. ¬ ०ीं मनसानुमोदितमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1211. ¬ ०ीं वचसा कृतमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1212. ¬ ०ीं वचसा कारितमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1213. ¬ ०ीं वचसानुमोदितमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1214. ¬ ०ीं वपुषा कृतमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1215. ¬ ०ीं वपुषा कारितमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1216. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितमनोगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति मनोगुप्तिचारित्रास्य प्रकारः 135
वचनगुप्ति के 9 मंत्रा
1217. ¬ ०ीं मनसा कृतवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1218. ¬ ०ीं मनसा कारितवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1219. ¬ ०ीं मनसानुमोदितवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1220. ¬ ०ीं वचसा कृतवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1221. ¬ ०ीं वचसा कारितवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1222. ¬ ०ीं वचसानुमोदितवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1223. ¬ ०ीं वपुषा कृतवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1224. ¬ ०ीं वपुषा कारितवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1225. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितवाग्गुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति वचनगुप्तिचारित्रास्य प्रकारः 136
कायगुप्ति के 9 मंत्रा
1226. ¬ ०ीं मनसा कृतकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।1।।
1227. ¬ ०ीं मनसा कारितकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।2।।
1228. ¬ ०ीं मनसानुमोदितकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।3।।
1229. ¬ ०ीं वचसा कृतकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।4।।
1230. ¬ ०ीं वचसा कारितकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।5।।
1231. ¬ ०ीं वचसानुमोदितकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।6।।
1232. ¬ ०ीं वपुषा कृतकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।7।।
1233. ¬ ०ीं वपुषा कारितकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।8।।
1234. ¬ ०ीं वपुषानुमोदितकायगुप्तिप्रोषधोद्योतनाय नमः।।9।।
इति कायगुप्तिचारित्रास्य प्रकारः 137
(समाप्त)