सुमेरू पर्वत के ठीक उत्तर में उत्तरकुरू और दक्षिण में देवकुरू हैं। ये उत्तर- कुरू, देवकुरू उत्तम भोगभूमि हैं। हरि क्षेत्र एवं रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि की व्यवस्था है तथा हैरण्यवत, हैमवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि है।
इस प्रकार जम्बूद्वीप की १ मेरू सम्बन्धी ६ भोगभूमियाँ हैं।
इसी प्रकार धातकीखण्ड की २ मेरू सम्बन्धी १२ तथा पुष्करार्ध की २ मेरू सम्बन्धी १२, इस प्रकार—ढ़ाई द्वीप की पाँचों मेरू सम्बन्धी—६ ± १२ ± १२ · ३० भोगभूमियाँ हैं।
जहाँ पर १० प्रकार के कल्पवृक्षों के द्वारा उत्तम-उत्तम भोगोपभोग सामग्री प्राप्त होती है, उसे भोगभूमि कहते हैं