रत्नत्रय का उपदेश देना या उनसे संबंधित महापुरुषों का इतिहास सुनाना, जीवादि सात तत्त्वों का विवेचन करना, आत्मा के-बहिरात्मा, अंतरात्मा, परमात्मा आदि भेदों को कहना, इसका नाम प्रवचन है।