

वासुपूज्य जिनराज की, करूँ थापना आज। 
जल का स्वभाव है शीतलता, यह जगप्रसिद्ध अनुभव माना। 



जो फूल सदा विकसित होकर, उपवन को करें सुशोभित हैं। 
जिन सरस मधुर पकवानों से, हम तन की क्षुधा मिटाते हैं।


ले छैलछबीला अगर तगर, चंदन में कूट मिलाया है। 
बादाम छुहारा लौंग आदि, उत्तम फल थाली में भरके। 



हे वासुपूज्य देव! करूँ अर्चना तेरी।