भाई जी ने सदैव हमारे लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करके हमें सदा आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। बहुत ही युवा अवस्था से हम पूज्य माताजी के संघ व संस्थान के साथ जुड़े हुए हैं और अपने जीवन की उन्नति का हर पल, हर क्षण हमनें पूज्य माताजी के आशीर्वाद से पाया है।
इसी के साथ भाई जी जो अब स्वामी रवीन्द्रकीर्ति जी बन गये हैं, उनके निर्देशन में हमने सदैव किसी भी कार्य को सम्पन्न करने की विशिष्ट शैली सीखकर अपने सभी लक्ष्य की प्राप्ति की और सदा उनके कारण हम जम्बूद्वीप तीर्थ एवं संस्थान के अभिन्न अंग बनकर धर्मकार्य का पुण्यार्जन करते रहे हैं।
स्वामी जी के उपकार से ही मुझे भगवान महावीर स्वामी की निर्वाणस्थली पावापुरी (नालंदा) बिहार जैसे महान तीर्थ पर भगवान महावीर का विशाल जिनमंदिर बनवाने का अनंतगुणा पुण्य प्राप्त हुआ है और वर्तमान में हस्तिनापुर जैसी अत्यन्त पौराणिक तीर्थभूमि पर भगवान चन्द्रप्रभु जिनमंदिर निर्माण का सौभाग्य भी हमारे परिवार को प्राप्त हो रहा है।
मैं स्वामी जी का अनंत उपकार मानता हूँ क्योंकि केवल धन का व्यय करके कोई व्यक्ति इतने महान जिनमंदिरों के निर्माण का पुण्य अर्जित नहीं कर सकता अपितु ऐसे कार्य हेतु स्वामी जी जैसे महापुरुष का सहयोग एवं समर्पण जब तक प्राप्त न होवे, तब तक कोई भी धनराशि लक्ष्य की सिद्धि में निमित्त नहीं बन सकती है अत: मैं अपने परिवार सहित सदैव स्वामी जी के आशीर्वाद की अभिलाषा करते हुए सदा ही उनका मार्गदर्शन, निर्देशन व धर्मकार्य में हमारे परिवार को निमित्त प्राप्त होता रहे, यही मंगल भावनाएँ करता हूँ।
अंत में स्वामी जी को सादर वंदन के साथ उनके दीर्घ, स्वस्थ एवं यशस्वी जीवन की शुभकामनाओं सहित उनके चरणों में मेरा बारम्बार प्रणाम।