व्रत विधि— जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के वर्तमानकालीन तीर्थंकर श्री ऋषभदेव से लेकर श्री महावीर पर्यंत २४ हैंं। ऐसे ही भूतकालीन श्री निर्वाणनाथ से लेकर श्री शांतिनाथ पर्यंत २४ हैं, पुन: भविष्यत्कालीन श्रीमहापद्म से लेकर अनंतवीर्य पर्यंत चौबीस हैं। ये २४±२४±२४·७२ तीर्थंकर के ७२ व्रत करने होते हैं। व्रतों की उत्कृष्ट विधि उपवास, मध्यम विधि अल्पाहार और जघन्यविधि एकाशन है। व्रत के दिन तीर्थंकर प्रतिमा का पंचामृत अभिषेक करके तीन चौबीसी पूजा करें। व्रत पूर्ण कर यथाशक्ति तीन चौबीसी की प्रतिमा विराजमान करावें। ७२ ग्रंथ आदि का दान देवें। ग्रंथ प्रकाशित करावें। जहाँ तीन चौबीसी विराजमान हैं, ऐसे ‘तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली’ प्रयाग (इलाहाबाद), अयोध्या, हस्तिनापुर जम्बूद्वीप आदि तीर्थों की वंदना करें।
समुच्चय मंत्र—ॐ ह्रीं श्रीत्रैकालिकचतुर्विंशतितीर्थंकरेभ्यो नम:।
मंत्र जपें पुन: व्रत के दिन क्रमश: एक-एक तीर्थंकरों का मंत्र जपें।
प्रत्येक व्रत के पृथक्-पृथक् मंत्र—
१. ॐ ह्रीं श्री निर्वाणनाथ जिनेन्द्राय नम:। २. ॐ ह्रीं श्री सागरनाथ जिनेन्द्राय नम:। ३. ॐ ह्रीं श्री महासाधुनाथ जिनेन्द्राय नम:। ४. ॐ ह्रीं श्री विमलप्रभनाथ जिनेन्द्राय नम:। ५. ॐ ह्रीं श्री श्रीधरनाथ जिनेन्द्राय नम:। ६. ॐ ह्रीं श्री सुदत्तनाथ जिनेन्द्राय नम:। ७. ॐ ह्रीं श्री अमलप्रभनाथ जिनेन्द्राय नम:। ८. ॐ ह्रीं श्री उद्धरनाथ जिनेन्द्राय नम:। ९. ॐ ह्रीं श्री अंगिरनाथ जिनेन्द्राय नम:। १०. ॐ ह्रीं श्री सन्मतिनाथ जिनेन्द्राय नम:। ११. ॐ ह्रीं श्री सिंधुनाथ जिनेन्द्राय नम:। १२. ॐ ह्रीं श्री कुसुमांजलिनाथ जिनेन्द्राय नम:। १३. ॐ ह्रीं श्री शिवगणनाथ जिनेन्द्राय नम:। १४. ॐ ह्रीं श्री उत्साहनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१५. ॐ ह्रीं श्री ज्ञानेश्वरनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१६. ॐ ह्रीं श्री परमेश्वरनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१७. ॐ ह्रीं श्री विमलेश्वरनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१८. ॐ ह्रीं श्री यशोधरनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१९. ॐ ह्रीं श्री कृष्णमतिनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२०. ॐ ह्रीं श्री ज्ञानमतिनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२१. ॐ ह्रीं श्री शुद्धमतिनाथ जिनेन्द्राय नम:। २२. ॐ ह्रीं श्री भद्रनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२३. ॐ ह्रीं श्री अतिक्रांतनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२४. ॐ ह्रीं श्री शांतनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१. ॐ ह्रीं श्री ऋषभनाथजिनेन्द्राय नम:। २. ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेन्द्राय नम:। ३. ॐ ह्रीं श्री संभवनाथ जिनेन्द्राय नम:। ४. ॐ ह्रीं श्री अभिनंदननाथ जिनेन्द्राय नम:। ५. ॐ ह्रीं श्री सुमतिनाथ जिनेन्द्राय नम:। ६. ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभनाथ जिनेन्द्राय नम:। ७. ॐ ह्रीं श्री सुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नम:।
८. ॐ ह्रीं श्री चंद्रप्रभनाथ जिनेन्द्राय नम:। ९. ॐ ह्रीं श्री पुष्पदंतनाथ जिनेन्द्राय नम:। १०. ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथ जिनेन्द्राय नम:। ११. ॐ ह्रीं श्री श्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय नम:। १२. ॐ ह्रीं श्री वासुपूज्यनाथ जिनेन्द्राय नम:। १३. ॐ ह्रीं श्री विमलनाथ जिनेन्द्राय नम:। १४. ॐ ह्रीं श्री अनंतनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१५. ॐ ह्रीं श्री धर्मनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१६. ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१७. ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१८. ॐ ह्रीं श्री अरनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१९. ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथ जिनेन्द्राय नम:। २०. ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२१. ॐ ह्रीं श्री नमिनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२२. ॐ ह्रीं श्री नेमिनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२३. ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२४. ॐ ह्रीं श्री महावीर जिनेन्द्राय नम:।
१. ॐ ह्रीं श्री महापद्मनाथ जिनेन्द्राय नम:। २. ॐ ह्रीं श्री सुरदेवनाथ जिनेन्द्राय नम:। ३. ॐ ह्रीं श्री सुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नम:। ४. ॐ ह्रीं श्री स्वयंप्रभनाथ जिनेन्द्राय नम:। ५. ॐ ह्रीं श्री सर्वात्मभूतनाथ जिनेन्द्राय नम:। ६. ॐ ह्रीं श्री देवपुत्रनाथ जिनेन्द्राय नम:। ७. ॐ ह्रीं श्री कुलपुत्रनाथ जिनेन्द्राय नम:। ८. ॐ ह्रीं श्री उदंकनाथ जिनेन्द्राय नम:। ९. ॐ ह्रीं श्री प्रोष्ठिलनाथ जिनेन्द्राय नम:। १०. ॐ ह्रीं श्री जयकीर्तिनाथ जिनेन्द्राय नम:। ११. ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्राय नम:। १२. ॐ ह्रीं श्री अरनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१३. ॐ ह्रीं श्री निष्पापनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१४. ॐ ह्रीं श्री निष्कषायनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१५. ॐ ह्रीं श्री विपुलनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१६. ॐ ह्रीं श्री निर्मलनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१७. ॐ ह्रीं श्री चित्रगुप्तनाथ जिनेन्द्राय नम:। १८. ॐ ह्रीं श्री समाधिगुप्तनाथ जिनेन्द्राय नम:।
१९. ॐ ह्रीं श्री स्वयंभूनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२०. ॐ ह्रीं श्री अनिवर्तकनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२१. ॐ ह्रीं श्री जयनाथ जिनेन्द्राय नम:। २२. ॐ ह्रीं श्री विमलनाथ जिनेन्द्राय नम:।
२३. ॐ ह्रीं श्री देवपालनाथ जिनेन्द्राय नम:। २४. ॐ ह्रीं श्री अनंतवीर्यनाथ जिनेन्द्राय नम:।