हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि, हरि और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि एवं विदेह के देवकुरु उत्तरकुरु में उत्तम भोगभूमि की व्यवस्था है।