व्रतविधि— साधु के २८ मूलगुणों के २८ व्रत किये जाते हैं। इन व्रतों में उपवास या एकाशन जैसी भी शक्ति हो, कर सकते हैं।
समुच्चय मंत्र-ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय अष्टाविंशतिमूलगुणेभ्यो नम:।
पृथव्â-पृथव्â व्रत के मंत्र—
१. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय अहिंसामहाव्रताय नम:।
२. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय सत्यमहाव्रताय नम:।
३. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय अचौर्यमहाव्रताय नम:।
४. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय ब्रह्मचर्यमहाव्रताय नम:।
५. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय अपरिग्रहमहाव्रताय नम:।
६. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय ईर्यासमितये नम:।
७. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय भाषासमितये नम:।
८. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय एषणासमितये नम:।
९. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय आदाननिक्षेपणसमितये नम:।
१०. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय उत्सर्गसमितये नम:।
११. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय स्पर्शनेन्द्रियनिरोधव्रताय नम:।
१२. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय रसनेन्द्रियनिरोधव्रताय नम:।
१३. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय घ्राणेन्द्रियनिरोधव्रताय नम:।
१४. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय चक्षुरिन्द्रियनिरोधव्रताय नम:।
१५. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय श्रोत्रेन्द्रियनिरोधव्रताय नम:।
१६. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय समतावश्यकक्रियायै नम:।
१७. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय चतुर्विंशतिस्तवावश्यकक्रियायै नम:।
१८. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय वंदनावश्यकक्रियायै नम:।
१९. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय प्रतिक्रमणावश्यकक्रियायै नम:।
२०. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय प्रत्याख्यानावश्यकक्रियायै नम:।
२१. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय कायोत्सर्गावश्यकक्रियायै नम:।
२२. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय केशलोंचमूलगुणाय नम:।
२३. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय आचेलक्यमूलगुणाय नम:।
२४. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय अस्नानमूलगुणाय नम:।
२५. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय क्षितिशयनमूलगुणाय नम:।
२६. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय अदंतधावनमूलगुणाय नम:।
२७. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय स्थितिभोजनमूलगुणाय नम:।
२८. ॐ ह्रीं सकलचारित्रलाभाय एकभक्तमूलगुणाय नम:।