नाम एवं पता |
भगवान महावीर जन्म स्मारक, बासोकुण्ड विदेह कुण्डपुर (वैशाली) ग्राम – बासोकुण्ड, तह.- सरैया, जि. मुजफ्फरपुर (बिहार) पिन – 844128 |
टेलीफोन | (मंत्री) 09835266811, 07544003396-3397 (पटना ऑफिस) |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ |
आवास : कमरे ( अटैच्ड बाथरूम) : 5, गेस्ट हाउस : 18 कमरे (अटैच्ड लेट बाथ) , हाल : 1 ( यात्री क्षमता ), डाक बंगला : है यात्री ठहराने की कुल क्षमता 1000, यात्री निवास : 24 कमरे ( अटैच्ड लेट बाथ) भोजनशाला : है- सशुल्क अन्य: प्राकृत, जैन शास्त्र एवं अहिंसा शोध संस्थान औषधालय : नहीं, विद्यालय : नहीं, पुस्तकालय : नहीं, एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. : है |
आवागमन के साधन |
रेल्वे स्टेशन : हाजीपुर- 38 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : पटना- 62 कि.मी., वैशाली 0.5 कि.मी. पटना होते हुए |
निकटतम प्रमुख नगर |
पटना – 62 कि.मी., हाजीपुर 38 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था |
संस्था : भगवान महावीर स्मारक समिति, पटना अध्यक्ष : श्री एन.के. सेठी, जयपुर (09414058167) मंत्री : श्री रतनलाल गंगवाल, पटना (09835266811) पत्राचार का पता : ‘जैन सदन’, गोविन्द मिश्रा रोड, पटना-800004 (बिहार) कोषाध्यक्ष : श्री सुरेन्द्र कुमार गंगवाल, पटना (09334128122) |
क्षेत्र का महत्व |
क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 2, क्षेत्र पर पहाड़ : नहींऐतिहासिकता : 599 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन विदेह क्षेत्र में वैशाली के बासोकुण्ड में राजा सिद्धार्थ एवं रानी त्रिशला के घर बालक वर्द्धमान का जन्म यहां हुआ। कुछ अजैन भी श्रद्धा रखकर पूजा अर्चना करते हैं। इस भूमि पर वर्ष 1956 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने ‘भगवान महावीर स्मारक’ निर्माण हेतु शिलान्यास किया एवं स्व. साहू शांति प्रसाद जैन ने ‘प्राकृत, जैन शास्त्र एवं अहिंसा शोध संस्थान’ की स्थापना की। भारत सरकार ने भगवान महावीर के 2600 वें जन्म कल्याणक महोत्सव पर वैशाली के विकास हेतु बड़ा योगदान दिया। यहां भगवान महावीर स्मारक समिति के माध्यम से तीर्थ के विकास का कार्य प्रारम्भ हो चुका है भव्य दिगम्बर जैन मन्दिर नया बना है । साधु संतों हेतु आवास, यात्री निवास, गेस्ट हाऊस, भोजनालय, संग्रहालय, पुस्तकालय आदि का निर्माण प्रस्तावित है। वैशाली में 52 पोखर तालाब से प्राप्त भगवान महावीर की अतिशयकारी काले पाषाण की मूर्ति गाँव के मंदिर में विराजमान है। |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र |
गौतम बुद्ध ने ज्ञान की शिक्षा इसी नगरी से प्राप्त की है। बुद्धत्व प्राप्ति के बाद वे कई बार यहाँ पधारे। |