रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती
(स्थापना)
तर्ज – मेरे देश की धरती…
मंदिर का दर्शन करो भव्य जन, पुण्य भण्डार भरेगा।
मंदिर का दर्शन…।।टेक०।।
ये जिनमंदिर जिन संस्कृति का, दिग्दर्शन हमें कराते हैं।
ये जिनमंदिर जिन प्रतिमाओं का, दर्शन हमें कराते हैं।। हो…हो…
इनका दर्शन-वंदन सबके….
इनका दर्शन – वंदन सबके, भव – भव का त्रास हरेगा।।१।।
महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई, भौतिक नगरी कहलाती है।
लेकिन अनेक जिनमंदिर से, आध्यात्मिक भी कहलाती है।।हो…हो..
उनके दर्शन यदि कर लोगे …
उनके दर्शन यदि कर लोगे, आतम सुख सार मिलेगा।। मंदिर का दर्शन..।।२।।
इन सभी मंदिरों के प्रभुवर की, पूजन हमें यहाँ रचाना है।
इक साथ सभी का आह्वानन, कर मन से सबको ध्याना है।।हो…हो…
स्थापन सन्निधिकरण करो …..
स्थापन सन्निधिकरण करो, हर मन का कमल खिलेगा।।मंदिर का दर्शन….।।३।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरसमूह !
अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरसमूह !
अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरसमूह !
अत्र मम सन नाहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं।
तर्ज – अच्छा सिला दिया …
मुम्बई के सभी जिनमंदिर को नमन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।टेक०।।
समुद्र का खारा जल, मीठा भी हो जाता है।
यदि वह जिनवर के, चरणों में चढ़ जाता है।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, चढ़ाके गंगा जल।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।१।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्यो जन्म-ज़रा-मृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
शीतल चंदन यदि प्रभु के चरणों में चढ़ जाता है।
तभी अपना नाम वह, सार्थक कर पाता है।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, चढ़ा चरण में चंदन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।। मुम्बई के सभी..।।२।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-
चैत्यालय- जिनप्रतिमाभ्य: संसारतापविनाशनायचंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
चावल यदि अक्षत बनके, पूजन में चढ़ जाते हैं।
तभी वे घर की अक्षय सम्पत्ति बढ़ाते हैं।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, चढ़ा के अक्षत पुंज।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।। मुम्बई के सभी..।।३।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-
चैत्यालय- जिनप्रतिमाभ्य: अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
अच्छे-अच्छे पुष्प, प्रभु चरणों में चढ़ जाते हैं।
फिर तो मानव जीवन में, फूल महक जाते हैं।।
प्रभु को मनाऊँ मैं मन से, पद में रख सुमन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।४।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-
चैत्यालय-जिनप्रतिमाभ्य: कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
खाने के पक्वान यदि पूजन में चढ़ाते हैं।
तन की क्षुधा नाशने में कारण वे बन जाते हैं।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, कर नैवेद्य से पूजन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।५।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-चैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
दीपक से आरती करने, प्रभु पद में आना है।
उसकी दिव्य ज्योति, अपने जीवन में भी लाना है।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, करके दीपक से पूजन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।६।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-चैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
महलों में धूप को जलाने से क्या लाभ है।
प्रभु ढिग जलाओ तो होंगे कर्म नाश हैं।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, करके धूप से पूजन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।७।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिन मंदिरजिन-
चैत्यालय – जिनप्रतिमाभ्य: अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
अंगूर – सेव – आम फल के भरे थाल हैं।
प्रभु पद चढ़ा कर अब होना मालामाल है।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, करके फलों से पूजन।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।८।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिन मंदिरजिन-
चैत्यालय – जिनप्रतिमाभ्य: मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
अष्टद्रव्य ‘ चन्दनामती ‘ ले स्वर्णथाल में।
अर्घ्य समर्पण करूँ झुकाऊँ पद में भाल मैं।।
प्रभु को मनाऊँ मैं, करके अर्घ्य समर्पण।
मंदिरों की सभी प्रतिमाओं को नमन।।मुम्बई के सभी..।।९।।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बई महानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-
चैत्यालय – जिनप्रतिमाभ्य: अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
तर्ज-फूलों से तारों से मेरा कहना है……..
कंचन की झारी से धारा करना है।
नाथ! तुम्हारी ही भक्ति करना है।।
गंगा सा निर्मल अपने मन को करना है।।कंचन की…।।१०।।
शांतये शांतिधारा।
पुष्पों की अंजलि से पूजा करना है।
नाथ! तुम्हारी ही भक्ति करना है।।
सारी उमर प्रभु की भक्ति करना है।।पुष्पों की…।।११।।
दिव्य पुष्पांजलि:।
अर्घावली
(1)
तर्ज – जहाँ डाल-डाल पर सोने की ….
मुम्बई में बोरिवलि के निकट पोदनपुर तीर्थ है प्यारा,
त्रय मूर्ति को नमन हमारा।।टेक०।।
आचार्य शान्तिसागर गुरुवर के, शिष्य नेमिसागर थे।
उनने पोदनपुर तीर्थ बनाया, गुरुवर की स्मृति में ….
हाँ गुरुवर की स्मृति में।।
प्रभु ऋषभ – भरत-बाहूबलि के जिनबिम्ब का दृश्य निराला,
त्रय मूर्ति को नमन हमारा।।१।।
हम अर्घ्य समर्पण करते हैं, जिनवर त्रिमूर्ति चरणों में।
वहाँ और विराजित सब जिनबिम्ब व, गुरुद्वय के चरणों में…
हाँ गुरुद्वय के चरणों में।।
‘चन्दनामती’ इस तीर्थ से गूँजे आर्षमार्ग का नारा,
त्रय मूर्ति को न मन हमारा।।२।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरस्थित पोदनपुर तीर्थक्षेत्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(2)
-शेर छन्द-
मुम्बई के कालबा देवी रोड पर बना मंदिर।
संघपति श्री पूनमचन्द घासीलाल का निर्मित।।
यह पार्श्वनाथ मंदिर कहलाता है सुन्दर।
इस मंदिर व जिनबिम्बों को अर्घ्य समर्पण।।२।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे कालाबादेवीरोडस्थित पार्श्वनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(3)
मंदिर गुलालवाड़ी को है मेरा नमन।
श्री पार्श्वनाथ के चरण में अर्घ्य समर्पण।।
यहाँ साधुसंघों का सदा होता है पदार्पण।
भक्तों की जय जयकार से है गूँजता गगन।।३।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे गुलालवाड़ीस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(4)
-शंभु छन्द-
मुम्बई भुलेश्वर रोड पे श्री चन्द्रप्रभ जिनमंदिर प्यारा।
जहाँ जाकर भव्य भूल जाता अपने जीवन का दुख सारा।।
उस मंदिर की सब जिनप्रतिमा को मेरा अर्घ्य समर्पण है।
सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हेतु मन-वचन-काय से वंदन है।।४।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे भुलेश्वरस्थित श्रीचन्द्रप्रभजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(5)
लेमिंगटन रोड पर बोर्डिंग में श्री नेमिनाथ का मंदिर है।
छात्रों एवं भक्तों के लिए प्रभु भक्ति का माध्यम सुन्दर है।।
मैं भी उस मंदिर का भावों से दर्शन – वंदन करता हूँ।
ले अष्ट द्रव्य का थाल प्रभू को अर्घ्य समर्पण करता हूँ।।५।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे लेमिंगटन रोड बोर्डिंगस्थित श्रीनेमिनाथजिन-
मंदिरजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(6)
मुम्बई कमाठीपुरा में श्री महावीर दिगम्बर मंदिर है।
महावीर प्रभु के संग जहाँ, प्रतिमाएँ और भी सुन्दर हैं।।
शासननायक उन वीर – महति महावीर के पद में वन्दन है।
सब प्रतिमा के संग मूलनायक जिनवर को अर्घ्य समर्पण है।।६।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे कमाठीपुरास्थितश्री महावीरजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(7)
-दोहा-
खार मुम्बई में बना, पार्श्वनाथ जिनधाम।
जिनमंदिर जिनबिम्ब को , अर्घ्य दे करूँ प्रणाम।।७।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे खारकालोनीस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(8)
तर्ज-जरा सामने तो आओ…….
चलो मंदिर चलें विले पारले, जहाँ पार्श्वनाथ भगवान हैं।
भक्तों की भक्ति के हेतु ही, जिनमंदिर जहाँ पर महान है।।टेक०।।
पार्श्वनाथ जिनमंदिर नाम से, जिसकी वहाँ प्रसिद्धि है।
पद्मावति-धरणेन्द्र से सेवित, प्रभु की करें सब भक्ति हैं।।
अर्घ्य अर्पण करूँ जिननाथ को, जिससे मिल जावे पुण्य महान है।
भक्तों की भक्ति के हेतु ही, जिनमंदिर की महिमा महान है।।१।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे विलेपारलेस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(9)
चलो मंदिर चलें गोरेगाँव के,जहाँ पार्श्वनाथ भगवान हैं।
भक्तों की भक्ति के हेतु ही, जिनमंदिर जहाँ पर महान है।।टेक०।।
गोरेगाँव मुम्बई में श्री प्रभु पार्श्वनाथ का मंदिर है।
जिनके दर्शन करके मन में भाव बनाना सुन्दर है।।
अर्घ्य अर्पण करूँ जिननाथ को, जिससे मिल जावे पुण्य महान है।
भक्तों की भक्ति के हेतु ही, जिनमंदिर जहाँ पर महान है।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे गोरेगाँवस्थित श्रीपार्श्वनाथजिन – मंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य:अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(10)
-शेर छन्द-
मुम्बई में है मलाड पूर्व में बना मंदिर।
श्री आदिनाथ मंदिर में मू र्तियाँ सुन्दर।।
मैं अर्घ्य चढ़ाऊँ यहाँ मंदिर व मूर्ति को।
पा जाऊँ पद अनर्घ्य व निज आत्मकीर्ति को।।१०।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे पूर्वमलाडजिनेन्द्ररोडस्थित श्रीआदिनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य:अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(11)
मुम्बई मलाड पश्चिम जिनभक्ति का साधन।
श्री ऋषभदेव मंदिर में होता आराधन।।
मैं अर्घ्य चढ़ाऊँ यहाँ मंदिर व मूर्ति को।
पा जाऊँ पद अनर्घ्य व निज आत्मकीर्ति को।।११।।
ॐ ह्रीं मुम्बईमहानगरे पश्चिममलाडमामलेदारवाडीस्थित श्रीधर्मनाथ-जिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(12)
मुम्बई महानगर के कांदिवली क्षेत्र में।
श्री महावीर प्रभु का जिनालय बना उसमें।।
मैं अर्घ्य चढ़ाऊँ यहाँ मंदिर व मूर्ति को।
पा जाऊँ पद अनर्घ्य व निज आत्मकीर्ति को।।१२।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे पश्चिमकांदिवलीचारकोपस्थित श्रीमहावीरजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(13)
श्रीआदिनाथ बाहुबली का बना मंदिर।
श्रीमंडपेश्वर रोड बोरिवली में सुन्दर ।।
प्रतिमाओं को वन्दन करूँ मंदिर को भी नमन।
ले अष्टद्रव्य थाल करूँ अर्घ्य समर्पण ।।१३।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे बोरिवलीपश्चिममंडपेश्वररोडस्थित श्रीआदिनाथ-
बाहुबलीजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(14)
-दोहा-
श्रीचन्द्रप्रभ नन्दीश्वर, द्वीप जिनालय नाम।
बोरीवली पश्चिम बना, अर्घ चढ़ाऊँ आन।।१४।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे बोरिवलीपश्चिमएसवीपीरोडस्थित श्रीचन्द्रप्रभ-
नंदीश्वरद्वीपजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(15)
श्रीबोरीवली पूर्ब में, नेमिनाथ जिनधाम।
उस मंदिर अरु मूर्ति को, अर्घ्य समर्पूं आन।।१५।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे बोरिवलीपूर्वस्थित श्रीशांतिनाथजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(16)
मुम्बई दहिसर पूर्व में, आदिनाथ जिनसद्म।
अर्घ्य चढ़ा वन्दन करूँ, श्री जिनवर पदपद्म।।१६।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे दहिसरस्थित श्रीआदिनाथजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(17)
मुम्बई मीरा रोड पर, थाणे में जिनधाम।
शान्तिनाथ को अर्घ्य है, अर्पण नमन त्रिकाल।।१७।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे मीरारोडथाणेस्थित श्रीशान्तिनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(18)
-शंभु छन्द-
महावीर दिगम्बर जिनमंदिर,भायन्दर पूर्व में निर्मित है।
वह जेसल पार्क के निकट, वीतरागी छवि के संग स्थित है।।
नव देवों में मंदिर भी है, इक देव उसे मैं नमन करूँ।
मंदिर – मूर्ति को अर्घ्य चढ़ा, आतम सुख का भण्डार भरूँ।।१८।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे भायन्दरपूर्वस्थित श्रीमहावीरजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(19)
भायन्दर पश्चिम मुम्बई में, श्री आदिनाथ जिनमंदिर है।
भौतिकता में आध्यात्मिकता का, पाठ पढ़ाता सुन्दर है।।
नव देवों में मंदिर भी है, इक देव उसे मैं नमन करूँ।
मंदिर-मूर्ति को अर्घ्य चढ़ा, आतम सुख का भण्डार भरूँ।।१९।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे भायन्दरपश्चिमस्थित श्रीआदिनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(20)
-शंभु छंद-
चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर है, वसई पूर्व जिला थाणे।
भक्तों की टोली आती हैं, वहाँ चिन्तित वस्तू को पाने।।
मुम्बई निकट इस जिनमंदिर को, सादर शीश झुकाता हूँ।
मैं अर्घ्य समर्पित करके प्रभु, बस गीत आपके गाता हूँ।।२०।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे वसईपूर्वस्थित श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(21)
वसई पश्चिम में और एक, श्री पार्श्वनाथ का मंदिर है।
वहाँ रहने वाले सभी जैन, श्रावकों का वह अवलम्बन है।।
मुम्बई निकट इस जिनमंदिर को, सादर शीश झुकाता हूँ।
मैं अर्घ्य समर्पित करके प्रभु, बस गीत आपके गाता हूँ।।२१।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे वसईपश्चिमस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(22)
वसई पश्चिम के समतानगर में महावीर जिनमंदिर है।
शासननायक प्रभुवर का गुण गाने हेतू अवलम्बन है।।
मुम्बई निकट इस जिनमंदिर को, सादर शीश झुकाता हूँ।
मैं अर्घ्य समर्पित करके प्रभु, बस गीत आपके गाता हूँ।।२२।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे वसईपश्चिमस्थित श्रीमहावीरजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(23)
तर्ज – चलो तीरथ यात्रा चलो….
चलो मंदिर दर्शन कर लें-२,
दर्शन-पूजन-वंदन करके सुख-सम्पति भर लें।।चलो मंदिर दर्शन…।।टेक०।।
मुम्बई निकट जिला थाणे में, नालासोपारा।
शान्तिनाथ जिनमंदिर है, लगता प्यारा-प्यारा।।
अर्घ्य प्रभु को अर्पण कर लें,
शान्तिनाथ के संग सब जिनवर को वंदन कर लें।। चलो मंदिर दर्शन….।।२३।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे नालासोपारास्थित श्रीशान्तिनाथजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(24)
चलो मंदिर दर्शन कर लें-२,
दर्शन-पूजन-वंदन करके सुख-सम्पति भर लें।।चलो….।।टेक०।।
थाणे के विरार पश्चिम में, जिनमंदिर शोभे।
वहीं शिवाजी चौक के मंदिर में प्रभुवर शोभें।।
अर्घ्य प्रभु को अर्पण कर लें,
महावीर के संग सब जिनवर को वंदन कर लें।। चलो मंदिर दर्शन….।।२४।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे शिवाजीचौकविरारपश्चिमस्थित श्रीमहावीरजिन-
मंदिरजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(25)
-दोहा-
इसी विरार में और है, पार्श्वनाथ जिनधाम।
अर्घ्य चढ़ा सब मूर्ति को, नमन करूँ निष्काम।।२५।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे विरारपूर्वस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(26)
कुर्ला मुम्बई में बना, महावीर जिनधाम।
अर्घ्य समर्पण कर सभी, प्रभु को करूँ प्रणाम।।२६।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे कुर्ला स्थितकाजूपाडा श्रीमहावीरजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(27)
-शंभु छंद-
श्री सर्वोदय ऋषभदेव जिनमंदिर बना सुहाना है।
मुम्बई घाटको पर में इसका अपना ही नजराना है।।
यहाँ कई धर्मों की संस्कृति लोग देखने आते हैं।
आवो हम सब मिल वृषभेश्वर के पद अर्घ्य चढ़ाते हैं।।२७।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे घाटकोपरपश्चिमस्थित श्रीसर्वोदयऋषभदेव-
जिनमंदिरजिन-प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(28)
वीर सावरकर चौक घाटकोपर में वीर जिनालय है।
इसमें प्रभु महावीर मूलनायक वेदी में विराजे हैं।।
इस जिनमंदिर को एवं जिन प्रतिमाओं को नमन मेरा।
अर्घ्य चढ़ा करके मैं चाहूँ, जीवन करो चमन मेरा।।२८।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे घाटकोपरपूर्वसावरकरचौकस्थित महावीरजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(29)
भाण्डुप पश्चिम में पार्श्वनाथ का, श्रीजिनमंदिर स्थित है।
सन्मानसिंग रोड पर प्रभु भक्ती में भक्त समर्पित हैं।।
उस मंदिर के श्रीपार्श्वनाथ, प्रभुवर को अर्घ्य चढ़ाते हैं।
मंदिर की सब प्रतिमाओं को, हम झुक-झुक शीश नमाते हैं।।२९।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे भाण्डुपपश्चिमस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(30)
-शेर छन्द-
मुम्बई मुलुण्ड पूर्व में वीणा नगर है।
श्री शान्तिनाथ मंदिर से भू पवित्र है।।
उनके चरण में अर्घ्य चढ़ाकर नमन करूँ।
प्रभु भक्ति के बल पर ही भव समुद्र को तिरूँ।।३०।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे मुलुण्डपश्चिमस्थित-श्रीशान्तिनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(31)
मुम्बई मुलुण्ड पश्चिम में वीर जिनालय।
भव्यों को भक्ति करने के लिए है महालय।।
महावीर के मंदिर में महावीर को नमन।
कर अर्घ्य समर्पण सभी प्रतिमाओं को वंदन।।३१।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे मुलुण्डपश्चिमस्थित श्रीमहावीरजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(32)
-चौपाई-
जिनमंदिर जिनप्रतिमा वन्दूँ, अपने भव-भव के दुख खण्डूँ।
अर्घ्य समर्पण करूँ प्रार्थना, बार-बार न हो भव में आवना।।टेक.।।
मुम्बई का उपनगर भिवण्डी, थाणे में निर्मित जिनमंदिर।
जिनवर सम्मुख है ये भावना, प्राणि मात्र से हो प्रेम भावना।।३२।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे भिवंडीस्थित श्रीशांतिनाथजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(33)
तर्ज – चलो भक्तों चलो भक्तों….
बाहुबली बाहुबली, मुम्ब्रा के प्रभु बाहुबली।
मुम्बई में मुम्ब्रा की पहाड़ी पर हैं खड़े प्रभु बाहुबली।। टेक० ।।
जल-फल आदि अर्घ्य सजाकर प्रभु के चरण चढ़ाना है।
युग के प्रथम जो कामदेव उन बाहुबली को मनाना है।।
वहीं चलो चलते हैं भाव से, जहाँ खड़े प्रभु बाहुबली।।बाहुबली….।।३३।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे मुम्ब्रास्थितश्रीबाहुबलीस्वामिने अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(34)
-चौपाई –
डोम्बीवली मुम्बई पूर्व में, महावीर जिनमंदिर उसमें।
अर्घ्य समर्पण करूँ प्रार्थना,बार-बार न हो भव में आवना।।
वीर सावरकर चौक बना है, वहीं प्रभु भक्ति का सौख्य घना है।
जिनवर सम्मुख है ये भावना, प्राणिमात्र से हो प्रेम भावना।।
वीर महावीर बोलो जय जय महावीर…।।३४।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे डोम्बीवलीपूर्वस्थित श्रीमहावीरजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(35)
-चौपाई-
डोम्बीवली मुम्बई पश्चिम में, आदिनाथ जिनमंदिर उसमें।
अर्घ्य समर्पित है जिनवर को, पा जाऊँ प्रभु पद अनर्घ्य को।।
जिनभक्ति भवदधि से तिराती, मनवांछित फल पूर्ण कराती।
प्रभु सम्मुख मैं यह बस चाहूँ, जनम-जनम तेरा दर्शन पाऊँ।।
वीर महावीर बोलो जय जय महावीर…।।३५।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे डोम्बीवलीपश्चिमस्थित श्रीआदिनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(36)
-शेर छन्द-
श्री चन्द्रप्रभु जिनालय कल्याण पश्चिम में।
मुम्बई के भक्त जाकर दर्शन करें उसमें।।
जिनमूर्तियों को अर्घ्य चढ़ाकर नमन करें।
क्रम – क्रम से मोक्ष प्राप्ति हेतु प्रार्थना करें।।३६।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे कल्याणपश्चिमस्थित श्रीचन्द्रप्रभजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(37)
श्री अजितनाथ मंदिर एरोली के अंदर।
संदेश त्याग का सभी को दे रहा सुंदर।।
जिनमूर्तियों को अर्घ्य चढ़ाकर नमन करूँ।
क्रम-क्रम से मोक्ष प्राप्ति हेतु प्रार्थना करूँ।।३७।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे एरोलीस्थित श्रीअजितनाथजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(38)
-दोहा-
वाशी मुम्बई में बना, जिनमंदिर जिनधाम।
अर्घ्य चढ़ाकर मैं नमूँ , हो जाऊँ निष्काम।।३८।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे नवीमुम्बईवाशीस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(39)
नवी मुम्बई का खारघर, चन्द्रप्रभ जिनधाम।
अर्घ्य चढ़ा जिनमूर्ति अरु, मंदिर को करूँ प्रणाम।।३९।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे नवीमुम्बईखारघरस्थित श्रीचन्द्रप्रभजिनमंदिर-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(40)
-शंभु छंद-
न्यू पनवेल ईस्ट में श्री मुनिसुव्रत जिन का मंदिर है।
मुम्बई नगर में जिनभक्ति का बहता सदा समन्दर है।।
जल से फल तक वसु द्रव्यों का यह अर्घ्य थाल अर्पण कर लूँ।
जिनवर चरणों की भक्ति कर आध्यात्मिक सुख मन में भर लूँ।।४०।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे न्यू पनवेल ईस्ट स्थित श्रीमुनिसुव्रतजिन-
मंदिरजिनप्रतिमाभ्य अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(41)
मुम्बई नगर लोखण्ड वाला में, पारसनाथ जिनालय है।
प्रभु पार्श्वनाथ के साथ वहाँ जिनवर का बड़ा शिवालय है।।
आठों द्रव्यों का अर्घ्य स्वर्ण थाली में भरकर लाया हूूँ।
निज पद अनर्घ्य पाने हेतु मैं अर्घ्य चढ़ाने आया हूँ।।४१।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे लोखण्डवालास्थित श्रीपार्श्वनाथजिन-
मंदिरजिनप्रतिमाभ्य अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(42)
-दोहा-
श्रीसंभव भगवान का, जिनमंदिर जिनधाम।
पश्चिम माटूंगा चलो, अर्घ्य दे करो प्रणाम।।४२।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे माटूंगापश्चिमस्थित श्रीसंभवनाथजिन-
मंदिरजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(43)
साकी नाका में बना, महावीर जिनधाम।
अर्घ्य चढ़ा जिनबिम्ब को, हो जाऊॅँ निष्काम।।४३।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे साकीनाकास्थित श्रीमहावीरजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(44)
-सोरठा-
कुंथुनाथ जिनधाम, बना असल्फा क्षेत्र में।
अर्घ्य चढ़ाय प्रणाम, करूँ भक्ति मैं हृदय से।।४४।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे असल्फास्थित श्रीकुंथुनाथजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(45)
-शेर छंद-
श्री विमलनाथ मंदिर है मुम्बई में बना।
उस क्षेत्र घोड़पदेव में प्रभु भक्ति का झरना।।
मैं अर्घ्य चढ़ाऊँ जिनालय व मूर्ति को।
पा जाऊँ पद अनर्घ्य तथा आत्मकीर्ति को।।४६।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे घो़ड़पदेवस्थित श्रीविमलनाथजिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(46)
योगीनगर बोरीवली पश्चिम में शोभता।
श्री आदिनाथ जिनवर मंदिर है शोभता।।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर जिनेन्द्र को नमन करूँ।
नवदेव में इक देव जिनालय नमन करूँ।।४६।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरे योगीनगरबोरीवलीपश्चिमस्थित श्रीआदिनाथजिन-
मंदिरजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
पूर्णार्घ्य (शेरछंद)
मुम्बई महाराष्ट्र की राजधानी, के सब जिनमंदिर को वंदन।
पूर्णार्घ्य चढ़ाकर बने मेरा जीवन भी पुण्यात्मा कुंदन।।
ये जिनमंदिर जिनसंस्कृति की निधियाँ हैं और धरोहर हैं।
‘चन्दनामती’ इनसे भर जावे मेरा ज्ञान सरोवर है।।१।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरस्य समस्त जिनमंदिरजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।
तर्ज – आवो बच्चों तुम्हें…..
मुम्बई महानगर के सब, जिनचैत्यालय जिनधाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित, सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४….।।टेक०।।
चौपाटी पर शान्तिनाथ प्रभु काँच का चैत्यालय मंदिर।
वहीं सुभाष रोड पर चन्द्रप्रभ का चैत्यालय सुन्दर।।
विलेपार्ले पूर्व में पारसनाथजिनेश्वर धाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४….।।१।।
अंधेरी पश्चिम में आदीनाथ व शांतीनाथ प्रभो।
दोनों जिनचैत्यालय में भक्ति के स्वर गूँजते अहो।।
पूर्व भायंदर में स्थित श्री महावीर भगवान की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४….।।२।।
पुन: अंधेरी पूरब में भी पार्श्वनाथ चैत्यालय है।
जोगेश्वरी पूर्व मुम्बई में आदिनाथ चैत्यालय है।।
फिर मलाड में धर्म-शान्ति अरु वीर चैत्यालयधाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४….।।३।।
कांदीवलि में आदिनाथ चैत्यालय को वंदन कर लो।
बोरिवली में पार्श्व-शान्ति-नेमिप्रभु त्रय चैत्यालय को।।
भायन्दर में पार्श्व-सुपारस चैत्यालय शुभ धाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४….।।४।।
डोम्बीवलि में चिन्तामणि श्री पार्श्वनाथ गृहचैत्यालय।
माटुंगा-कुर्ला में श्री महावीर के दो गृह चैत्यालय।।
कुर्ला में इक और पार्श्वप्रभु चैत्यालय जिनधाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४…।।५।।
दादर और विक्रोली पूर्व में पद्मप्रभ गृह चैत्यालय।
भांडुप पश्चिम में प्रभुवर श्री पार्श्वनाथ गृहचैत्यालय।।
थाणे पूर्व व पश्चिम में चैत्यालय पारस धाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४…।।६।।
मुम्बई महानगर के सब, जिनचैत्यालय जिनधाम की।
करूँ वंदना उनमें स्थित सब जिनवर भगवान की।।
वंदे जिनवरम् -४….।।
ॐ ह्रीं मुम्बई महानगरस्य समस्त जिनचैत्यालयस्थजिनप्रतिमाभ्य:
महापूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शान्तये शान्तिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
तर्ज – परदेशी परदेशी ….
मंदिर की, मूर्ति की, पूजन करो-२, भक्ति भाव से इनकी पूजन करो-२
पूजन करो मिलके, मन-वचन व तन से,
मन – वचन व तन से सब मिल पूजन कर लो।। मंदिर की…।।टेक०।।
महाराष्ट्र की राजधानी, मुम्बई नगरी..मुम्बई नगरी।
भारत की आर्थिक नगरी, मुम्बई नगरी।।
धर्म भी यहाँ है, कर्म भी यहाँ है, जिन मंदिरों में गूँजे जय जय यहाँ है।।
मंदिर की, मूर्ति की…।।१।।
तीनमूर्ति पोदनपुर तीर्थ है, मुम्बई में …मुम्बई में।
ऋषभदेव – भरतेश – बाहुबलि जहाँ खड़े।।
बोरिवली मंदिर, है शहर के अन्दर, वहाँ पर विराजित सभी मूर्तियों को नमन।।
मंदिर की, मूर्ति की…।।२।।
सेठ संघपति का मंदिर इक सुन्दर है….सुन्दर है।
देव-शास्त्र-गुरु भक्ति का वह नंदनवन है।।
वहाँ पर विराजें, जिनप्रतिमा राजें, उन सभी प्रतिमाओं को करूँ मैं वंदन।।
मंदिर की, मूर्ति की…।।३।।
है गुलालवाड़ी इक प्रमुख स्थान जहाँ…स्थान जहाँ।
साधु संघ करते हैं प्रमुख प्रवास जहाँ।।
धर्म प्रभावना का, आत्म भावना का, केन्द्र वहाँ के जिनालय को करूँ मैं नमन।।
मंदिर की, मूर्ति की…।।४।।
दादर-गोरेगाँव-अंधेरी के मंदिर…जिनमंदिर।
घाटकोपर-मुम्ब्रा आदि के जिनमंदिर।।
श्री जिनेन्द्र प्रतिमा, चौबीसी की है महिमा, सभी को परोक्ष में भी करते हैं नमन।।
मंदिर की, मूर्ति की…।।५।।
आर्षमार्ग का गढ़ भी मुम्बई कहलाता…कहलाता।
सन्तों की वाणी का सागर लहराता।।
चारित्रचक्री, शान्तिसिन्धु जी की, जयकार गूँजी नेमिसागर गुरुवर से।।
मंदिर की, मूर्ति की …।।६।।
चौपाटी का है समुद्र क्रीड़ास्थल….क्रीड़ास्थल।
जहाँ पर्यटक नाव बैठ लेते आनन्द।।
बम्बई की झाँकी, सबको है लुभाती, किन्तु उसके संग में धार्मिक यात्रा भी कराती।।
मंदिर की, मूर्ति की..।।७।।
मुम्बई के सब जिनमंदिर को वन्दन है….वंदन है।
करे ‘ चन्दनामती ‘ सभी को प्रणमन है।।
भक्त भक्ति करके, आत्म शक्ति भरते, जिनमंदिरों से पुण्य भण्डार भरते।।
मंदिर की, मूर्ति की….।।८।।
संघपति परिवार से भी दो दीक्षा हुई…दीक्षा हुई।
मोतीलाल व गेंदनमल जौहरि जी की।।
मुक्ति के मारग की, रतनात्रय धारक की, सच्चे तीर्थ मान करके वंदना करूँ मैं।।
मंदिर की, मूर्ति की..।।९।।
-दोहा-
जिनमंदिर जिनमूर्ति को, नमन करूँ शत बार।
भरे ‘ चन्दनामति ‘तभी, पुण्य रत्न भण्डार।।१।।
ॐ ह्रीं महाराष्ट्र राजधानी मुम्बईमहानगरस्य समस्तजिनमंदिरजिन-
प्रतिमाभ्य: जयमाला पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शान्तये शान्तिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
तर्ज – ये पर्दा हटा दो….
ये जिनमंदिर – जिनप्रतिमा, सम्यग्दर्शन की महिमा,
ये मेरे भारत देश की निधियाँ और धरोहर हैं – २।
हम इनकी पूजा रचाएँ, ‘ चन्दनामती ‘ सुख पाएँ,
ये मेरे भारत देश की निधियाँ और धरोहर हैं २।।
।।इत्याशीर्वाद:, पुष्पांजलि:।।