एक छत्र हिमवान से समुद्र पर्यन्त छह खण्ड में शासन करने वाले ऋषभपुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर ही इस देश का नाम भारत वर्ष प्रसिद्ध हुआ। इन्हीं के नाम से प्रसिद्ध इस देश को सम्राट् खारवेल ने भी अपने ऐतिहासिक शिलालेख में भारतवर्ष (भरधवस) लिखकर चक्रवर्ती भरत के काल से लेकर खारवेल के युग तक को भारतवर्ष नाम से प्रमाणित किया। १८ सितम्बर, १९४९ की संविधान परिषद् की मीटग में स्वतन्त्र देश ने अपना पुरातन पौराणिक नाम भारतवर्ष ही संविधान में रखा। इस बात के अनेक प्रमाण हैं। इसी बात का समर्थन करते हुए अन्य वैदिक शास्त्रों में भी भरत के नाम से भारतवर्ष नामकरण का उल्लेख शारदीयाख्य नाममाला १४७, शिवपुराण ३७/५७, लिंगपुराण ४७/१९—२३, स्कन्ध—पुराण—कौमार्यखण्ड ३७/५७, ब्रह्माण्डपुराण २/१४, मत्स्यपुराण ११४/५—६ आदि में मिलता है। लिंग पुराण में लिखा है—
हिमाद्रेर्दक्षिणं वर्षं भरताय न्यवेदयत्।
तस्मात्तु भारतं वर्ष तस्य नाम्ना विदुर्बुधा:।।