-स्थापना-
सप्तऋषी में तीसरे, हैं श्रीनिचय ऋषीश।
उनकी पूजन हेतु मैं, नमूँ नमाकर शीश।।१।।
आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण महान।
करके मन में भावना, है हो मम कल्याण।।२।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षे! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षे! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षे! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं स्थापनं।
-अष्टक (स्रग्विणी छंद)-
स्वर्णझारी में गंगा नदी नीर ले, गुरु के पद धार दें जन्ममृत्यू टले।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।१।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
सुरभि चंदन को गुरुपद में चर्चन करूँ, होवे भवताप विध्वंस शिवपद वरूँ।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।२।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये संसारतापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
शुभ्र अक्षत अखंडित लिया पुंज है, गुरुचरण में चढ़ा पाऊँ गुणकुंज मैं।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।३।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
कुंद चंपा चमेली लिया पुष्प है, गुरुचरण में समर्पण करूँ पुष्प है।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।४।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
थाल मिष्टान्न पकवान्न के लायके, गुरुचरण पूजहूँ मैं निकट आयके।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।५।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
रत्नदीपक लिया है कनक थाल में, आरती अब उतारूँ झुका भाल मैं।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।६।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये मोहांधकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
धूप मलयागिरी की सुगंधित लिया, अग्नि में दहके आत्मा सुगंधित किया।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।७।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
आम अंगूर बादाम फल ले लिया, मोक्षफल हेतु गुरुपद में अर्पण किया।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।८।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
आठों द्रव्यों सहित अर्घ्य ले थाल में, ‘चन्दनामति’ समर्पित है गुरुपाद में।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।९।।
ॐ ह्रीं श्रीनिचयमहर्षये अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतिधारा करूँ श्रीगुरू पदकमल, विश्व की शांति हेतू करूँ पद नमन।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।१०।।
शांतये शांतिधारा।
करके पुष्पांजली श्रीगुरू पदकमल, आत्मगुण प्राप्ति हेतू करूँ पद नमन।
श्रीनिचय जी मुनी की करूँ अर्चना, उनके चरणों में शत शत मेरी वंदना।।११।।
दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- सप्तऋषी मण्डल रचा, पूजा हेतु महान।
पुष्पांजलि करके वहाँ, अर्घ्य चढ़ाऊँ आन।।१।।
इति मण्डलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
शंभु छंद- श्री निचय मुनी के तन में भी, तप से ऐसी शक्ती आई।
अपने भ्राताओं के संग उनने, भी चारणऋद्धी पाई।।
उन चारणादि ऋद्धीधारी, मुनिवर की पूजा सुखकारी।
उनकी ऋद्धी से मिल जाती, भौतिक आत्मिक संपति सारी।।२।।
ॐ ह्रीं चारणऋद्धिसमन्वितश्रीनिचयमहर्षये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
जाप्य मंत्र-ॐ ह्रीं श्री श्रीनिचयमहर्षये नम:।
तर्ज-तन डोले………....
श्रीनिचय मुनीश्वर, के चरणों में, वन्दन शत शत बार है,
पूर्णार्घ्य थाल यह अर्पित है।।टेक.।।
प्रभापुरी नगरी में राजा श्रीनंदन रहते थे।
उनकी रानी ने क्रम क्रम से सात पुत्र जन्मे थे।।उन्होंने सात पुत्र………
उनमें से ही, श्रीनिचय नाम के, पुत्र तृतिय मुनिराज हैं,
पूर्णार्घ्य थाल यह अर्पित है।।१।।
एक बार प्रीतिंकर मुनि को केवलज्ञान हुआ था।
धनद ने उनकी गंधकुटी का, झट निर्माण किया था।।गुरूजी झट निर्माण..
उनके दर्शन से, सभी भ्रात के, हृदय जगा वैराग्य है,
पूर्णार्घ्य थाल यह अर्पित है।।२।।
सप्तऋषी की सत्य कथा यह, रामायण में लिखी है।
इनके तप की शक्ति सभी को, मथुरापुरि में दिखी है।। गुरूजी मथुरा……
शत्रुघ्नराज ने, गुरु चरणों में, नमन किया शत बार है,
पूर्णार्घ्य थाल यह अर्पित है।।३।।
उन मुनिवर श्रीनिचय के पद में, अर्घ्य सजाकर लाये।
यही ‘चन्दनामती’ भाव हैं, रत्नत्रय मिल जाये।। गुरुजी रत्नत्रय………..
उग्रोग्र तपस्या, जीवन में, कर सवूँ यही बस सार है,
पूर्णार्घ्य थाल यह अर्पित है।।४।।
ॐ ह्रीं श्री श्रीनिचयमहर्षये जयमाला पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
-दोहा-
सप्तऋषी की अर्चना, देवे सौख्य महान।
इनके पद की वंदना, करे कष्ट की हान।।
।।इत्याशीर्वाद:, पुष्पांजलि:।।