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उत्तम शौच धर्म भजन

June 15, 2020भजनjambudweep

भजन-५ उत्तम शौच धर्म


तर्ज—जिस गली में……
 
जिस गती में न उत्तम धरम मिल सके, उस गती में मुझे नाथ! जाना नहीं।
जिस मती से धरम शौच पल ना सके, उस मती को भी हे नाथ! पाना नहीं।। टेक.।।
हीरा सा यह मनुज तन मिला आज है।
लोभ में ही गया यदि तो क्या लाभ है।।
लोभ में ही गया यदि……
जिस गती में धरम लाभ ना मिल सके, उस गती में मुझे नाथ! जाना नहीं।। जिस……।।१।।
कुछ तो सीमा करो अपनी इच्छाओं की।
फिर तो शुचिता बढ़ेगी निजात्मा में भी।।
फिर तो शुचिता बढ़ेगी……
लोभ का त्याग पूरा भी कर ना सको, तो भी ज्यादा उसी में लुभाना नहीं।। जिस……।।२।।
लोभवश चक्रवर्ती नरक में गया।
भरत सम्राट् ने तज उसे शिव लहा।।
भरत सम्राट् ने तज……
‘चन्दनामति’ जहाँ लक्ष्य की पूर्ति हो, रत्नत्रय धारकर मुझको जाना वहीं।। जिस……।।३।।
Tags: Daslakshan Song
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