

चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त को नमन करें।
स्वर्ण भृंगार में क्षीर सम नीर ले। 
घिस के चन्दन मलयगिरि का लाया प्रभो। 
शालि के पुंज से नाथ पूजा करूँ।
मोगरा जूही चंपा चमेली कुसुम । 
पूरियां लाडुओं से भरा थाल है। 


धूप को अग्निघट में जलाऊँ प्रभो।
फल अनंनास नींबू नरंगी लिया। 
नीर गंधादि युत अघ्र्य अर्पण करूँ। 
श्रीपुष्पदंत जिनवर के चार कल्याणक।

(गीताछन्द)
