मांसाहार हमारे लिए कितना घातक व असाध्य रोगों को निमंत्रण देने वाला है; इस पर जो निष्कर्ष बड़े बड़े डाक्टरों, वैज्ञानिकों आदि ने निकाले हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं : अहिंसा सन्देश, जून 89, राची स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क, बफैलो में की गई शोध से यह प्रकाश में आया कि अमरीका में 47000 से भी अधिक बच्चे हर वर्ष ऐसे जन्म लेते है, जिन्हें माता पिता के मांसाहारी होने के कारण कई बीमारियां जन्म से ही लगी होती हैं और ये बच्चे बड़े होने पर भी पूर्णत: स्वस्थ नहीं हो पाते। कल्याण, गोरखपुर, पृष्ठ 571 व हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली,
1.10.86 Human Onchogene : Work done by Prof. R.A.Weinberg from Massachutts Hospital U.S.A. and others 1985 के नोबेल पुरस्कार विजेता अमरीकी डा. माइकल एस. ब्राउन व डा. जो सेफ एल गोल्डस्टीन ने यह प्रमाणित किया हैं कि हृदय रोग से बचाव के लिए कोलस्टेरोल नामक तत्व को जमने से रोकना अति आवश्यक है, यह तत्व वनस्पति में नहीं के बराबर होता है। अण्डों में सबसे अधिक व मांस, अण्डों व जानवरों से प्राप्त वसा में काफी मात्रा में होता है। जो व्यक्ति मांस या अण्डे खाते हैं उनके शरीर में ‘रिस्पटरों ‘ की संख्या में कमी हो जाती है जिससे रक्त के अंदर कोलस्टेरोल की मात्रा अधिक हो जाती है। इससे हृदय रोग, गुर्दे के रोग एवं पथरी जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है।
ब्रिटेन के डा. एम. रॉक ने एक सर्वेक्षण अभियान के बाद यह प्रतिपादित किया कि शाकाहारियों में संक्रामक और घातक बीमारियां मांसाहारियों की अपेक्षा कम पाई जाती हैं। वे मांसाहारियों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ, छरहरे बदन, शांत प्रकृति और चिन्तनशील होते हैं। बी.बी.सी. के टेलीविजन विभाग द्वारा शाकाहार पर एक साप्ताहिक कार्यक्रम द्वारा मांसाहारियों को स्पष्ट चेतावनी दी जाती रही हैं कि इससे आपको घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। पश्चिमी देशो में जहां मांसाहार का प्रचलन अधिक है वहां दिल का दौरा, कैंसर ब्लड प्रैशर, मोटापा, गुर्दे के रहा, कब्ज, संक्रामक रोग, पथरी, जिगर की बीमारी आदि घातक बीमारियां अधिक होती हैं जबकि भारत, जापान व दक्षिणी अफ्रीका मे जहां मांसाहार का प्रचलन कुछ कम है, कम होती हैं । अहिंसा संदेश जून 89, रांची हुजा नाम के कबीले के 90 से 110 साल तक के लोगों का अध्ययन करने पर पता लगा कि उनके इतनी अधिक उम्र में भी स्वस्थ होने का कारण शाकाहारी होना है । ग्वालियर के दो शोधकर्ताओं डा. जसराज सिंह और श्री सी. के. डवास ने ग्वालियर जेल के 40 बन्दियो पर शोध, कर यह बताया कि 250 मांसाहारी बन्दियों में से 85070 चिड़चिड़े स्वभाव के व झगड़ालू टाइप के निकले जबकि बाकी 150 शाकाहारी बन्दियो में से 90070 शांत स्वभाव के और खुशमिजाज थे ।
२. अमरीकी विशेषज्ञ डा. विलियम, सी. राबर्ट्स का कहना हैं कि अमेरिका में मांसाहारी लोगों में दिल के मरीज ज्यादा हैं । उनके मुकाबले शाकाहारी लोगों में दिल के मरीज कम होते हैं । अमरीकी डाक्टरों का यह भी कहना है कि मांसाहार की तुलना में शाकाहार के अंदर [[रज़ोाएं]] को रोकने की शक्ति अधिक है । मासाहारियों को प्राय : कब्ज रहता है जिससे अनेक बीमारियां स्वत : ही जन्म लेती हैं ।
३. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार एक कीड़ा जिसे अंग्रेजी मे ब्रेन बग (Brain Bug) कहते हैं ऐसा होता है जिसके काटने से पशु पागल हो जाता है किन्तु पागलपन का यह रोग पूरी तरह विकसित होने में 10 वर्ष तक का समय लग जाता है । इस बीच यदि कोई इस कीड़े द्वारा काटे हुए पशु का मांस खा लेता है तो उस पशु में पलने वाला यह रोग मांस खाने वाले के शरीर मे प्रवेश कर जाता है । यह तो सर्वविदित ही हैं कि हत्या से पहले पशु, पक्षी, मछलियों आदि के स्वास्थ्य की पूरी जांच नही की जाती और उनके शरीर में छुपी हुई, बीमारियो का पता नहीं लगाया जाता । अण्डे, पशु, पक्षी मछलियां भी कैंसर ट्यूमर आदि अनेक रोगों से ग्रस्त होते हैं और उनके मांस के सेवन से वे रोग मनुष्य में प्रवेश कर जाते है ।
४. अकेले अमरीका में 40000 से अधिक केस प्रतिवर्ष ऐसे आते हैं जो रोग ग्रस्त अण्डे व मांस खाने से होते हैं । Food for a future, published by akhil bhartiya hinsa nivaran sangh, ahmedabad.हैल्थ एजूकेशन काउंसल के अनुसार विषाक्त भोजन (Food Poisoning) से होने वाली 90४0 मौतों का कारण मांसाहार है। Hindustan Times, New Delhi, 1.10.86जब पशु बूचड़खाने में कसाई के द्वारा अपनी मौत को पास आते देखता है तो वह डर, दहशत से कांप उठता है। मृत्यु को समीप भांपकर वह एक-दो दिन पहले से ही खाना पीना छोड़ देता है।डर व घबराहट में उसका कुछ मल बाहर निकल जाता है। मल जब खून में जाता है तो जहरीला व नुकसानदायक बन जाता है। मांस में रक्त, वीर्य, मूत्र, मल आदि अन्य कितनी ही चीजों का अंश होता है। मौत से पूर्व निःसहाय पशु आत्मरक्षा के लिये पुरूषार्थ करता है, छटपटाता है। पुरूषार्थ बेकार होने पर उसका डर, आवेश बढ़ जाता है, गुस्से में आंखे लाल हो जाती हैं, मुंह में झाग आ जाते है। ऐसी अवस्था में उसके अंदर एक पदार्थ एडरीनालिन (Adrenalin) उत्पन्न होता है जो उसके रक्त चाप को बढ़ा देता है व उसके मांस को जहरीला बना देता है। जब मनुष्य वह मांस खाता है तो उसमें भी एडरीनालिन प्रवेश कर उसे घातक रोगों की ओर धकेल देता है। एडरीनालिन के साथ जब क्लोरिनेटेड हाइड्रोकार्बन लिया जाता है तब तो यह हार्ट अटैक का गंभीरतम खतरा उत्पन्न कर देते हैं। मछली अण्डे आदि को (‘प्रिजर्व’ करने) ठीक रखने के लिए बोरिक एसिड व विभिन्न बोरेट्स का प्रयोग होता है, ये कम्पाउन्ड Cerebal Tissues में एकत्र होकर गंभीर खतरा उत्पन्न कर देते हैं। यह सभी जानते हैं कि खून में बैक्टीरिया बहुत जल्दी बढ़ते हैं, मांस में खून मिला होने के कारण उसमें बैक्टीरिया का इकैक्यान अति शीघ्र हो जाता है।
मांस पशु की मृत्यु होते ही सडना शुरू हो जाता है और शाकाहारी पदार्थो क़ी तुलना में अति तीव्र गति से सडता है। ऐसा मांस जो एक मुर्दे को खाने के जैसा ही है, जब खाने वाले के शरीर में पहुंचता है तो ऐसे असाध्य रोगों को जन्म देता है जो मांस खाने वाले को आखिरी सांस तक नहीं छोड़ते। जो आज मांस खाता है कुछ समय बाद वही मांस उसे खा लेता है। बूचड़खानो से प्राप्त मांस कितना हानिकारक, दूषित, गंदा व रोगग्रस्त होता है इसका अनुमान इससे ही लगा सकते हैं कि यूरोप के अत्याधुनिक, नवीन उपकरणों व नई टैक्नीक द्वारा संचालित बूचड़खानो को भी स्वास्थ्य की दृष्टि से आदर्श नहीं कहा जाता तब भारत के बूचड़खानो के मांस की तो बात ही क्या। मांसाहार का असाध्य रोगों से जो संबंध है उस पर हुई ताज़ा खोजों के परिणाम कुछ इस प्रकार हैं। अण्डा : जहर ही जहर,issued by Heera Bhaiya Prakashan, Indore जर्मनी के प्रोफेसर एग्नरबर्ग का निष्कर्ष है ” अण्डा 51४3070 कफ पैदा करता है। वह शरीर के ‘पोषक तत्वों को असंतुलित कर देता है। ” अमेरिका के डा. इ बी. एमारी तथा इंग्लैंड के डा. इन्हा ने अपनी विश्व विख्यात पुस्तकों ‘पोषण का नवीनतम ज्ञान’ और ‘रोगियों की प्रकृति’ में साफ साफ माना हैं कि अण्डा मनुष्य के लिए जहर है। ईंग्लैंड के डा. आर. जे. विलियम का निष्कर्ष है संभव है अण्डा खाने वाले शुरू में अधिक चुस्ती अनुभव करें किन्तु बाद में उन्हें हृदय रोग, एकज़ीमा, लकवा जैसे भयानक रोगों का शिकार हो जाना पड़ता है।
प्रयोगों से पता लगा हैं कि अण्डे यदि अधिक तापमान पर 12 घण्टे से अधिक समय तक रहें तो उनके भीतर सड़ने की क्रिया शुरू हो जाती है ऐसी स्थिति में भारत जैसे देश में जहां तापमान सदैव इससे अधिक रहता है और अण्डों को पौलट्री फार्म में तैयार हो कर बिक्री होने तक जो करीब 24 घण्टों का समय लग जाता है तब तक उनमें सड़न प्रक्रिया शुरू हो जाती है क्योंकि पैदा होने से बिकने तक वे बराबर रेफ़ीजरेशन में रहें यह सम्भव नहीं है। जब अण्डे सड़ने लगते हैं तो पहले उसका जलीय भाग कवच (शैल) में से भाप बन कर उड़ने लगता है फिर रोगाणुओं का आक्रमण शुरू होता है जो कवच में अपनी पहुंच बनाकर उसे पूरी तरह सड़ा देते हैं। सूक्ष्म स्तर पर सडे हुए अण्डे पहचाने न जाने के कारण काम में ले लिए जाते हैं जिससे उदर विकार, फूड पायज़निग आदि हो जाती है। Ahinsa vvvvvoice, july 89, Published by Sharman Sahitya Sansthan, Delhi यू के. के श्री नीतिन मेहता के अनुसार प्रतिवर्ष करीब पचास लाख व्यक्ति Salmonella (सालेमोनेला) से प्रभावित होते हैं। N.H.S. के अनुसार चिकन व अण्डों से हुए फूड पायज़निग के शिकार रोगियों का उपचार करने में 20 लाख डालर खर्च होता है। Salmonella (सालेमोनेला) के अतिरिक्त Listeria और फैल रहा है जो स्मृ को पैदा करता है और फिर जिससे Meningitis (दिमाग की झिल्ली की सूजन) या फूड पायज़निग पनप सकती है।
इससे गर्भवती महिलाओं के गर्भपात व गर्भस्थ ३ शिशु के रोगी हो जाने की संभावना हो जाती है। Health Department के अनुसार 12070 (Ready to eat poultry food ) के नमूनों में listeria पाया गया। एक बीमारी (Creutzfeldt jacob’s disease) गोमांस (Beef) से उत्पन्न होने वाली राक दिमागी बीमारी है जो भेड़ों में पाई जाने वाली बीमारी (Scrapie) की जैसी है। इस बीमारी का मांसाहार से पशु के अंदर से मनुष्य में प्रवेश हो जाने का संबंध जाना गया है। role of Vegetarian Diet in Health and Disease,Bombay’ऑस्ट्रेलिया, जहां सर्वाधिक मांस भोजन खाया जाता है और जहां प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 130 किलो (छटटा) गोमांस की खपत है वहां आँतों का कैंसर सबसे अधिक है। Dr. Andrew Gold ने अपनी पुस्तक में शाकाहारी भोजन की ही सलाह दी है। मांसाहार जिन असाध्य रोगों को जन्म देता है उस पर हुई अन्य ताजा खोजों के परिणाम इस प्रकार है: Medical Basis of Vegetarian Nutrition, New Delhi
हृदय रोग व उच्च रक्तचाप:
रक्त वाहिनियों की भीतरी दीवारों पर कोलस्टेरोल की तहों का जमना इसका मुख्य कारण है। कोलेस्टेरोल का सर्वाधिक प्रमुख स्रोत अण्डा है, फिर मांस, मलाई, मक्खन व घी होते है। 100 ग्राम अण्डा प्रतिदिन लेने का अर्थ जरूरत से ढाई गुना अधिक कोलेस्टेरोल लेना है। एपीलैपसी ( Epllpsy) मिर्गी: यह इकैक्टेड मांस व बगैर धुली सब्जियां खाने से होता है। आँतो का अलसर, अपैन्डिसाइटिस, आँतों और मल द्वार का कैंसर ये रोग शाकाहारियों की अपेक्षा मांसाहारियों में अधिक पाए जाते है। गुर्दे की बीमारियां ( Kidney Disease) अधिक प्रोटीन युक्त भोजन गुर्दे खराब करता है। शाकाहारी भोजन फैलावदार व होने से पेट जल्दी भरता है अत: उससे मनुष्य आवश्यकता से अधिक प्रोटीन नहीं ले पाता जबकि मांसाहार से आसानी से आवश्यकता से अधिक प्रोटीन खाया जाता है। ”संधिवात रोग, महिमा और अन्य वायु रोग मांसाहार खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाता है जिसके जोड़ों पर जमाव हो जाने से ये रोग उत्पन्न होते है। यह देखा गया हैं कि मांस, अण्डा चाय, कॉफी इत्यादि छोड़ने पर इस प्रकार के रोगियों को लाभ पहुंचा ।
Atherosclerosis :- रक्त धमनियों का मोटा होना । इसका कारण भोजन में फुलीसैचुरेटेड फैटस, कोलेस्टैरोल व कैलोरीज का आधिक्य है । मांसाहारी भोजन में इन पदार्थों की अधिकता रहती है जबकि शाकाहारी भोजन में बहुत ही कम । सब्जी, फल इत्यादि में ये पदार्थ न के बराबर होते है । अत : शाकाहारी भोजन इस रोग से बचाने में सहायक है । ”Medical Basis of vegetarian Nutrition, New Delhiकैंसर ( Cancer) : यह जानलेवा रोग मांसाहारियों की अपेक्षा शाकाहारियों में बहुत कम पाया जाता है । अण्डा : जहर ही जहर,लेखक डाँ नेमिचंद जैन,इन्दौर आंतो का सडना: अण्डा, मांस आदि खाने से पेचिस, मंदाग्नि आदि बीमारियां घर कर जाती है, आमाशय कमजोर होता है व आते सड़ जाती है । अण्डा : जहर ही जहर,लेखक डाॅ नेमिचंद जैन,इन्दौरविषावरोधी शक्ति का क्षय: मांस, अण्डा खाने से शरीर की विषावरोधी शक्ति नष्ट होती है और शरीर साधारण सी बीमारी का भी मुकाबला नहीं कर पाता बुद्धि व स्मरण शक्ति कमजोर पड़ती है । विकास मंद हो जाता है । कुछ अमरीकी व इंग्लैंड के डॉक्टरों ने तो अण्डे को मनुष्य के लिए जहर कहा है ।
Medical Basis of vegetarian Nutrition, New Delhi त्वचा के रोग, एक्लीमा, मुँहासे आदि : त्वचा की रक्षा के लिए विटामिन 4 का सर्वाधिक महत्व है जो गाजर, टमाटर, हरी सब्जियों आदि में ही बहुतायत में होता है । यह शाकाहारी पदार्थ जहां त्वचा की रक्षा करते है वहीं मांस, अण्डे शराब इत्यादि त्वचा रोगों को बढ़ावा देते है। त्वचा में जलन महसूस होने वाले रोग के अधिकांश रोगी मांसाहारी ही पाए गए । Medical Basis of vegetarian Nutrition, New Delhi अन्य रोगों जैसे माइग्रेन, इकैक्यान से होने वाले रोग, स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी रोग आदि भी मांसाहारियों में ही अधिक पाये जाते है । सारांश में, जहां शाकाहारी भोजन प्राय: प्रत्येक रोग को रोकता है वही मांसाहारी भोजन प्रत्येक रोग को बढ़ावा देता है । शाकाहारी भोजन आयु बढ़ाता है तो मांसाहारी भोजन आयु घटाता है ।