नाम एवं पता | श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन तेरापंथी पंचायती, बड़ा मंदिर (पुरानी सहेली), गस्त का ताजिया, डीडवाना ओली, लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पिन – 474001 |
टेलीफोन | 07512433727 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ |
आवास : कमरे ( अटैच बाथरूम) – x कमरे (बिना बाथरूम) -6 आवास हाल 1 ( यात्री क्षमता – 25 ), गेस्ट हाऊस – x यात्री ठहराने की कुल क्षमता- 50 भोजनशाला : है, अनुरोध पर सशुल्क, विद्यालय : नहीं, औषधालय : नहीं, पुस्तकालय : है |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : ग्वालियर मंदिर से 4 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : ग्वालियर मंदिर से 4 कि.मी. दिल्ली-मुम्बई, दिल्ली-चेन्नई, मुख्य रेल मार्ग पर ग्वालियर |
निकटतम प्रमुख नगर | मंदिर ग्वालियर शहर में ही हैं। |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन तेरापंथी, पंचायती बड़ा मंदिर, पुरानी सहेली, प्रबंधक कमेटी
अध्यक्ष : श्री अनिलकुमार शाह (0751-2420179) मंत्री : श्री संजयकुमार भौंच (0751-2431016) प्रबन्धक : श्री देवेन्द्र |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01
क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : स्वर्ण मंदिर के निर्माण में तत्कालीन श्रेष्ठियों ने 2 मन (80 किलो) सोने का उपयोग स्वर्ण चित्रकारी हेतु किया था। जो इस मन्दिर का वैशिष्ठ्य है। ग्वालियर के इर्द-गिर्द 7 वीं 8वीं शताब्दी से 14 वीं – 15 वीं शताब्दी तक प्राचीन जिनालयों के दर्शन होते हैं। रियासतों के काल से श्री 1008 पार्श्वनाथ दि. जैन बड़ा मंदिर अपनी गौरवशाली संस्कृति समेटे हुए हैं एवं तेरापंथी पंचायती मंदिर पुरानी सहेली के नाम से विख्यात है। इसका निर्माण भादों सुदी 2 संवत् 1761 में हुआ। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा संवत् 1212 की प्रतिष्ठित है। इस मंदिर में 163 मूर्तियाँ है जो चांदी, मूंगा, स्फटिक मणि, प्लेट, पाषाण, कसौटी, संगमरमर तथा श्यामश्वेत पाषाण की हैं। एक इंच से 5″-6″ अवगाहना की खडगासन तथा पद्मासन प्रतिमाऐं एवं त्रिकाल चौबीसी विराजमान हैं। एक प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की श्यामवर्ण की फणयुक्त है। कुल 6 वेदियाँ है एवं कलापूर्ण समवशरण, जिसमें स्वर्ण चित्रकारी का काम सोने की कलम से बारीकी से किया गया है एवं कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं। |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | श्री गोपाचल सिद्धक्षेत्र-3 कि.मी., सोनागिर 65 कि.मी., 15 वीं एवं 16 वीं शताब्दी का ग्वालियर का दुर्ग है – 5 कि.मी., श्री सिंहोनिया सिद्ध क्षेत्र-60 कि.मी. । |