नाम एवं पता | श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र एवं पुण्य भूमि, जयसिंहपुरा जयसिंहपुरा, उज्जैन (मध्यप्रदेश) पिन – 456001 |
टेलीफोन | 0734-2552208, 099070 25457 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ |
आवास :कमरे (अटैच बाथरूम) – x, हाल 1 ( यात्री क्षमता 100 ), यात्री ठहराने की कुल क्षमता 125.. (बिना बाथरूम) – 7, गेस्ट हाउस – x भोजनशाला : है, अनुरोध पर सशुल्क, विद्यालय : नहीं, औषधालय : नहीं, पुस्तकालय : नहीं |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : उज्जैन – 3 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : उज्जैन – 3 कि.मी. रेल अथवा सड़क मार्ग |
निकटतम प्रमुख नगर | इन्दौर- 60 कि.मी., गोम्मटगिरि – 56 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री दिगम्बर जैन मन्दिर ट्रस्ट, नमकमंडी, उज्जैन
अध्यक्ष : श्री प्रकाशचन्द्र कासलीवाल (मो.: 094250-92967) मंत्री : श्री अनिल गंगवाल ( 0734-2556733) |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 ( एक विशाल जैन मंदिर)
क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : ऐतिहासिकता इसका प्राचीन नाम अवंतिकापुरी था। जैन शासन के दौरान ही इसका नाम उज्जैन पड़ गया। श्वेताम्बर मान्यतानुसार यहाँ पर श्मसान में भगवान महावीर पर रुद्र ने उपसर्ग किया था। मुनि अभयघोष अंतकृत केवली यहाँ से मोक्ष पधारे थे, अतः इस स्थान को सिद्ध क्षेत्र माना जाता है। यहीं पर दुर्भिक्ष की भावी घटना ज्ञात होने पर अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु अपने विशाल संघ सहित दक्षिण भारत की ओर चले गये थे। उनके साथ सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य भी मुनि दीक्षा लेकर चले गये थे। जयसिंहपुरा मन्दिर के समीप मालवा प्रांतिक सभा बड़नगर द्वारा निर्मित भव्य पुरातत्व संग्रहालय में जैन पुरातत्व सामग्री से समृद्ध प्राचीन मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ सुरक्षित हैं। यह संग्रहालय दर्शनीय है। उज्जैन में 8 बड़े भव्य जिनालय एवं 10 छोटे मंदिर हैं । शिव ज्योतिर्लिंग ( महाकाल ), चिन्तामन गणेश, जंतर मन्तर, कालियादह पैलेस, सांदीपन आश्रम, भतृहरि (भरतरी) गुफा इत्यादि भी दर्शनीय हैं। इसका प्राचीन नाम अवंतिकापुरी था। जैन शासन के दौरान ही इसका नाम उज्जैन पड़ गया। श्वेताम्बर मान्यतानुसार यहाँ पर श्मसान में भगवान महावीर पर रुद्र ने उपसर्ग किया था। मुनि अभयघोष अंतकृत केवली यहाँ से मोक्ष पधारे थे, अतः इस स्थान को सिद्ध क्षेत्र माना जाता है। यहीं पर दुर्भिक्ष की भावी घटना ज्ञात होने पर अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु अपने विशाल संघ सहित दक्षिण भारत की ओर चले गये थे। उनके साथ सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य भी मुनि दीक्षा लेकर चले गये थे। जयसिंहपुरा मन्दिर के समीप मालवा प्रांतिक सभा बड़नगर द्वारा निर्मित भव्य पुरातत्व संग्रहालय में जैन पुरातत्व सामग्री से समृद्ध प्राचीन मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ सुरक्षित हैं। यह संग्रहालय दर्शनीय है। उज्जैन में 8 बड़े भव्य जिनालय एवं 10 छोटे मंदिर हैं । शिव ज्योतिर्लिंग ( महाकाल ), चिन्तामन गणेश, जंतर मन्तर, कालियादह पैलेस, सांदीपन आश्रम, भतृहरि (भरतरी) गुफा इत्यादि भी दर्शनीय हैं। |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | मक्सी – 36 कि.मी., पुष्पगिरि – 80 कि.मी., गोम्मटगिरि इन्दौर – 60 कि.मी. भगवान महावीर तपोभूमि – 5 कि.मी. |