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8. अपूर्वकरण गुणस्थान

April 15, 2017स्वाध्याय करेंjambudweep

८. अपूर्वकरण गुणस्थान


अध:प्रवृत्तकरण में अंतर्मुहूर्त रहकर ये मुनि प्रतिसमय अनंतगुणी विशुद्धि को प्राप्त होते हुए एवं पूर्व में कभी भी नहीं प्राप्त हुए ऐसे अपूर्वकरण जाति के परिणामों को प्राप्त होते हैं । यहाँ पर एक समयवर्ती मुनियों के परिणामों में सदृशता और विसदृशता दोनों ही होती है । इसका काल भी अंतर्मुहूर्त है ।

Tags: Gunasthaan
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