
चम्पापुर नगरी वासुपूज्य के जन्म से धन्य हुई है, चम्पापुर नगरी……..।।टेक.।। 
जीवात्मा एवं कर्मों का, सम्बन्ध अनादीकाल से है। 
मिथ्यादर्शन के कारण जीव, अनादी से भव भ्रमण करें। 


जिस कामदेव के वश होकर, सच्चे सुख को सब भूल रहे। जिनराज उसी को वश में कर, आतम अमृत में डूब रहे।। 
है क्षुधावेदनी कर्म सभी के, संग अनादि से लगा हुआ।


आठों कर्मों के नाश हेतु, जिनराज तपस्या करते हैं। 
मैंने अनादि से इस जग में, ग्रैवेयक तक फल प्राप्त किया। लेकिन सम्यक्चारित्र बिना, नहिं मुक्ति योग्य फल प्राप्त किया।। 



धर्मतीर्थ वर्तन जहाँ, हुआ वही है तीर्थ।