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५० वर्षों के कार्यकलाप

August 29, 2022ज्ञानमती माताजीjambudweep

५० वर्षों के ऐतिहासिक कार्यकलाप : एक झलक



अपनी स्वर्ण जयंती से गौरवान्वित दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान की

अन्य विशेष गतिविधियाँ

वार्षिक मेला-  प्रतिवर्ष संस्थान द्वारा जम्बूद्वीप तीर्थ, हस्तिनापुर में ‘‘शरदपूर्णिमा महोत्सव’’, तपस्थली तीर्थ, प्रयाग-इलाहाबाद में ‘‘ऋषभदेव जन्मजयंती महोत्सव’’ तथा महावीर जयंती पर नंद्यावर्त महल तीर्थ, कुण्डलपुर (नालंदा) बिहार में सरकारी स्तर पर ‘‘कुण्डलपुर महोत्सव’’ का आयोजन ‘‘वार्षिक मेला’’ के रूप में किये जाते हैं।

वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला-   इस संस्थान द्वारा सन् १९७२ में स्थापित वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला के माध्यम से प्रतिवर्ष लाखों ग्रंथों का प्रकाशन किया जाता है। इस ग्रंथमाला द्वारा जैनधर्म पर आधारित लगभग ५५० प्रकार के ग्रंथ/किताबें प्रकाशित हो चुके हैं।

सम्यग्ज्ञान मासिक पत्रिका-  सन् १९७४ से संस्थान द्वारा जैन आगम ग्रंथों पर आधारित चारों अनुयोगों के आलेखों से संबद्ध सम्यग्ज्ञान मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है। वर्तमान में ४८ वर्षीय यह पत्रिका आध्यात्मिक स्वाध्याय हेतु पाठकोें में लोकप्रियता को प्राप्त है।

णमोकार महामंत्र बैंक-   इस संस्थान के द्वारा सन् १९९५ में स्थापित णमोकार महामंत्र बैंक का भी संचालन किया जाता है, जिसमें प्रतिवर्ष देश-विदेश के भक्तों द्वारा करोड़ों णमोकार महामंत्र लिखकर जमा कराये जाते हैं। णमोकार महामंत्र लेखकों को संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष शरदपूर्णिमा के अवसर पर हीरक, स्वर्ण एवं रजत पदक से सम्मानित किया जाता है।

जम्बूद्वीप पुस्तकालय एवं गणिनी ज्ञानमती शोधपीठ-   शिक्षाप्रेमियों के लिए यहाँ १९ हजार से ज्यादा पुस्तकों के भण्डारण का ‘जम्बूद्वीप-पुस्तकालय’ है तथा ‘गणिनी ज्ञानमती शोध पीठ’ के द्वारा विभिन्न जैन साहित्य पर शोधकार्य चलता है। हजारों मुद्रित ग्रंथों के साथ-साथ उक्त पुस्तकालय में २३५ प्राकृत एवं संस्कृत की प्राचीन पांडुलिपियाँ भी धरोहर के रूप में विद्यमान हैं। इसके साथ ही गणिनी ज्ञानमती शोधपीठ का संचालन-कार्यालय सुदामा नगर-इंदौर (म.प्र.) में निदेशक डॉ. अनुपम जैन के निर्देशन में कुशलता से संचालित हो रहा है।

इंटरनेट पर इन्साइक्लोपीडिया निर्माण-  अप्रैल २०१३ से प्रारंभ कर संस्थान द्वारा इंटरनेट पर Encyclopediaofjainism.com का विशाल निर्माण किया गया है, जिसके द्वारा दिगम्बर जैन धर्म व समाज की समग्र जानकारी इस इन्साइक्लोपीडिया पर ऑनलाइन प्राप्त की जा सके, ऐसा लक्ष्य निर्धारित है।

सन् १९९९ से टी.वी. चैनल्स पर राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय धर्मप्रभावना-  इस संस्था के माध्यम से सन् १९९९ से लगातार राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय टी.वी. चैनल्स पर जैनधर्म की प्रभावना के अनेकानेक कार्यक्रम तथा सर्वोच्च जैन साध्वी गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रतिदिन मंगल प्रवचनों का प्रसारण किया जा रहा है। टी.वी. के माध्यम से प्रसारण द्वारा धर्मप्रभावना के क्षेत्र में किये गये इस ऐतिहासिक और अद्वितीय कार्य से निश्चित ही जनमानस के विचारों में धार्मिकता, नैतिकता, मानवता, करुणा एवं मोक्षमार्ग के लिए व्रत, त्याग, संयम जैसे सिद्धान्तों का गहरा प्रभाव पड़ा है। संस्थान की यह सोच अत्यन्त दूरगामी और व्यापक है, जिससे घर-घर में धर्म के प्रति रुचि जागृत हुई है और जैनधर्म व इसके सिद्धान्तों का भी जैन व जैनेतर समस्त समाज में प्रचार हुआ है। इस क्रम में संस्थान ने लगातार अरिहंत चैनल, संस्कार चैनल, साधना चैनल, जी. टी.वी., आस्था चैनल, पारस चैनल, जिनवाणी चैनल जैसे टी.वी. चैनल्स पर धर्म प्रचार के कार्य सम्पन्न किए हैं और अभी भी सतत जारी है।

गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती दिगम्बर जैन शिक्षा केन्द्र-  इस केन्द्र के अन्तर्गत दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान तथा तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद के संयुक्त तत्त्वावधान में जैनधर्म के ‘‘प्रवेशिका’’, ‘‘मध्यमा’’, ‘‘विशारद’’, ‘‘बेसिक डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा एवं पी.जी. डिप्लोमा इन जैनिज्म’’ जैसे कोर्स का संचालन किया जा रहा है, जिसमें उत्तीर्ण विद्यार्थी/श्रावक-श्राविकाओं को विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त सर्टीफिकेट व डिप्लोमा के प्रमाणपत्र प्रदान किये जाते हैं।

संस्थान संचालन एवं सहभागिता-  इस संस्थान की स्थापना पूज्य माताजी की प्रेरणा से राजधानी दिल्ली में सन् १९७२ में की गई थी, जिसके उपरांत सन् १९७४ से संस्थान का मुख्य कार्यालय जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में संचालित हो रहा है। इस संस्थान के अन्तर्गत नंद्यावर्त महल तीर्थ, कुण्डलपुर (नालंदा), भगवान ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ, प्रयाग-इलाहाबाद एवं आचार्य श्री शांतिसागर धाम, सम्मेदशिखर जी का संचालन किया जाता है तथा पूज्य माताजी की प्रेरणा से स्थापित तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ, अ.भा. दि. जैन महिला संगठन, भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थंकर जन्मभूमि विकास कमेटी व मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र में बनी १०८ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव मूर्ति निर्माण कमेटी आदि की समस्त गतिविधियों में भी यह संस्थान महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है।

इन सभी संस्थाओं का मुख्य कार्यालय जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर तीर्थ पर संचालित किया जाता है। पूज्य माताजी के आशीर्वाद से महावीर जी (राज.) में महावीर धाम परिसर में पंचबालयति दिगम्बर जैन मंदिर का संचालन भी इस संस्थान द्वारा ही किया जा रहा है तथा गणिनी ज्ञानमती दीक्षा तीर्थ-माधोराजपुरा (जयपुर) राज. के निर्माण एवं विकास में भी संस्थान का महत्वपूर्ण सहयोग है। इसके साथ ही अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन युवा परिषद का प्रधान कार्यालय जम्बूद्वीप से संचालित होता है व शाश्वत तीर्थ अयोध्या जी में दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी-अयोध्या के अन्तर्गत विभिन्न टोंक का जीर्णोद्धार, विकास भी इस संस्थान के सहयोग से सम्पन्न हो रहा है।

इस प्रकार यह संस्थान अपनी विभिन्न सर्मिपत कार्य योजनाओं द्वारा समाज की सेवा में प्रतिक्षण संलग्न है। मानसिक शांति, आध्यात्मिक विकास, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं अन्य अनेक लाभ एक साथ प्राप्त करने हेतु यह संस्थान जंबूद्वीप आदि जैन भूगोल की रचनाओं के दर्शन हेतु आपको हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप तीर्थ पर सादर आमंत्रित करती है।

         

Tags: Samyakgyan 2022
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