जन्मभूमि | हस्तिनापुर नगर |
पिता | राजा सोमप्रभ |
माता | लक्ष्मीमती |
चाचा | राजा श्रेयांस |
लौकिक पद | भरत चक्रवर्ती के सेनापति रत्न |
ससुराल | वाराणसी नगरी |
ससुर | राजा अकंपन |
सास | सुप्रभा देवी |
स्वयंवर विधान – अनादिसिद्ध स्वयंप्रभा का प्रादुर्भाव, स्वयंवर में सुलोचना द्वारा जयकुमार का वरण जयकुमार वरण विरोध – भरत पुत्र अर्वकीर्ति द्वारा विरोध, युद्ध प्रसंग, जयकुमार की विजय संकट निवारण – गंगानदी में मगर द्वारा जयकुमार के हाथी का पकड़ा जाना पुन: सुलोचना के ध्यान के प्रभाव से गंगा देवी द्वारा रक्षा होना पारमार्थिकपद – भगवान ऋषभदेव के समवसरण में इकहत्तरवें गणधर (दिगम्बर महामुनि) सुलोचना – आर्यिका दीक्षा, ग्यारह अंग के ज्ञान से विभूषित परलोकगमन – जयकुमार का मुक्तिलाभ, सुलोचना को स्वर्ग लाभ।