
श्री मल्लिनाथ नमिनाथ जिनेश्वर, जन्मभूमि मिथिलानगरी।
लेकर विमल जल तीर्थ पूजूँ, कर्ममल हट जाएगा। 






गुझिया समोसे आदि व्यंजन, लाय प्रभु सम्मुख धरूँ।




अखरोट किसमिस आम्र आदिक, फल चढ़ा पूजन करूँ।




हे नाथ ! तेरे जन्म से भू धन्य हुई है। हे नाथ ! तेरे जन्म मरण कुछ भी नहीं है।। टेक०।। 