सदाचार
ऐसा कौनसा व्यक्ति होगा जिसने अपने जीवन काल में सदाचार के महत्व को न जाना होगा। सदाचार ही हमें घर, समाज और परिवार में स्थापित करता है। जीवन जीने का ढंग देता है। और तरीका भी कि कैसे समाज में एक-दूसरे के साथ व्यवहार किया जाए कि सभी एक-दूसरे के प्रिय बनें, आपस में मधुरता बढ़े और कटुता का बीज पनपने न पाए। कोयल काली होने के बावजूद अपनी वाणी की मधुरता से सभी के हृदय में स्थान प्राप्त कर लेती है, वहीं कौवा छीना-झपटी करने के कारण हमेशा ही दुत्कार दिया जाता है। कहा भी गया है कि एक बुरा शब्द सारे अच्छे परिणामों को बुरे में बदल सकता है। अच्छा आचरण ही हम मनुष्यों की वास्तविक पूंजी है। दूसरी ओर धन-संपदा नष्ट हो सकती है, मगर अपने अच्छे व्यवहार से कमाई गई संपदा कभी नष्ट नहीं होती, बल्कि ये दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ती ही जाती है। इस संसार से भले ही कोई व्यक्ति विदा ले ले, परंतु उसके अच्छे आचरण का गुणगान लंबे समय तक किया जाता है। इसी के विपरीत जब कोई बुरे आचरण वाला व्यक्ति संसार छोड़कर जाता है तब भी लोग उसकी निंदा करने से नहीं चूकते।
बुरे से बुरे व्यक्ति को भी अच्छा आचरण प्रभावित कर जाता है। जो काम आप लड़ाईझगड़े से नहीं करवा सकते, वही काम आप अपनी व्यवहारकुशलता और अपनी विनम्रता से करवा सकते हैं। सदाचार बुरे वक्त से बाहर निकलने की भी चाबी है। यदि बरे समय में इंसान अभिमान को साधे बैठा रहे तो फिर हर रास्ता अंधकार से, भर जाता है। सदाचार हमारे अंदर की कटुता को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सदाचार की मिठास हमारे व्यक्तित्व में भी शहद की तरह घुल जाती है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य को समृद्ध करती है। हमारे मस्तिष्क कीगांठें खोल देती है, जिसकी वजह से हम दूरगामी बनकर अपने जीवन में अपने संदर्भ में उचित निर्णय लेने के योग्य बन पाते है |
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