जैन धर्म में तीर्थंकरों की पंचकल्याणक तिथियाँ एवं आचार्यों से संबंधित कई पुण्यतिथियाँ आती हैं। जैन धर्म के सभी पर्व-त्यौहार तप-त्याग व संयम की शिक्षा देते हैं। कुछ प्रसिद्ध पर्व-
पर्युषण (दस लक्षण) पर्व-यह दस दिवसीय महापर्व वर्ष में तीन बार आता है किंतु भाद्रपद मास में सुदी पंचमी से चतुर्दशी तक महोत्सव पूर्वक मनाया जाता है।
अष्टाह्निका पर्व-यह आठ दिवसीय महापर्व भी वर्ष में तीन बार आता है, इसमें भी पूजा-विधान व तप-त्याग की महिमा होती है।
आदिनाथ जयंती-जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव-आदिनाथ की जन्म एवं दीक्षा जयंती चैत्र कृष्ण नवमी को धूमधाम से मनाई जाती है।
महावीर जयंती-जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर वर्धमान महावीर स्वामी की जन्म जयंती चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को पूरे विश्व में हर्षोल्लास से मनाई जाती है।
महावीर निर्वाण (दीपावली)-कार्तिक कृष्ण अमावस्या को ब्रह्ममुहूर्त में महावीर स्वामी का निर्वाण (मोक्ष) और संध्या को उनके प्रथम शिष्य इंद्रभूति गौतम को केवलज्ञान हुआ। जिसे दीपावली के रूप में मनाते हैं।
वीर शासन जयंती- केवलज्ञान के 66 दिन बाद श्रावण कृष्ण एकम से महावीर स्वामी के दिव्य उपदेश प्रारंभ हुए, इस दिन को वीर शासन जयंती के रूप में मनाते हैं।
श्रुत पंचमी पर्व- ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को आचार्य पुष्पदंत-भूतबली ने महावीर वाणी के महानतम ग्रंथ षट्रखंडागम की रचना 2000 वर्ष पूर्व आज ही पूर्ण की थी। इसी दिन सन् 1915 में आचार्य आदिसागर अंकलीकर को जयसिंगपुर में ‘आचार्य पद’ प्रदान किया गया था।
रक्षाबंधन (वात्सल्य पर्व) – विष्णुकुमार मुनिराज ने मंत्री बलि द्वारा किए गए उपसर्ग से अकंपनाचार्य आदि 700 मुनियों की हस्तिनापुर में रक्षा की थी। इसे भाई-बहिन के त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
विजयादशमी- राम विजय एवं आचार्य महावीर कीर्ति महाराज का आचार्य पदारोहण दिवस।
विश्वमैत्री दिवस- पर्युषण पर्व के बाद क्षमावाणी पर्व को ‘मिच्छा मे दुक्कडं’ के साथ ‘विश्वमैत्री’ या संवत्सरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें सबसे क्षमा मांग कर, क्षमाधारण की जाती है।
विश्व अहिंसा दिवस – महात्मा गांधी के जन्म दिन 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।