चौदह राजू माप वाले पुरुषाकार इस लोक के निचले हिस्से को अधो (पाताल) लोक, ऊपर को उर्ध्व (स्वर्ग) लोक और बीच वाले हिस्से को मध्यलोक कहते हैं। नीचे नरक में पाप का फल भोगने वाले नारकी रहते हैं। ऊपर
इस लोक में संसरण करने वाले जीव संसारी और सर्व कर्म से रहित जीव मुकत कहलाते हैं। संसारी जीव के क्रोध, मान, माया, लोभ, ईर्ष्या, कामवासना आदि भाव होते हैं। संसारी जीव 84 लाख योनियों में भ्रमण करता हुआ दुख पाता है, जबकि मुक्त जीव आनंदमय है।