१. चमड़े की धुलाई का उपयोग न करें।
२. हाथी दांतों से बनी चीजों का इस्तेमाल न करें।
३. छत-धोने में उन साबुनों का उपयोग करें, जिनमें चर्बी न हो।
४. रसोई और मंदिरों में जल-साज-सज्जा के लिए एवं अन्य कार्यों में खादी का कपड़ा काम में लें, क्योंकि अन्य वस्त्रों में कफ की अनुभूति होती है।
५. उन पुस्तकों से कोई सामान न खरीदें, जिसे अण्डे बेचे जाएं।
६. टूथपेस्टों का उपयोग न करें या वे टूथपेस्ट ही काम में लें जिन पर ‘वीगन’ या ‘पशु उत्पाद रहित’ शब्द अंकित हो।
७. रंग-बिरंगे आइसक्रीम, प्रूटेला, मिंटोस, रौले, मस्तिकबिल्स का उपयोग न करें।
८. ‘पी एण्ड जी’ के उत्पाद काम में न लें।
९. जिलेट ब्लेडों का इस्तेमाल न करें।
१०. वैप्सूल्स न खाएँ। अनिवार्य होने पर अन्दर की प्रेरित सेवाएँ, बदलावात्मक डालें।
. लिपस्टिक,स्मॉल आदि का भूलकर भी उपयोग न करें।
12. … रोने से बनी नोट्स न खरीदें और न ही उपहार में दें।
:जी. सेंट, posdorents इसका इस्तेमाल न करें।
४. जहाँ तक संभव हो चीनी के बर्तन काम में न लें। इन स्थानों पर कांच या धातु के आधार का उपयोग करें।
१५. सरेस का उपयोग न करें।
. जिन एलोपैथिक दवाओं में हीमोग्लोबिन, लिवर, पैनक्रियाज आदि का उल्लेख हो, उनका सेवन न करें, क्योंकि ये दवाएं मांसाहारी होती हैं।
‘भ्रष्टाचार विरोधी’ पुणे की संस्था द्वारा निम्न कॉस्मेटिक उत्पादों की सूची बनाई गई है, जिसमें केवल वनस्पति पदार्थ ही उपयोग होते हैं तथा उसे बनाने और जांच में किसी भी पशु-पक्षी को कष्ट नहीं दिया जाता है। कृपया अभ्यास को उपयोग में लें।
जैसे-
१. नेलपॉलिश- लक्मे, टीना
२. पाउडर/फेश पाउडर- सिंटोल, पसीनाका, गंगा, संगमरमर, अहिंसा, नीम, कंठ, शिकाकाई, मुकुट, महिमा, मैसूर-चंदन, संसार, चंद्रिका, मोती, हमाम, जय, ओ.के., रिया, नीको, विजिल
३ . टूथपेस्ट- प्रमिस, बबूल, विको वृकदन्ति
४। तेल आदि- कैल्मे अलमैसा, नारियल तेल, आँवला, ब्राह्मी (वैद्यनाथ, झण्डू) चंदन तेल।
५. क्रीम- कोल्ड क्रीम (लक्मे), टियारा, विको
६. पर फ्यूम- शालीमार, लक्मे
७. चन्द- अर्णिका, सन, सौंदर्य (मिस्टी)
८. शेव लौ- कंसरि, लक्मे, सन
९. लिपस्टिक- लक्मे, टिप्स और रोजाना
पानी चमकाने के
बिना छने हुए पानी की एक बूंद में 3 व्यवस्थित जीवन ने बताये हैं। ये जीव प्रकट नहीं होते। अनजाने पानी को पीने से स्वास्थ्य दूषित होता है, इसलिए कई रोग हो जाते हैं, इसलिए जलसुखनकर पीना चाहिए। बिना छना पानी पीने से अनंत मृत्यु का घात होता है। मोटे कपड़े के विपरीत कपड़े को पानी से अलग सावधानी से धोना चाहिए, और कपड़े को पानी में डालना चाहिए ताकि कपड़े के ऊपर के संक्रमण की रक्षा आपके विवेक और सावधानी से हो। कुएँ के पानी की बिलछानी वुँहा में छोड़ देना चाहिए। इस कार्य के लिए बिलछानी (अनछने पानी) के पूरे पानी की बाल्टियों के दोनों तरफ रस्सी को छेड़कर कुएँ में छोड़ देना चाहिए। छना हुआ पानी, लगभग 1 मिनट तक जीवन रहित रहता है। इसके बाद पुन:में जीव उत्पन्न हो जाते हैं। अत: उसे फिर से बचाना चाहिए। छने हुए पानी में लौंग, इलायची आदि डालने से पानी प्रासुक हो जाता है। उसकी मर्यादा ६ घंटे की है। गर्म किये हुए जल की मर्यादा चौबीस घंटे की होती है। रीजऱ् रेडियो, टी.वी. पर भी हर समय स्पष्ट चेतावनी एवं सलाह दी जाती है कि पानी को खूबसूरती से पीना चाहिए। पानी चमत्कारी पीने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है और धर्म का पालन होता है। कहा जाता है कि सूर्योदय से पूर्व रात्रि को चार गिलास गर्म पानी रखा हुआ कई बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। पानी पीने के पांच मिनट तक कुछ भी नया नहीं। इसके प्रयोग से ठीक होने वाली बीमारियाँ मधुमेह (डायविटीज), ब्लडप्रेशर, जोड़ों का दर्द, हृदय रोग, बेहोशी, मेनोनजाएटस, पेशाब की सभी बीमारियाँ, पथरी, धातुस्राव, गर्भाशय ग्रीवा, बवासीर, पेट के रोग, मानसिक दुर्बलता, त्वचा पर झुर्रियाँ, लकवा, खाँसी, कफ़, दमा, आँखों की बीमारियाँ, प्रदर, एसिडिटी, सूजन, बुखार, फोड़ा-फांसी, कील मुँह, रक्त की कमी, मोटापा, टी.बी., लीवर के रोग, अनियमित मासिक स्राव, कफ़ जन्य रोग, गेस्ट्रिक ट्रबल एवं कमर से संबंधित रोग हैं।
इन स्वास्थ्य को दूर करके अपने शरीर को स्वस्थ बनाएं और अपने पड़ोसियों को भी इन स्वास्थ्य से मुक्ति हेतु पानी पीने की प्रेरणा प्रदान करें।
र : श