8.(5.1) ‘‘चउवीसाए अरहंतेसु।’’(सोलहकारण भावना)
8.(5.2)चौबीस तीर्थंकर जीवन दर्शन
8.(5.3) 24 तीर्थंकरों के 46गुण
8.(5.4) चौबीस तीर्थंकरों का विशेष परिचय
8.7 चौबीस तीर्थंकर समवसरण स्तोत्र
9-13 ‘‘आइरियपदे उवज्झायपदे साहुपदे।’’
9.14 ‘‘मंगलपदे लोगोत्तमपदे सरणपदे।’’
9.16 ‘‘अंगंगेसु पुव्वंगेसु पइण्णएसु’’
9.18 ‘‘अक्खरहीणं वा पदहीणं वा सरहीणं वा वंजणहीणं वा अत्थहीणं वा गंथहीणं वा।’’
9 .20 ‘‘अट्ठक्खाणेसु वा, अणियोगेसु वा।’’
9.22‘‘तिलोगणाहेिंह तिलोगबुद्धेिंह तिलोगदरसीिंह।’’
9.23 ‘‘इच्छामि भंते !’’ (श्री प्रभाचंद्राचार्यकृत—संस्कृत टीका)
9.24‘‘इच्छामि भंते !’’ (संक्षिप्त हिन्दी अनुवाद)
10.1 वीरभक्ति (पद्यानुवाद सहित)
10.2 वीरभक्ति (संस्कृत टीका एवं हिन्दी टीका सहित)
10.(3.1)‘‘य: सर्वाणि चराचराणि विधिवद् द्रव्याणि तेषां गुणान्।
10.(3.11) सर्वज्ञ के ज्ञान का माहात्म्य
10.(3.12) अष्टसहस्री सार (प्रथम परिच्छेद का सार)
10.5 ‘‘चारित्तं सर्वजिनैश्चरितं प्रोक्तं च सर्वशिष्येभ्य:। प्रणमामि पंचभेदं, पंचमचारित्रलाभाय।।६।।
10.(6.1) ‘‘धर्म: सर्व सुखाकरो हितकरो, धर्मं बुधाश्चिन्वते।(सिद्ध लोक और सिद्ध शिला)
10.(6.2/3) भगवान महावीर स्वामी का मोक्ष गमन
10.(6.4) भगवान ऋषभदेव का मोक्षगमन
10.(6.5) धर्म की विविध व्याख्या
10.(7.1) ‘‘धम्मो मंगल-मुद्दिट्ठं, अहिंसा (सम्यक् चारित्र का वर्णन)
10.8 भगवान महावीर के तीर्थ में अनुबद्ध केवली
10.9 श्री वर्र्द्धमान तीर्थंकर के तीर्थ में दश अन्तकृत् केवली
10.11 तीर्थंकर महावीर स्वामी के समवसरण की गणिनी आर्यिका चन्दना
10.13 राजा श्रेणिक के जीव भावी तीर्थंकर पद्मनाभ भगवान के पंचकल्याणक का वर्णन
10.14 अन्तिम श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु मुनिराज की कथा
***