-रोला छंद-
पिता सुमित्र नरेश, राजगृही के शास्ता।
सोमावती के गर्भ, बसें जगत शिर नाता।।
श्रावण कृष्णा दूज, इन्द्र जजें पितु माँ को।
जजूँ गर्भ कल्याण, मिले आत्मनिधि मुझको।।१।।
ॐ ह्रीं श्रावणकृष्णाद्वितीयायां श्रीमुनिसुव्रतनाथतीर्थंकरगर्भकल्याणकाय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
जन्म लिया प्रभु आप, वदि वैशाख दुवादश।
इन्द्र लिया शिशु गोद, पहुँचे पांडुशिला तक।।
एक हजार सुआठ, कलशों से नहलाया।
जजत जन्म कल्याण, पुनि पुनि जन्म नशाया।।२।।
ॐ ह्रीं वैशाखकृष्णाद्वादश्यां श्रीमुनिसुव्रतनाथतीर्थंकरजन्मकल्याणकाय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
जातिस्मरण निमित्त, वदि वैशाख सुदशमी।
अपराजिता पालक्कि, नीलबाग में प्रभुजी।।
सिद्धं नम: उचार, स्वयं ग्रही प्रभु दीक्षा।
नमूँ नमूँ शत बार, मिले महाव्रत दीक्षा।।३।।
ॐ हीं वैशाखकृष्णादशम्यां श्रीमुनिसुव्रतनाथतीर्थंकरदीक्षाकल्याणकाय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
चंपक तरु तल नाथ, वदि वैशाख नवमि के।
केवलज्ञान विकास, समवसरण में तिष्ठे।।
श्रीविहार में चरण, तले प्रभु स्वर्ण कमल थे।
नमूँ नमूँ नतमाथ, ज्ञान कल्याणक रुचि से।।४।।
ॐ ह्रीं वैशाखकृष्णानवम्यां श्रीमुनिसुव्रतनाथतीर्थंकरकेवलज्ञान—
कल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
श्री सम्मेद सुशैल, फाल्गुन वदि बारस में।
किया मृत्यु को दूर, मुक्तिरमा ली क्षण में।।
नमूँ मोक्ष कल्याण, कर्म कलंक नशाऊँ।
मुनिसुव्रत भगवान, चरणों शीश झुकाऊँ।।५।।
ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णाद्वादश्यां श्रीमुनिसुव्रतनाथतीर्थंकरमोक्षकल्याणकाय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।