नाम एवं पता | श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा ग्राम- रैवासा, तह. दाँतारामगढ़, जिला-सीकर पिन – 332403 |
टेलीफोन | फोन: 01572 222115, 09460037999 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ | आवास : हाल- 04 ( यात्री क्षमता 100), यात्री ठहराने की कुल क्षमता 200 गेस्ट हाऊस – x कमरे (अटैच बाथरूम) – 17,कमरे (बिना बाथरूम) -10
भोजनशाला : है, अनुरोध पर सशुल्क, विद्यालय : नहीं, औषधालय : है, पुस्तकालय : नहीं |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : गोरीया 4 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : गोरीया – 4 कि.मी., प्रति आधा घण्टे से रैवासा जाने वाली बस दाँतारामगढ़ रूट पर बस उपलब्ध सीकर एवं गोरीया रेल्वे स्टेशन से क्षेत्र के लिए बस की व्यवस्था है। |
निकटतम प्रमुख नगर | सीकर शहर – 18 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा प्रबंध समिति
अध्यक्ष : श्री दीपचन्द काला, सीकर (01572-252802, नि. 9460075570) मंत्री : श्री नृपेन्द्र कुमार छाबड़ा, जयपुर (9530153534) प्रबन्धक : श्री निहालचन्द सोगानी (094600-37999) |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 02
क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं मंदिर के निकट अरावली पर्वत श्रृंखला है। ऐतिहासिकता : राजस्थान की मरुवृन्दावन सीकर नगरी के निकट अरावली पर्वत की श्रृंखला की तलहटी में अपनी भव्यता एवं ऐतिहासिकता को संजोये हुए ‘श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा’ विद्यमान है। इसी क्षेत्र में वीर निर्वाण संवत् 1674 में निर्मित भव्य जिनालय में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा एवं नसियाँजी में चन्द्रप्रभु भगवान की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। यहाँ रात्रि के समय देवतागण आते हैं। जिनकी नूपुरों की ध्वनि भी सुनाई दी। इसी प्रकार की एक ओर ऐतिहासिकता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर के बारे में सुना, उसने उस मंदिर को लूटने का एवं खण्डित करने का प्रयास किया लेकिन श्रावकों को ज्ञान होने पर श्रीजी को तलघर में विराजमान कर दिया। बादशाह के मंदिर के निकट पहुंचने पर मधुमक्खियों द्वारा बादशाह एवं उसके सैनिकों पर हमला करने पर वे सभी भाग खड़े हुए। विशेषता यह भी है कि मंदिर में खम्बों की गिनती कोई भी सही ढंग से नहीं कर पाया। यह भी चमत्कार होने से अनगिनत खम्बे वाले मंदिर के नाम से विख्यात है। एक अद्भुत अतिशय हुआ। चार बार शांतिनाथ भगवान की पीतल की मूर्ति चोर ले गये लेकिन कुछ दिनों बाद वह प्रतिमा वापस आकर वेदी पर विराजमान हो गयी। भगवान सुमतिनाथ की अतिशयकारी प्रतिमा भूगर्भ से प्राप्त हुई है। |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | श्री पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र खण्डेला, खण्डेलवाल जैन उत्पत्ति स्थान- 50 कि.मी. आचार्य धर्मसागर महाराज का समाधि स्थल 20 कि.मी. आचार्य ज्ञानसागर महाराज की जन्म स्थली रानोली 8 कि.मी. |