पहले यह बताया जा चुका है कि जम्बूद्वीप १ लाख योजन (१००००० ² ४००० · ४०००००००० मील) व्यास वाला है एवं वलयाकार (गोलाकार) है।
सूर्य का गमन क्षेत्र पृथ्वी तल से ८०० योजन (८०० ² ४००० · ३२००००० मील) ऊपर जाकर है।
वह इस जम्बूद्वीप के भीतर १८० योजन एवं लवण समुद्र में ३३० योजन है अर्थात् समस्त गमन क्षेत्र ५१० योजन या २०४३१४७ मील है।
इतने प्रमाण गमन क्षेत्र में १८४ गलियाँ हैं। इन गलियों में सूर्य क्रमश: एक-एक गली में संचार करते हैं। इस प्रकार जम्बूद्वीप में दो सूर्य तथा दो चन्द्रमा हैं।
इस ५१० योजन के गमन क्षेत्र में सूर्य बिम्ब की एक-एक गली योजन प्रमाण वाली है। एक गली से दूसरी गली का अन्तराल २-२ योजन का है।
अत: १८४ गलियों का प्रमाण ² १८४ · १४४ योजन हुआ। इस प्रमाण को ५१० योजन गमन क्षेत्र में से घटाने पर ५१० — १४४ · ३६६ योजन कुल गलियों का अंतराल क्षेत्र रहा।
३६६ योजन में एक कम गलियों का अर्थात् गलियों के अन्तर १८३ हैं उसका भाग देने से गलियों के अन्तर का प्रमाण ३६६ ´ १८३ · २ योजन (८००० मील) का आता है। इस अन्तर में सूर्य की १ गली का प्रमाण योजन को मिलाने से सूर्य के प्रतिदिन के गमन क्षेत्र का प्रमाण २ योजन (१११४७ मील) का हो जाता है।
इन गलियों में एक-एक गली में दोनों सूर्य आमने-सामने रहते हुये एक दिन रात्रि (३० मुहूर्त) में एक गली के भ्रमण को पूरा करते हैं।