अभ्यन्तर (प्रथम) गली की परिधि१ का प्रमाण ३१५०८९ योजन (१२६०३५६००० मील) है। इस परिधि का चक्कर (भ्रमण) २ सूर्य १ दिन-रात में लगाते हैं। अर्थात् जब १ सूर्य भरत क्षेत्र में रहता है तब दूसरा सूर्य ठीक सामने ऐरावत क्षेत्र में रहता है। जब १ सूर्य पूर्व विदेह में रहता है, तब दूसरा पश्चिम विदेह में रहता है। इस प्रकार उपर्युक्त अंतर से (९९६४० योजन) गमन करते हुये आधी परिधि को १ सूर्य एवं आधी को दूसरा सूर्य अर्थात् दोनों मिलकर ३० मुहूर्त (२४ घण्टे) में १ परिधि को पूर्ण करते हैं।
पहली गली से दूसरी गली की परिधि का प्रमाण १७ योजन (४३००००० मील) अधिक है। अर्थात् ३१५०८९ ± १७· ३१५१०६योजन होता है। इसी प्रकार आगे-आगे की वीथियों में क्रमश: १७ योजन अधिक-अधिक होता गया है। यथा—३१५१०६± १७योजन · ३१५१२४योजन प्रमाण तीसरी गली की परिधि है। इसी प्रकार बढ़ते-बढ़ते मध्य की ९२वीं गली की परिधि का प्रमाण—३१६७०२ योजन (१२६६८०८००० मील) है। तथैव आगे वृिंद्धगत होते हुये अंतिम बाह्य गली की परिधि का प्रमाण—३१८३१४ योजन (१२७३२५६००० मील) है।